यूनिवर्सिटी टीचरों के लिए आरक्षण नीति में कोई बदलाव नहीं : यूजीसी

यूनिवर्सिटी टीचरों के लिए आरक्षण नीति में कोई बदलाव नहीं : यूजीसी

नई दिल्ली:

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कहा है कि विश्वविद्यालयों में फैकल्टी पदों के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) उम्मीदवारों के लिए आरक्षण नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।

यूजीसी ने विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को भेजे एक पत्र में कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में फैकल्टी पदों के लिए आरक्षण नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। इसके अलावा विश्वविद्यालयों, डीम्ड विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अनुदान प्राप्त संस्थानों एवं केंद्रों में सरकार की आरक्षण नीति के सख्त अनुपालन के दिशानिर्देशों में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है।

यूजीसी की प्रतिक्रिया आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के यह दावा करते हुए एनडीए सरकार पर हमले की पृष्ठभूमि में आई है कि वह आरक्षण को समाप्त करना चाहती है।

लालू ने मंगलवार को दावा किया कि केंद्र सरकार केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसरों की भर्ती में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण को समाप्त कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह दलित मसीहा बीआर अंबेडकर की विचारधारा की हत्या करने का प्रयास है। इससे पहले यूजीसी ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को भेजे 3 जून की तिथि वाले एक पत्र में आरक्षण नीति का क्रियान्वयन नियमों के अनुरूप करने को कहा था।

यूजीसी ने पत्र में कहा था कि शिक्षण पदों के सभी तीन स्तरों असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के लिए अनुसूचित जाति के लिए 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण लागू है। पत्र में कहा गया था कि ओबीसी के मामले में 27 प्रतिशत आरक्षण असिसटेंट प्रोफेसर के स्तर पर ही लागू है।

यूजीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2007 में स्थापित नियमों के तहत फैकल्टी नौकरियों में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को प्रवेश स्तर पर ही इजाजत है।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)


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