नोटबंदी का सवाल : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 10-15 दिनों में समस्‍याएं होंगी खत्‍म

नोटबंदी का सवाल : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 10-15 दिनों में समस्‍याएं होंगी खत्‍म

खास बातें

  • सरकार ने कहा कि वह हरसंभव प्रयास कर रही
  • कोई दूधवाला या किसान इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नहीं आया
  • नोटबंदी को लेकर हालात किसी तरह बिगड़े नहीं
नई दिल्ली:

नोटबंदी के मसले पर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से दो सवालों का जवाब मांगा है- क्या कोर्ट बैंक से पैसा निकालने की कोई न्यूनतम सीमा तय करे जो पूरे देश में लागू हो और कोई भेदभाव ना रहे. ऐसे में लिमिट तय की जाए जिसे बैंक इनकार ना कर सकें जैसे कि 10000 रुपये. इसी तरह जिला सहकारी बैंकों को पैसे जमा करने और निकासी का अधिकार मिले. 14 दिसंबर को इस पर अगली सुनवाई होगी.

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नोटबंदी मामले में केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार इस मामले पर पूरी तरह निगरानी रख रही है. नोटबंदी को लेकर हालात किसी तरह बिगड़े नहीं हैं. यहां तक कि कोई दूधवाला या किसान इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट नहीं आया है. ये सब मामला राजनीति से प्रेरित है. पीएम ने 31 दिसंबर तक हालात सामान्‍य होने के लिए कहा था जिसमें अभी भी वक्त है.10-15 दिनों में सरकार हालात और सामान्य करेगी. इन दिनों में नई करेंसी भी जुड़ जाएगी. लेकिन ये सारी करेंसी एक साथ नहीं छापी जाएगी जितनी पुरानी करेंसी बंद की गई है. अभी तक करीब 12 लाख करोड़ की पुरानी करेंसी जमा हुई है जबकि तीन लाख करोड़ की नई करेंसी लाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ये भी देखे कि क्या वो सरकार की आर्थिक नीति में दखल दे सकता है या नहीं.

सुप्रीम कोर्ट ने सभी से बात करके सवालों की सूची तैयार की है और कहा है कि वो इस मामले में जनवरी से सुनवाई शुरु कर सकता है.  जरूरत पड़ी तो इसके लिए पांच जजों की संविधान पीठ का गठन किया जा सकता है.  साथ ही नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र से पूछा कि क्या इस मामले में कोई रिकार्ड है? नोटबंदी से पहले दिमाग लगाया गया कि इससे कितनी करेंसी वापस आएगी? कैसे नई करेंसी छापी जाएगी?  क्या इसके लिए कोई योजना थी? सरकार को नोटबंदी के फैसले से क्या उम्मीदें थीं?

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि क्या कोर्ट बैंक से पैसा निकालने की कोई न्यूनतम सीमा तय करे जो पूरे देश में लागू हो और कोई भेदभाव ना रहे. सरकार ने 24 हजार की लिमिट तय की लेकिन बैंक लोगों को इतना भी नहीं दे पा रहे. ऐसे में लिमिट तय की जाए जिसे बैंक इनकार ना कर सकें. कोर्ट ने पूछा कि लोगों से किया वायदा पूरा होना चाहिए. इस पर अटॉर्नी जनरल (AG) से सरकार से पूछ कर जवाब मांगा है.

इसके साथ ही नोटबंदी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए मुद्दे तैयार किए, कोर्ट ने कहा इन सवालों पर ही होगी सुनवाई :

1. नोटबंदी का फैसला RBI एक्ट 26 (2) का उल्लंघन है? जिसमें कहा गया है कि केंद्रीय बोर्ड की मंजूरी से ये किया जा सकता है और किसी सीरीज के नोटों को बंद किया जा सकता है.

2. नोटबंदी का 8 नवंबर और उसके बाद के नोटिफिकेशन असंवैधानिक हैं?

