CBI के शीर्ष अधिकारी छुट्टी पर, नतीजा- कामकाज पर पड़ रहा है असर, नहीं हो पा रहे हैं कई बड़े मामलों में फैसले

सीबीआई (CBI) से जुड़े सूत्रों की मानें तो एजेंसी ने लंबित चल रहे मामलों पर किसी तरह का निर्णय न लेने का फैसला किया है.

CBI के शीर्ष अधिकारी छुट्टी पर, नतीजा- कामकाज पर पड़ रहा है असर, नहीं हो पा रहे हैं कई बड़े मामलों में फैसले

CBI में अधिकारियों के ना होने से कामकाज ठप

खास बातें

  • विजय माल्या के मामले पर भी पड़ रहा है असर
  • निदेशक आलोक वर्मा और विषेश निदेशक राकेश अस्थाना हैं छुट्टी पर
  • मेहुल चोकसी मामले में इंटरपोल ने मांगा है जवाब
नई दिल्ली:

सीबीआई (CBI) के अंदर चल रही खींचतान का असर अब सीबीआई द्वारा की जा रही कई मामलों की जांच पर भी पड़ने लगा है. इन मामलों में से ही एक है शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) का मामला. जिसके प्रत्यर्णण की सुनवाई जल्द ही लंदन की एक अदालत में होने वाली है लेकिन इस मामले में सीबीआई की तरफ से प्रतिनिधित्व कौन करेगा यही साफ नही हैं. हालांकि विजय माल्या (Vijay Mallya) का मामला एकलौता ऐसा मामला नहीं है. सीबीआई (CBI) से जुड़े सूत्रों की मानें तो एजेंसी ने लंबित चल रहे मामलों पर किसी तरह का निर्णय न लेने का फैसला किया है. सूत्रों के अनुसार सीबीआई के दोनों वरिष्ठ अधिकारियों के छुट्टी पर भेजे जाने के बाद से ही अन्य अधिकारियों के समक्ष किसी तरह का निर्णय न लेने की स्थिति बनी हुई है. गौरतलब है कि सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा (Alok Verma) और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना (Rakesh Asthana) के बीच चल रही तनातनी के बीच केंद्र सरकार ने दोनों को छुट्टी पर भेज दिया था. 

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सीबीआई के अंदर चल रही इस खींचतान का असर मेहुल चोकसी के मामले पर भी पड़ता दिख रहा है. एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस मामले में इंटरपोल ने सीबीआई से इस मामले में स्पष्टिकरण मांगा है. लेकिन अधिकारियों की गैर-मौजूदगी की वजह से सीबीआई इंटरपोल को जवाब नहीं भेज पा रही. गौरतलब है कि चौकसी ने भारत के जेलों की बुरी हालात में होने और उनके मामले में कई तरह की विसंगतियों का जिक्र किया था. इसे लेकर ही इंटरपोल ने सीबीआई से स्पष्टिकरण मांगा था. अधिकारियों की गैर-मौजूदगी की वजह से ही सीबीआई ने मेहुल चौकसी के सहयोगी दीपक कुलकर्णी को अभी तक हिरासत में नहीं लिया है. 

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सीबीआई से जुड़े अधिकारी की मानें तो वरिष्ठ अधिकारियों के छुट्टी पर जाने का साफ तौर पर असर सीबीआई द्वारा लिए जाने वाले निर्णय पर पड़ रहा है. उनके अनुसार कई बड़े मामलों में सीबीआई पहले की तरह काम नहीं कर पा रही है. जबकि कई मामलों में अधिकारियों द्वारा मिलने वाली स्वीकृति का इंतजार है. गौरतलब है कि सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना  पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों का केंद्रीय सतर्कता आयोग( सीवीसी) जांच कर रहा है. तलब किए जाने पर दोनों अफसर अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई देने के लिए आयोग के सामने पेश हो चुके हैं. इस केस की जांच से जुड़े सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि हैदराबाद के व्यापारी सतीश साना की जिस शिकायत पर सीबीआई ने राकेश अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज किया है, उसमें सना के बयानों पर मामला उलझता दिख रहा है.

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सीबीआई ने अस्थाना के खिलाफ हैदराबाद के व्यवसाई सना सतीश बाबू से तीन करोड़ रुपये की कथित तौर पर रिश्वत लेने के लिये 15 अक्टूबर को प्राथमिकी दर्ज की थी. शिकायत के मुताबिक यह रकम दो बिचौलियों मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद के जरिये दी गई थी ताकि मांस निर्यातक मोइन कुरैशी के खिलाफ जांच को कमजोर किया जा सके. सतीश साना ने कहा था कि उसने तीन करोड़ रुपये राकेश अस्थाना जैसे दिखने वाले शख्स को दिए थे. जिनके बारे में बिचौलियों से बात हुई थी. वहीं बीते 24 अगस्त को राकेश अस्थाना ने कैबिनेट सचिव को दी गई अपनी शिकायत में सीबीआई चीफ आलोक वर्मा पर ही आरोप लगाया था कि उन्होंने किसी मामले में पूछताछ से राहत दिलाने के लिये व्यापारी सतीश सना से रिश्वत के रूप में दो करोड़ रुपये लिये.

VIDEO: इस वजह से ठप है CBI का कामकाज.


एनडीटीवी को सूत्रों ने बताया कि राकेश अस्थाना ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि जिस अवधि में घूस को लेकर बिचौलियों से संपर्क, बातचीत  और लेन-देन की बात कही गई, उस समय वह लंदन में थे. सतीश साना की ओर से दर्ज एफआइआर में कहा गया है कि दो दिसंबर को घूस को लेकर बातचीत हुई और 13 दिसंबर 2017 को घूस की रकम दी गई. इस पर राकेश अस्थाना ने कहा कि वह भगोड़े विजय माल्या की सुनवाई से जुड़े केस में लंदन में थे. न्यूज रिपोर्ट्स भी इस बात की पुष्टि करतीं हैं कि  राकेश अस्थाना ने तीन दिसंबर को दिल्ली छोड़ दिया था और कम से कम 12 दिसंबर तक वह लंदन में थे. 




 


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