राज्यपाल ने कहा कि सरकार के एक फैसले ने पूरे देश को लाइन में लगा दिया
खास बातें
- राज्यपाल सदाशिवम सुप्रीम कोर्ट के जज भी रह चुके हैं
- सदाशिवम ने नोटबंदी में RBI को बताया मूक भागीदार
- नकद निकासी की सीमा को क्रुर और निर्दयी फैसला बताया
तिरुवनंतपुरम: नोटबंदी का असर भले ही अब खत्म हो गया हो, लेकिन केंद्र सरकार पर इस मुद्दों को लेकर हमले अभी भी जारी हैं. ताजा मामले में केरल के राज्यपाल पी. सदाशिवम ने तो नोटबंदी को भारत के वित्तीय इतिहास की सबसे बड़ी विनाशकारी तबाही तक कह डाला.
राज्यपाल ने यह टिप्पणी साल के पहले विधानसभा सत्र के उद्घाटन भाषण के दौरान की.उन्होंने पिछले चार महीने का वर्णन करते हुए कहा, "8 नवंबर, 2016 को भारत सरकार ने नोटबंदी का हठपूर्वक आवेशपूर्ण संस्करण लागू किया, जिसने चुनिंदा तरीके से 500 और 1000 रुपये के नोट को प्रचलन से बाहर कर दिया."
उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार पुराने नोटों को बदलने के लिए किसी ठोस प्रणाली की स्थापना करने में नाकाम रही. उन्होंने कहा कि इस कदम को प्रकट रूप में'प्रणाली से काले धन को निकालने वाला बताया.
नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला जारी रखते हुए सदाशिवम ने बैंक खातों से नकद निकासी पर 24,000 रुपये की सीमा को क्रुर और निर्दयी फैसला बताया.उन्होंने कहा कि संविधान द्वारा जिन अधिकारों की सुरक्षा की गई है उसे महज एक कार्यकारी आदेश द्वारा हवा में उड़ा दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सदाशिवम ने ध्यान दिलाया कि इस प्रक्रिया द्वारा चलन में रही 86 फीसदी मुद्रा को खींच कर बाहर निकाल लिया गया.
राज्यपाल ने कहा, "भारतीय रिजर्व बैंक जो एक स्वतंत्र मौद्रिक प्रशासन के रूप में काम करता है, को भी इस माखौल में एक मूक भागीदार बनने के लिए मजबूर कर दिया गया."
सदाशिवम ने कहा कि केंद्र ने इसे लागू करते समय गरीबों, निम्म मध्यवर्ग, वेतनभोगी और दिहाड़ी मजदूरों की परवाह नहीं की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इसे किसी गंभीर विश्लेषण के योग्य नहीं समझा.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)