3. नोटबंदी संविधान के दिए समानता के अधिकार अनुच्‍छेद 14 और व्यापार करने की आजादी से संबंधित अनुच्‍छेद 19 जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हैं?

4. नोटबंदी के फैसले को बिना तैयारी के साथ लागू किया गया जबकि ना तो नई करेंसी का सही इंतजाम था और ना ही देश भर में कैश पहुंचाने का?

5. बैंकों और ATM से पैसा निकालने की सीमा तय करना लोगों के अधिकारों का हनन है ?

6 जिला सहकारी बैंको में पुराने नोट जमा करने और नए रुपये निकालने पर रोक सही नहीं है?

 7. कोई राजनीतिक पार्टी जनहित के याचिका के तहत सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर सकती है ?

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से AG मुकुल रोहतगी ने सवाल उठाया कि CPM जैसी राजनीतिक पार्टी कैसे जनहित याचिका दाखिल कर सकती है? चीफ जस्टिस ठाकुर ने कहा कि वो इस मामले की सुनवाई भी करेंगे. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया अब तक 12 लाख करोड़ की पुरानी करेंसी जमा हो चुकी है. वहीं पी चिदंबरम ने कहा कि जिस तरीके के इंतजाम हैं, उससे साफ है कि सरकार को नई करेंसी छापने मे पांच महीने का वक्त लगेगा.

सुप्रीम कोर्ट नोटबंदी मामले में अहम सुनवाई कर रहा है।  पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह कोऑपरेटिव बैंकों की मांग पर विचार करे जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्हें बैंकिंग ऑपरेशन की इजाजत नहीं दी गई है.

कोऑपरेटिव बैंकों की ओर से कहा गया है कि उन्हें बैंकिंग ट्रांजक्शन की इजाजत नहीं दी गई है इस कारण ग्राहकों को मुश्किल हो रही है और जो भी खाताधारक हैं उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है वो न तो पैसे निकाल पा रहे हैं और न ही जमा कर पा रहे हैं.  सुनवाई के दौरान केरल और महाराष्ट्र के कोऑपरेटिव बैकों की ओर से कहा गया कि नोटबंदी के बाद बैंकिंग ऑपरेशन की इजाजत नहीं होने के कारण वह खाताधारकों को पेमेंट नहीं कर पा रहा है और पेंशन नहीं दे पा रहे हैं.

8 से 14 नवंबर के बीच जो पैसे जमा किए गए उनके बारे में क्या उपाय किया जाए. गांव से संबंधित इकोनॉमी बदहाली पर पहुंच चुकी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा है कि आप बताएं कि इन्हें क्यों नहीं देख रहे हैं. तब अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इनके मामले को भी देखा जा रहा है लेकिन मुश्किल ये है कि कोऑपरेटिव बैंकों का इन्फ्रास्ट्रक्चर ठीक नहीं है. इनके पास नियमित बैंकों की तरह कंप्यूटराइजेशन से लेकर अन्य सुविधाएं नहीं है कि जाली नोटों की पहचान हो सके और ब्लैक मनी से बचाव हो सके. ऐसे में इसी कारण ही इन बैंकों को बैंकिंग ट्रांजक्शन से दूर रखा गया है.

वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट पी. चिदंबरम ने कहा कि देश भर में 371 कोऑपरेटिव  बैंक हैं और इस कारण अर्थव्यवस्था पर असर हो रहा है। इसी बीच अटॉर्नी जनरल ने तमाम केसों के ट्रांसफर का मुद्दा उठाया और कहा कि देश भर में रोजाना नोटबंदी मामले में पिटिशन फाइल हो रही है.

देश भर में ऐसे 70 अर्जी दाखिल हो चुके हैं, सुप्रीम कोर्ट में 15 अर्जियां दाखिल की गई है. ऐसे में तमाम मामले को एक हाई कोर्ट ट्रांसफर किया जाना चाहिए. इस पर चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि अदालतें होंगी और मामले होंगे तो कोर्ट में लोग आएंगे ही.


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