नोटबंदी पर पश्चिम बंगाल ने केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा, अब जीएसटी की डगर कठिन

नोटबंदी पर पश्चिम बंगाल ने केंद्र को चेतावनी देते हुए कहा, अब जीएसटी की डगर कठिन

खास बातें

  • नोटबंदी से राज्‍यों के राजस्‍व को हो रहा नुकसान
  • इससे पहले राज्‍य जीएसटी से होने वाले नुकसान की तैयारी कर रहे थे
  • ऐसे में नोटबंदी राज्‍यों पर दोहरा आघात है
नई दिल्ली:

सरकार के एकाएक नोटबंदी के फैसले से कई दशकों में सबसे बड़ा टैक्‍स सुधार माने जाने वाले वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अमलीजामा पहनाए जाने पर खतरा मंडराने लगा है. पश्चिम बंगाल के वित्‍त मंत्री अमित मित्रा का ऐसा कहना है. अमित मित्रा जीएसटी परिषद में शामिल हैं जोकि इस टैक्‍स की दर और दायरे का ड्राफ्ट तैयार कर रही है.

उन्‍होंने NDTV से कहा कि अब इस टैक्‍स सुधार को अगले साल अप्रैल में लागू किए जाने की संभावना क्षीण हो गई है और इसके सहयोग पर पुनर्विचार के लिए वह बाकी राज्‍यों के वित्‍त मंत्रियों से बात करेंगे. उल्‍लेखनीय है कि इन सुधारों को आर्थिक विकास के लिए बेहद अहम माना जा रहा है.  

अमित मित्रा ने NDTV से कहा, ''नोटबंदी के बाद जीएसटी राज्‍यों के लिए दोहरी मुसीबत का सबब बनेगा.'' उल्‍लेखनीय है कि पूरे देश में एकल बाजार बनाने के मकसद से जीएसटी तमाम केंद्रीय और राज्‍य करों का स्‍थान लेगा. इसके चलते राज्‍यों के करों के हटने से उनके नुकसान की भरपाई केंद्र अगले पांच वर्षों तक करेगा.

हालांकि अमित मित्रा ने कहा कि पीएम मोदी के आठ नवंबर को 500 और 1000 के पुराने नोटों को बंद करने की एकाएक घोषणा के बाद आर्थिक मंदी की स्थिति उत्‍पन्‍न हो गई है और इस योजना के लागू होने से पहले ही राज्‍यों के राजस्‍व को अधिक नुकसान होने लगा है.

मित्रा ने कहा कि सरकार को दोबारा जोड़-घटाव करना चाहिए और इसके चलते अगले अप्रैल में इसे लागू किए जाने पर संशय उत्‍पन्‍न हो गया है. नतीजतन सरकार को सही समय पर जीएसटी लागू करने पर अब विचार करना चाहिए. उन्‍होंने कहा, ''अर्थशास्‍त्र का छात्र होने के नाते मुझे नहीं लगता कि जीएसटी इस वक्‍त (अप्रैल 2017) लागू हाे सकता है.''

अमित मित्रा की पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पहले ही नोटबंदी के फैसले को वापस लेने की मांग की है लेकिन सरकार ने सीधे तौर पर इसे खारिज कर दिया. अमित मित्रा इससे पहले जीएसटी की रूपरेखा तैयार करने वाली स्‍पेशल कमेटी के मुखिया रह चुके हैं. अब जीएसटी काउंसिल टैक्‍स की विस्‍तृत रूपरेखा तैयार करने का काम कर रही है और इसमें केंद्रीय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली के साथ राज्‍यों के वित्‍त मंत्री शामिल हैं. इसमें कुछ अहम मसलों का समाधान भी निकाला गया है मसलन सेल्‍स टैक्‍स की प्रणाली क्‍या होगी और इसके संग्रह के लिए नियमों के ड्राफ्ट पर सहमति भी बन गई है.

अर्थशास्त्रियों समेत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि नोटबंदी के फैसले से आर्थिक वृद्धि की रफ्तार में तकरीबन दो प्रतिशत तक गिरावट दर्ज की जा सकती है.

नोटबंदी के फैसले को 'टैक्‍टोनिक' हिट करार देते हुए अमित मित्रा ने कहा, ''मैं जीएसटी की टाइमिंग को लेकर बेहद चिंतित हूं. अब लोग मंदी की बात करने लगे हैं. इसके चलते जीडीपी में दो प्रतिशत की गिरावट गंभीर बात है, ऐसे में जीएसटी का लागू होना क्‍या संभव है?'' उन्‍होंने कहा कि इस कारण वह अन्‍य राज्‍यों के वित्‍त मंत्रियों के समक्ष अपनी चिंता रखेंगे कि किस तरह उनका राजस्‍व इससे प्रभावित होगा.

उल्‍लेखनीय है कि जीएसटी लागू होने से सामानों के एक राज्‍य से दूसरी जगह जाने पर स्‍थानीय कर खत्‍म हो जाएंगे. लिहाजा उत्‍पादकों और ट्रांसपोर्टरों के लिए बेहद फायेदमंद होगा. वित्‍त मंत्रालय ने करों की चार दरें तय करने का प्रस्‍ताव दिया है. इसमें अधिकतम दर 28 प्रतिशत निर्धारित की गई है. अप्रैल में जीएसटी को अमलीजामा पहनाने के लिए सरकार मौजूदा शीतकालीन सत्र में इससे जुड़े अहम कानूनों को पास कराने की इच्‍छुक है.


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