अविश्वास प्रस्ताव की बाजी भले ही जीत गई हो मोदी सरकार, लेकिन 2019 में हो सकती है बड़ी मुश्किल

राहुल गांधी ने राफेल डील का मुद्दा उठाकर साफ छवि वाली मोदी सरकार पर सवाल खड़े किये हैं और यह पहली बार था कि जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में इतना आक्रामक और तथ्यों के साथ भाषण दिया है.

अविश्वास प्रस्ताव की बाजी भले ही जीत गई हो मोदी सरकार, लेकिन 2019 में हो सकती है बड़ी मुश्किल

2019 के चुनाव में मोदी सरकार के खिलाफ कई मुद्दों पर घेरेगी

खास बातें

  • संयुक्त विपक्ष की ताकत बड़ी मुश्किल
  • राहुल गांधी में 2014 से काफी बदलाव
  • बेरोजगारी का मुद्दा कर सकता है परेशान
नई दिल्ली:

संसद में पीएम मोदी की अगुवाई में भले हीएनडीए ने अविश्वास प्रस्तावकी बाजी जीत ली हो लेकिन उसके सामने कई चुनौतियां सामने खड़ी होने जा रही हैं. लोकसभा चुनाव से पहले आये इस अविश्वास प्रस्ताव में विपक्ष ने सरकार की दुखती रगों पर हाथ रखा है. राहुल गांधी ने राफेल डील का मुद्दा उठाकर साफ छवि वाली मोदी सरकार पर सवाल खड़े किये हैं और यह पहली बार था कि जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संसद में इतना आक्रामक और तथ्यों के साथ भाषण दिया है. वहीं कई विपक्षी दल एक साथ आये और बैंकिग घोटाला, रोजगार के मुद्दे पर सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. अविश्वास प्रस्ताव के दौरान जिन मुद्दों पर विपक्ष ने सरकार को घेरा है वो लोकसभा चुनाव में भी एजेंडा होंगे. 

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मोदी सरकार को परेशान कर सकते हैं ये मुद्दे
विपक्ष संसद में लगातार बेरोजगारी, भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रहा है. मोदी सरकार इन दोनों ही मोर्चों पर कुछ खास नहीं कर पाई है. सरकार की ओर से जो भी आंकड़े पेश किये जाते हैं वो हकीकत कोसों दूर नजर आते हैं. दूसरी ओर राफेल डील और बैंकिंग घोटाले के मुद्दों पर भी मोदी सरकार घिरी हुई नजर आती है. देश में विदेशी सौदों को हमेशा से ही शक नजर देखा जाता रहा है क्योंकि कई घोटाले इनसे जुड़कर सामने आ चुके हैं. मोदी सरकार बार इस डील को लेकर सफाई दे रही है और फ्रांस सरकार की ओर से भी बयान आया है लेकिन विपक्ष जनता के बीच जरूर ले जायेगा. दूसरी ओर बैंकिग घोटाले के आरोपी नीरव मोदी, विजय माल्या एनडीए के शासनकाल के समय ही फरार हुये हैं. 

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संयुक्त विपक्ष की ताकत
अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विपक्ष के कई बड़े दल सदन में संयुक्त रूप से मोदी सरकार के सामने खड़े हुये. एसपी, एनसीपी के सदस्यों ने राहुल गांधी को भाषण के दौरान पूरा समर्थन दिया. विरोधी दलों की इसी ताकत को समझते हुये कांग्रेस यूपीए का कुनबा बढ़ाने में जुटी है. गोरखपुर, फूलपुर और कैराना के लोकसभा उपचुनाव में एकजुटता ने ही बीजेपी को हरा दिया था.  

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बदल गये हैं राहुल गांधी
2014 से अब राहुल गांधी में बड़ा बदलाव आ चुका है. अब वह सीधे पीएम मोदी पर प्रहार करते हैं औक आक्रामक शैली में सवाल-जवाब करते हैं. उनके भाषणों में पहले से ज्यादा पैनापन है और वह गुजरात चुनाव में भी बीजेपी के लिये मुश्किल खड़ी कर चुके हैं. अब उनके कई सवालों का बीजेपी के पास सीधा कोई जवाब नहीं है फिर चाहे वह बेरोजगारी, बैंकिग घोटाला, गोरक्षा के नाम पर हिंसा जैसे मुद्दे ही क्यों न हों.

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शिवसेना ने दिखाये तेवर
कभी बीजेपी की सबसे निकट सहयोगी रही शिवसेना अविश्वास प्रस्ताव में वोटिंग से दूर रही. इतना ही नहीं उसने राहुल गांधी के भाषण की तारीफ भी की है. इससे साफ जाहिर है कि महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में शिवसेना इस बार बीजेपी के लिये बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है.
 


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