नॉन-ISI हेलमेट पर 9 साल में एक भी चालान नहीं लेकिन....

नॉन-ISI हेलमेट पर 9 साल में एक भी चालान नहीं लेकिन....

प्रतीकात्मक तस्वीर

40 रुपए से लेकर 200 रुपए तक में मिलने वाले सस्ते, बगैर ISI मार्क वाले हेलमेट पहनकर बाइक चलाना या बाइक पर पीछे बैठना गैर कानूनी भले ही हो लेकिन इसके लिए 9 साल में एक बार भी चालान नहीं काटा गया है। आरटीआई के जरिए जानकारी हासिल करने वाले उल्हास पीआर ने यह जानकारी देते हुए कहा कि पिछले 9 सालों में दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने नॉन-ISI हेलमेट पहनने वाले किसी भी बाइकर का चालान नहीं किया है।

घटिया हेलमेट पहनने पर कोई अपनी गलती मान लेता है तो कोई दोष मढ़ने के लिए कोई और सिर तलाश लेता है। कानून का डर सिर को खुला तो नहीं रहने देता, लेकिन नाम के ऐसे हेलमेट में सिर सुरक्षित भी नहीं रहता क्योंकि ये हेलमेट सस्ते होते हैं पर टिकाऊ नहीं।  ISI मार्किंग के बगैर वाले हेलमेट सड़क किनारे फुटपाथ पर आपको कहीं भी 40-50 रुपए से लेकर 100-200 रुपए में मिल जाते हैं। हालांकि, सवाल यह है कि जब मोटर वीकल ऐक्ट कहता है कि बाइक के लिए हेलमेट का ISI मार्क का होना जरूरी है। हेलमेट पहनना अनिवार्य है तो फिर इन सड़कछाप हेलमेट की बिक्री पर रोक क्यों नहीं लगती और पुलिस इसके इस्तेमाल पर चालान क्यों नहीं काटती, यह भी एक दीगर सवाल है।

-50 रुपए में मिलने वाले कैप को देखकर दिल्ली ट्रैफिक पुलिस को हेलमेट का भ्रम हो सकता है और आप 100 रुपये के चालान से बच भी जाएंगे, लेकिन यकीन मानिए ऐसा हेलमेट आंचल या पल्लू से ज्यादा नहीं। ये हेलमेट आपको चोट से बचाव की गारंटी नहीं देता लेकिन पुलिस के चालान से जरूर बचा लेता है। अपनी इसी खासियत की वजह से बाजार में सस्ते हेलमेट की खासी डिमांड है और जब डिमांड होगी तो सप्लाई भी होगी और प्रॉडक्शन भी होगा।

दिल्ली गेट पर हेलमेट के विक्रेता सिद्धार्थ चड्ढा बताते हैं कि सस्ते हेलमेट की भी खपत है। 50 फीसदी ही लोग होंगे जिन्हें ISI मार्क वाला हेलमेट चाहिए होता है। बाकी तो सस्ते की ही डिमांड करते हैं। हमारे यहां 40 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक का हेलमेट है।

दरअसल सस्ते हेलमेट के प्रॉडक्शन पर कोई रोक नहीं है क्योंकि ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड की मैंडेट्री लिस्ट में हेलमेट का जिक्र नहीं है। ऐसे में नॉन-ISI यानी घटिया क्वॉलिटी के हेलमेट बनाना कानूनन जुर्म नहीं, भले ही मोटर वीकल ऐक्ट इसे पहनकर बाइक चलाने की इजाजत न दे। लेकिन आपको बता दें कि अगर आप सस्ते हेलमेट का इस्तेमाल करते हैं तो सर में चोट आने पर इंश्योरेंस क्लेम नहीं मिलेगा।

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दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक,  2014 में बिना हेलमेट वाले 2 लाख 48 हजार 357 लोगों का चालान हुआ। जबकि, इस साल मई तक 2 लाख 68 हजार 585 लोगों का चालान कटा। हर महीने औसतन 30 लोगों की मौत हेलमेट की वजह से होती है। पिछले साल 1221 टू वीलर्स का ऐक्सिडेंट हुआ जिसमें  247 लोगों की मौत हुई जबकि 1179 लोग घायल हुए। वहीं  2015 में मरने वालों की तादाद 209 है जबकि 1268 लोग घायल हुए।