CVC जांच की निगरानी करने वाले जस्टिस पटनायक बोले, आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के कोई सबूत नहीं

सीबीआई केस में आलोक वर्मा (Alok Verma) को सीबीआई के डायरेक्टर पद से हटाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एके पटनायक ने एनडीटीवी से कहा कि आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के कोई साक्ष्य नहीं हैं.

CVC जांच की निगरानी करने वाले जस्टिस पटनायक बोले, आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के कोई सबूत नहीं

आलोक वर्मा को हटाए जाने पर जस्टिस एके पटनायक की प्रतिक्रिया

नई दिल्ली:

सीबीआई केस में आलोक वर्मा (Alok Verma) को सीबीआई के डायरेक्टर पद से हटाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एके पटनायक ने एनडीटीवी से कहा कि आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के कोई साक्ष्य नहीं हैं. जस्टिस पटनायक ने कहा, पीएम मोदी के नेतृत्व वाले पैनल द्वारा आलोक वर्मा को हटाना बहुत ही जल्दबाजी में लिया गया निर्णय था. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सीवीसी के निष्कर्ष मेरे नहीं हैं. बता दें कि आलोक वर्मा के खिलाफ जांच पूरी तरह से सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की शिकायत पर आधारित थी. आलोक वर्मा के खिलाफ केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा कथित भ्रष्टाचार की जांच की निगरानी जिम्मा एके पटनायक को ही सौंपा गया था.

सीबीआई चीफ के पद से हटाए जाने के एक दिन बाद ही आलोक वर्मा ने दिया इस्तीफा

दरअसल, गुरुवार को पीएम मोदी के नेतृत्व में सेलेक्शन कमेटी ने 2-1 के फैसले से आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटा दिया था. हालांकि, मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस फैसले का विरोध किया, वहीं सीजेआई रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के तौर पर कमेटी में शामिल जस्टिस सिकरी ने पीएम मोदी के निर्णय का समर्थन किया था. सीबीआई से हटाने के बाद आलोक वर्मा को गृह मंत्रालय के तहत अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स निदेशक नियुक्त किया गया, जिसे लेने से उन्होंने इनकार कर दिया और शुक्रवार को उन्होंने सेवा से इस्तीफा दे दिया. 

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आलोक वर्मा ने त्याग पत्र में लिखा- चयन समिति ने उन्हें हटाने का निर्णय लेने से पहले अपनी बात सिलसिलेवार ढंग से रखने का मौका नहीं दिया, जैसा कि सीवीसी में रिकॉर्ड हुआ था. मुझे सीबीआई के डायरेक्टर पद से हटा दिया गया और इस प्रक्रिया में स्वाभाविक न्याय का गला घोंटा गया और पूरी प्रक्रिया को उलट-पुलट दिया गया. चयन समिति ने इस तथ्य पर विचार नहीं किया कि सीवीसी की पूरी रिपोर्ट एक ऐसे शिकायतकर्ता के आरोपों पर आधारित थी जो खुद सीबीआई जांच के घेरे में है.' आलोक वर्मा ने अपने त्याग-पत्र में कहा कि यह ‘सामूहिक आत्ममंथन' का क्षण है. 

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बता दें कि सीबीआई निदेशक का प्रभार फिलहाल अतिरिक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव के पास है. प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी हैं. न्यायमूर्ति सीकरी को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया है. 

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