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खास बातें
- अन्ना हजारे ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कहा कि हम बार-बार अनशन करके खुश नहीं हो रहे हैं, लेकिन देश और देशवासियों के हित में ऐसा करना पड़ रहा है।
नई दिल्ली: अपनी टीम के साथ अनशन पर बैठने से एक दिन पहले अन्ना हजारे ने एनडीटीवी की बरखा दत्त से खास बातचीत में कहा कि हम बार-बार अनशन करके खुश नहीं हो रहे हैं, लेकिन देश और देशवासियों के हित में ऐसा करना पड़ रहा है। हम जनलोकपाल बिल चाह रहे हैं, क्योंकि लोग भ्रष्टाचार से बहुत परेशान हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव लड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है, लेकिन वह लोगों से अपील करेंगे कि वे अपनी पसंद के लोगों को चुनाव में खड़े होने को कहें।
अपनी टीम के अनशन को लेकर इस बार लोगों के ठंडे उत्साह के बारे में उन्होंने कहा कि पांच लोगों की उपस्थिति से भी आंदोलन को चलाया जा सकता है। भीड़ का किसी आंदोलन के प्रभाव से कोई लेनादेना नहीं होता है। अन्ना कहा कि भ्रष्टाचार मिटाने के बारे में सरकार की नीयत साफ नहीं है और वह बार-बार जनलोकपाल बिल को अटकाए रखने की कोशिश करती रहती है।
अन्ना हजारे ने कहा कि उन्हें इस सरकार से कोई उम्मीद नहीं है और वह 29 जुलाई से अनशन पर बैठेंगे, क्योंकि उन्होंने चार दिन का वक्त दिया था, लेकिन सरकार ने कोई पहल नहीं की। अन्ना ने कहा कि जब सलमान खुर्शीद के साथ उनकी मुलाकात हुई तो उन्हें कुछ समाधान निकलने की उम्मीद थी, लेकिन आखिर में निराशा ही हाथ लगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रणब मुखर्जी चूंकि अब राष्ट्रपति बन गए हैं, इसलिए उन पर व्यक्तिगत हमले नहीं होने चाहिए।
उधर, जंतर-मंतर पर टीम अन्ना के अनशन के चौथे दिन खुशगवार मौसम और सप्ताहांत होने के बावजूद लोगों की सीमित मौजूदगी ही दिखी। अन्ना हजारे खुद 11 बजे मुख्य मंच पर पहुंचे।
अनशन स्थल से शुक्रवार को गायब रहीं किरण बेदी आज वापस आ चुकी हैं। सिक्किम में भूमि अधिग्रहण और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे वाईके लेप्चा भी आए। उन्होंने हजारे को वहां की पारंपरिक टोपी पहनाई। टीम अन्ना द्वारा भारी संख्या में लोगों से एकत्र होने की अपील किए जाने के बावजूद अनशन स्थल अब भी पूरी तरह से गुलजार नहीं दिख रहा है। दोपहर में करीब 400-500 लोग ही दिख रहे थे।
टीम अन्ना के सदस्य देशभक्तिपूर्ण गाने पेश कर भीड़ का हौसला बढ़ा रहे हैं, वहीं मंच के इर्द-गिर्द कुछ विशेष अंदाज में आए लोगों की मौजूदगी भी दिख रही है। छुट्टी के बहाने कुछ लोग छोटे-छोटे समूहों में आ रहे हैं।