'एडल्ट कंटेंट देखने के लिए मुफ्त वाईफाई का प्रयोग करते हैं 3 में से 1 भारतीय'

सर्वेक्षण में शामिल 31 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक वाईफाई के जरिये सड़कों पर वयस्क सामग्री देखी, जबकि 34 प्रतिशत ने यह काम बस, ट्रेन स्टेशन पर किया.

'एडल्ट कंटेंट देखने के लिए मुफ्त वाईफाई का प्रयोग करते हैं 3 में से 1 भारतीय'

प्रतीकात्मक चित्र

खास बातें

  • नॉर्टन बाय सिमेन्टक द्वारा किए गए वैश्विक अध्ययन में यह बात सामने आई
  • इस अध्ययन में एक हजार से अधिक भारतीयों को शामिल किया गया
  • होटल, एयरपोर्ट जैसे स्थानों पर लोगों ने एडल्ट कंटेंट देखने की बात कबूली
नई दिल्ली:

तीन में से एक भारतीय ने वयस्क सामग्री देखने के लिए होटलों, हवाई अड्डों, पुस्तकालयों और यहां तक कि कार्यस्थल जैसे स्थानों पर मुफ्त के सार्वजनिक वाईफाई के प्रयोग की बात स्वीकारी है. 'नॉर्टन बाय सिमन्टेक' द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई.

इस वैश्विक अध्ययन में एक हजार से अधिक भारतीयों को शामिल किया गया. इसमें पाया गया कि तीन में से एक से अधिक भारतीयों ने वयस्क सामग्री देखने के लिए सार्वजनिक वाईफाई के प्रयोग की बात स्वीकार की. लेकिन भारतीय इस तरह के व्यवहार में अकेले नहीं हैं. वैश्विक स्तर पर, छह में से एक व्यक्ति ने वयस्क सामग्री देखने के लिए सार्वजनिक वाईफाई के प्रयोग की बात स्वीकार की.
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इस सर्वेक्षण में जापान, मैक्सिको, हॉलैंड, ब्राजील, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के लोगों को शामिल किया गया. भारतीय जिन स्थानों पर सार्वजनिक वाईफाई के प्रयोग से वयस्क सामग्री देखते हैं, उसमें होटल, एयर बीएनबी (49 प्रतिशत), दोस्त का घर (46 प्रतिशत), कैफे, रेस्तरां (36 प्रतिशत) और कार्यस्थल (44 प्रतिशत) शामिल हैं.
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खास बात यह है कि सर्वेक्षण में शामिल 31 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक वाईफाई के प्रयोग से सड़कों पर वयस्क सामग्री देखी, जबकि 34 प्रतिशत ने यह काम बस, ट्रेन स्टेशन पर किया.
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करीब 24 प्रतिशत ने पुस्तकालयों में सार्वजनिक वाईफाई पर वयस्क सामग्री देखने की बात कबूल की, जबकि 34 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने हवाई अड्डे पर इस सेवा का लाभ उठाया.

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'सिमन्टेक' में कंट्री मैनेजर (उपोभाक्ता व्यापार इकाई) रितेश चोपड़ा ने कहा कि सार्वजनिक वाईफाई के प्रयोग के दौरान सुरक्षा और वास्तविकता को लेकर लोगों के विचारों में गहरा भेद है. उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति अपने निजी उपकरण पर जिसे व्यक्तिगत समझता है, उस तक साइबर अपराधियों द्वारा बिना सुरक्षा वाले वाईफाई नेटवर्क या निजी असुरक्षा वाले ऐप्स के जरिये आसानी से पहुंचा जा सकता है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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