ओडिशा के सेवानविृत्त न्यायाधीश सहित 6 सीबीआई की हिरासत में

सीबीआई ने गुरुवार को इन सभी को चार दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया. एक सीबीआई अधिकारी ने बताया कि एजेंसी ने इस मामले में चल रही जांच से संबंधित पूछताछ करते हुए बुधवार रात कुद्दुसी के साथ चार अन्य व्यक्तिों बीपी यादव, पलाश यादव, विश्वनाथ अग्रवाल और राम देव सारस्वत को गिरफ्तार किया.

ओडिशा के सेवानविृत्त न्यायाधीश सहित 6 सीबीआई की हिरासत में

प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली:

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आईएम कुद्दुसी व पांच अन्य को गिरफ्तार किया है. उन पर सरकार द्वारा मेडिकल छात्रों के दाखिले पर रोक के बावजूद उत्तर प्रदेश स्थित एक शैक्षिक ट्रस्ट की मदद करने का आरोप है. सीबीआई ने गुरुवार को इन सभी को चार दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया. एक सीबीआई अधिकारी ने बताया कि एजेंसी ने इस मामले में चल रही जांच से संबंधित पूछताछ करते हुए बुधवार रात कुद्दुसी के साथ चार अन्य व्यक्तिों बीपी यादव, पलाश यादव, विश्वनाथ अग्रवाल और राम देव सारस्वत को गिरफ्तार किया. 

अधिकारी ने कहा कि छठीं आरोपी भावना पांडेय को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया. कुद्दुसी व अन्य आरोपियों को गुरुवार को विशेष न्यायाधीश मनोज जैन के समक्ष प्रस्तुत किया गया. उन्होंने सीबीआई को उनसे 25 सितंबर तक पूछताछ करने की इजाजत दे दी. सीबीआई ने मामले में पूरी साजिश का खुलासा करने के लिए आरोपियों को एक दूसरे से सामना कराए जाने को आधार बनाते हुए अदालत से हिरासत की मांग की. जांच एजेंसी ने मंगलवार को भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आपराधिक साजिश रचने के आरोप में मामला दर्ज किया और दिल्ली, लखनऊ और भुवनेश्वर में आठ जगहों पर छापेमारी की. 

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कुद्दुसी के दक्षिणी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके में स्थित आवास सहित अन्य ठिकानों पर मारे गए छापों में सीबीआई ने 1.91 करोड़ रुपये बरामद किए. अधिकारी ने कहा कि आरोपियों की हिरासत की मांग को लेकर उन्हें यहां अदालत में पेश किया गया.

सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि बी.पी. यादव और पलाश यादव लखनऊ स्थित प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट चलाते थे, जो प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज का संचालन करता है.
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यह संस्थान उन 46 कॉलेजों में से एक है जिसे सरकार ने लचर सुविधाओं और आवश्यक मानदंडों की पूर्ति करने में असमर्थ रहने पर अगले दो सालों के लिए (2019 तक) मेडिकल छात्रों का दाखिला लेने से रोक दिया था. 


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