मंदसौर फायरिंग : किसानों पर गोलियां चलाने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं

मंदसौर में किसान आंदोलन को लेकर पुलिस ने 46 एफआईआर दर्ज की है. इन सभी मामलों में प्रदर्शनकारी किसानों पर हिंसा और आगजनी फैलाने के केस दर्ज किए गए हैं.

मंदसौर फायरिंग : किसानों पर गोलियां चलाने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं

फाइल फोटो

खास बातें

  • मंदसौर में किसानों के प्रदर्शन को लेकर पुलिस ने 46 एफआईआर दर्ज की है
  • किसानों पर हिंसा और आगजनी फैलाने के केस दर्ज किए गए हैं
  • पुलिस फायरिंग की जांच के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने बनाया आयोग
भोपाल:

मध्य प्रदेश के मंदसौर में पिछले हफ्ते किसान आंदोलन के दौरान कथित रूप से पुलिस फायरिंग में पांच किसानों के मारे जाने के करीब एक हफ्ते बाद पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने एनडीटीवी से इस बात की पुष्टि की है कि इस मामले में किसी पुलिसवाले के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है.

मंदसौर जिले में किसान आंदोलन को लेकर पुलिस ने 46 एफआईआर दर्ज की हैं. इन सभी मामलों में प्रदर्शनकारी किसानों पर हिंसा और आगजनी फैलाने के केस दर्ज किए गए हैं, लेकिन पुलिस के खिलाफ एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ है. मध्य प्रदेश में कर्जमाफी और फसलों की उचित मांग को लेकर किसानों ने जगह-जगह उग्र प्रदर्शन किया था.

सरकार ने मंदसौर पुलिस फायरिंग की घटना की जांच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में एक-सदस्यीय आयोग गठित किया है. सोमवार को राज्य की गृह सचिव मधु खरे का तबादला कर दिया गया. इससे पहले दो अन्य अफसरों के ट्रांसफर किए गए थे.

सुप्रीम कोर्ट के एक वकील संजय हेगड़े ने एनडीटीवी को बताया कि पुलिस फायरिंग की जांच के लिए सिर्फ न्यायिक आयोग ही काफी नहीं है. कानून के मुताबिक पांच किसानों के मारे जाने के बारे में एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए और जांच की शुरुआत की जानी चाहिए. पुलिस अधिकारियों ने दलील थी कि उन्हें आत्मरक्षा में गोलियां चलानी पड़ी और किसी पुलिसवाले के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है.

पुलिस की गोली से मारे गए 12वीं के छात्र अभिषेक पाटीदार के भाई मधुसूदन पाटीदार कहते हैं कि प्रदर्शनकारियों ने ऐसा कोई खतरा नहीं पैदा कर दिया था, जिसके लिए पुलिसवालों को गोली चलाकर लोगों की जान लेने की जरूरत थी.
मधुसूदन खुद भी घटनास्थल पर मौजूद थे. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, पुलिस ने बिना कोई चेतावनी दिए सीधे गोलियां चलानी शुरू कर दी. हम वहां खड़े थे. अगर उन्होंने लोगों को चेतावनी दी होती, तो सभी लोग भाग गए होते. कोई क्यों गोली खाने के लिए रहता?

मध्य प्रदेश सरकार ने पहले तो इस बात से इनकार कर दिया था कि मंदसौर में पांच किसानों की मौत पुलिस की फायरिंग से हुई. बाद में 6 जून को राज्य सरकार ने माना कि किसानों की मौत पुलिस फायरिंग में ही हुई. पुलिस कार्रवाई में घायल होने के बाद छठे शख्स की मौत अगले दिन हो गई.


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com