असम में NRC लिस्ट : 1950 से लेकर 31 अगस्त 2019 तक की पूरी कहानी

लिस्ट में 19 लाख 6,657 लोगों के नाम नहीं हैं. जबकि इस लिस्ट में अब 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार लोगों के नाम हैं. पिछले साल आई एनआरसी की ड्राफ़्ट सूची में क़रीब 40 लाख लोगों के नाम नहीं थे.

असम में NRC लिस्ट : 1950 से लेकर 31 अगस्त 2019 तक की पूरी कहानी

नई दिल्ली: असम में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी की अंतिम लिस्ट गृह मंत्रालय ने जारी कर दी गई है. इस लिस्ट में 19 लाख 6,657 लोगों के नाम नहीं हैं. जबकि इस लिस्ट में अब 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार लोगों के नाम हैं. पिछले साल आई एनआरसी की ड्राफ़्ट सूची में क़रीब 40 लाख लोगों के नाम नहीं थे. जिसमें ड्राफ़्ट सूची से बाहर किए गए क़रीब 21 लाख लोगों के नाम जोड़ दिए गए हैं. इस लिस्ट में जिनका नाम है वही देश के नागरिक माने जाएंगे और जिनका नाम नहीं होगा वो विदेशी माने जाएंगे. हालांकि मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा है कि जिन लोगों के नाम इस लिस्ट में नहीं हैं उन्हें परेशान होने की ज़रूरत नहीं है. वो ट्रिब्युनल में अपील कर सकते हैं. 'आजादी के बाद से राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के प्रकाशन तक असम में आव्रजन से जुड़े मामले से जुड़े घटनाक्रम इस प्रकार हैं.

असम में NRC से जुड़े इतिहास की पूरी कहानी

  1. 1950: बंटवारे के बाद तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से असम में बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आने के बाद प्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम लागू किया गया. 

  2. 1951: स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना हुई. इसके आधार पर पहला एनआरसी तैयार किया गया.

  3. 1957: प्रवासी (असम से निष्कासन) कानून निरस्त किया गया. 

  4. 1964-1965: पूर्वी पाकिस्तान में अशांति के कारण वहां से शरणार्थी बड़ी संख्या में आए.

  5. 1971: पूर्वी पाकिस्तान में दंगों और युद्ध के कारण फिर से बड़ी संख्या में शरणार्थी आए. स्वतंत्र बांग्लादेश अस्तित्व में आया.    

  6. 1979-1985: विदेशियों की पहचान करने, देश के नागरिक के तौर पर उनके अधिकारी छीनने, उनके निर्वासन के लिए असम से छह साल आंदोलन चला जिसका नेतृत्व अखिल असम छात्र संघ (आसू) और अखिल असम गण संग्राम परिषद (एएजएसपी) ने किया.

  7. 1983: मध्म असम के नेल्ली में नरसंहार हुआ जिसमें 3000 लोगों की मौत हुई. अवैध प्रवासी (न्यायाधिकरण द्वारा निर्धारण) अधिनियम पारित किया गया. 

  8. 1985: तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौजूदगी में केंद्र, राज्य, आसू और एएजीएसपी ने असम समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसमें अन्य खंडों के अलावा यह भी कहा गया कि 25 मार्च 1971 को या उसके बाद आए विदेशियों को निष्कासित किया जाएगा.

  9. 1997: निर्वाचन आयोग ने उन मतदाताओं के नाम के आगे ‘डी' (संदेहास्पद) जोड़ने का फैसला किया जिनके भारतीय नागरिक होने पर शक था.    

  10. 2005: उच्चतम न्यायालाय ने आईएमडीटी कानून को असंवैधानिक घोषित किया. केंद्र, राज्य सरकार और आसू की बैठक में 1951 एनआरसी के अद्यतन का फैसला किया गया, लेकिन कोई बड़ी घटना नहीं हुई.    

  11. 2009: एक गैर सरकारी संगठन असम पब्लिक वर्क्स (एपीडब्ल्यू) ने मतदाता सूची से विदेशियों के नाम हटाए जाने और एनआरसी के अद्यतन की अपील करते हुए उच्चतम न्यायालय में मामला दायर किया.

  12. 2010: एनआरसी के अद्यतन के लिए चायगांव, बारपेटा में प्रायोगिक परियोजना शुरू हुई. बारपेटा में हिंसा में चार लोगों की मौत हुई. परियोजना बंद कर दी गई    

  13. 2013: उच्चतम न्यायालय ने एपीडब्ल्यू की याचिका की सुनवाई की. केंद्र, राज्य को एनआरसी के अद्यतन की प्रक्रिया आरंभ करने का आदेश दिया. एनआरसी राज्य समन्वयक कार्यालय की स्थापना.

  14. 2015: एनआरसी अद्यतन की प्रक्रिया आरंभ.    

  15. 2017: 31 दिसंबर को मसौदा एनआरसी प्रकाशित हुआ जिसमें 3.29 करोड़ आवेदकों में से 1.9 करोड़ के नाम प्रकाशित किए गए.    

  16. 30 जुलाई, 2018: एनआरसी की एक और मसौदा सूची जारी की गई.  इसमें 2.9 करोड़ लोगों में से 40 लाख के नाम शामिल नहीं किए गए.    

  17. 26 जून 2019: 1,02,462 लोगों की अतिरिक्त मसौदा निष्कासन सूची प्रकाशित.    

  18. 31 अगस्त, 2019: अंतिम एनआरसी जारी.    



(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)