केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले आईएएस अधिकारियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति के बिना निलंबित नहीं किया जा सकेगा। इस कदम का उद्देश्य नौकरशाहों को बिना किसी राजनीतिक खौफ के सही फैसले करने की आजादी देना है।
संशोधित नियमों में आईएएस, आईपीएस और आईएफओएस को राहत
संशोधित नियमों में अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों आईएएस, आईपीएस और आईएफओएस को भी राहत प्रदान की गई है जो विभिन्न राज्यों में कार्य कर रहे हैं। इसके तहत यदि राज्यों द्वारा किसी अधिकारी को निलंबित किया जाता है तो केंद्र को 48 घंटे के भीतर सूचित करना होगा तथा 15 दिन के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट देनी होगी।
निलंबन की अवधि तीन महीने से घटाकर दो महीने की गई
नियमों में केंद्र एवं राज्यों द्वारा किसी अधिकारी के निलंबन की अवधि तीन महीने से घटाकर दो महीने कर दी गई है। निलंबन आदेश यदि बढ़ाया जाता है तो वह वर्तमान के छह महीने की अवधि की जगह चार महीने तक वैध होगा।
नए नियमों में कहा गया है, ‘‘केंद्र सरकार के तहत काम करने वाले आईएएस अधिकारियों को केवल केंद्रीय समीक्षा समिति की सिफारिशों पर ही निलंबित किया जाएगा।’’
प्रधानमंत्री कार्मिक, लोकशिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के प्रभारी हैं, जिसके तहत आने वाले विभागों में एक डीओपीटी भी है। तीन सदस्यीय केंद्रीय समीक्षा समिति का नेतृत्व डीओपीटी में सचिव करेगा और इस्टैब्लिशमेंट ऑफिसर और संबंधित मंत्रालय का एक अन्य सचिव इसके सदस्य होंगे।
सरकार का उद्देश्य नौकरशाही से भ्रष्टाचार मिटाना है
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘सरकार का उद्देश्य नौकरशाही से भ्रष्टाचार मिटाना है और हम अधिकार अनुकूल वातारण मुहैया कराना चाहते हैं ताकि कोई भी अधिकारी सरकारी नियमों से भयभीत होकर अपना प्रदर्शन नहीं छोड़े।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नए नियम ईमानदार अधिकारियों को प्रोत्साहित करेंगे और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करेंगे।’’
यह कदम इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि अशोक खेमका, दुर्गा शक्ति नागपाल और कुलदीप नारायण सहित अन्य अधिकारियों को कथित तौर पर मनमाने ढंग से निलंबन एवं स्थानांतरण झेलना पड़ा है।