सरकार से उम्मीद नहीं, वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर देशभर में पूर्व सैनिक लौटाएंगे मेडल

सरकार से उम्मीद नहीं, वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर देशभर में पूर्व सैनिक लौटाएंगे मेडल

जंतर-मंतर पर पूर्व सैनिकों के आंदोलन की फाइल फोटो।

नई दिल्ली:

दिवाली से पहले वन रैंक वन पेंशन के नोटिफिकेशन जारी होने की बात भले ही रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर कह रहे हों लेकिन पिछले 145 दिनों से दिल्ली के  जंतर मंतर में धरने पर बैठे पूर्व सैनिकों ने एलान किया है कि अब वे अपना मेडल लौटाएंगे और देश के लोगों से अपनी बात कहेंगे। उनकी नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि पांच सितंबर को सरकार के वन रैंक वन पेंशन यानि कि ओआरओपी के एलान के बाद पांच चिट्ठियों का जवाब न तो रक्षा मंत्री ने दिया और न ही प्रधानमंत्री ने।

सरकार से अधिक उम्मीद नहीं
वैसे रक्षा मंत्रालय ने संकेत दिया है कि सोमवार को सरकार ओआरओपी का नोटिफिकेशन जारी कर देगी। इसकी संभावना कम है कि जैसा ओआरओपी धरने पर बैठे पूर्व सैनिक चाहते हैं बिल्कुल वैसा ही सरकार नोटिफिकेशन जारी करें। यही वजह है कि इन पूर्व सैनिकों ने फैसला लिया है नौ और दस नवंबर को देश भर के 676 जिलों में डिप्टी कमिश्नर को अपना मेडल वापस कर देंगे। इन लोगों ने डीसी को चिट्ठी भी लिख दी है। दिल्ली में इनकी योजना एयरपोर्ट के टी-1 आगमन वाली जगह पर शाम के चार से पांच बजे तक मेडल वापस करने की है। अगर इस दौरान डीसी मेडल लेने नहीं आए तो मेडल उस जगह पर छोड़कर वापस आ जाएंगे।

पहले भी लौटाए गए हैं मेडल
यही नहीं 11 नवंबर को पूर्व सैनिक काली दिवाली मनाएंगे और कोई घर में दिया नहीं जलाएंगे। चार साल पहले इसी मांग को लेकर पूर्व सैनिक अपने करीब 22 हजार मेडल राष्ट्रपति को वापस कर चुके हैं। पूर्व सैनिकों की मांग है कि हमें असली वाला ही ओआरओपी चाहिए और इससे कोई समझौता नहीं होगा।

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आमरण अनशन फिर से शुरू करने की चेतावनी
इंडियन एक्स सर्विस मेन मूवमेंट के चेयरमेन मेजर जनरल सतबीर सिंह का कहना है कि सरकार बस गोल पोस्ट बदल रही है। उन्हें हमारी जरा भी चिंता नहीं है कि इतने दिनों से पूर्व सैनिक धरने पर बैठे हैं, उनकी कोई तो खबर लें। पूर्व सैनिकों ने यह भी धमकी दी है कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी तो वे फिर आमरण अनशन शुरू कर सकते हैं। पूर्व सैनिकों की मांग है कि जिस ओरआरओपी को संसद और भगत सिंह कोशियारी कमेटी ने माना था वही इन्हें चाहिए। वन रैंक वन पेंशन के लागू होने का फायदा करीब 25 लाख पूर्व सैनिकों और छह लाख सैनिकों की विधवाओं को होगा।