पुलवामा हमले का एक साल : गहरे जख्म की यादें, घटना जिससे शुरू हुआ बड़ा बदलाव

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती आतंकी हमले से छलनी हुआ था देश का सीना

पुलवामा हमले का एक साल : गहरे जख्म की यादें, घटना जिससे शुरू हुआ बड़ा बदलाव

कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को हुए हमले के बाद घटना स्थल का दृश्य (फाइल फोटो).

खास बातें

  • कश्मीर के पुलवामा जिले में सुरक्षाकर्मियों की बस पर हुआ था हमला
  • हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की मौत हुई थी, कई घायल हुए थे
  • भारत ने चंद दिनों बाद ऑपरेशन बालाकोट में आतंकियों का सफाया किया
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को हुए हमले ने देश को न थर्रा दिया था. एक साल पहले के इस दिन का इतिहास जम्मू-कश्मीर की एक बड़ी दुखद घटना के रूप में दर्ज है. पुलवामा हमला (Pulwama attack) एक ऐसी हृदय विदारक घटना थी जिसने पूरे देश को शोक संतप्त किया और कश्मीर में पाक समर्थित आतंकवाद की दुनिया के सभी देशों ने कड़ी आलोचना की. पुलवामा हमला एक ऐसी घटना भी है जिसके बाद देश एक बड़े बदलाव की राह पर आगे बढ़ गया. इस हमले के बाद पाकिस्तान के बालाकोट (Balakot) में भारतीय सेना ने आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया. पाकिस्तान को सबक सिखाने वाली इस कार्रवाई के बाद कश्मीर में पाकिस्तान की दखल पूरी तरह रोकने, अलगाववाद पर काबू पाने और आतंक की जड़ों पर प्रहार करने के लिए केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करते हुए आर्टिकल 370 (Article 370) के अधिकतर प्रावधान समाप्त कर दिए. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में बांट दिया.
           
वैसे तो 14 फरवरी को 'वैलेंटाइन डे' यानी कि प्रेम दिवस मनाया जाता है, लेकिन पिछले साल आतंकियों ने अपने नापाक इरादे पूरे करने के लिए यही दिन चुना. जब देश के शहरों में वैलेंटाइन डे मनाया जा रहा था तब पुलवामा (Pulwama attack) में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने देश के सुरक्षाकर्मियों पर कायराना हमला किया. कश्मीर के पुलवामा जिले में जैश-ए-मोहम्मद के एक आतंकवादी ने विस्फोटकों से लदे वाहन से सीआरपीएफ जवानों की बस को टक्कर मार दी. इसमें 40 जवान शहीद हो गए और कई गंभीर रूप से घायल हो गए.

यह आत्मघाती हमला सुरक्षाबलों पर अब तक यह सबसे बड़ा आतंकी हमला था. आतंकवादियों को सबक सिखाने की बात करने वाली मोदी सरकार के लिए चुनाव से पहले यह घटना बहुत बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई. विपक्षी दलों ने सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए. इस मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी विपक्ष के निशाने पर थे और मोदी सरकार पूरी तरह से बैकफुट पर आ चुकी थी. हालांकि इस घटना के तुरंत बाद केंद्र सरकार की ओर से संकेत दे दिए गए थे कि भारत की ओर से सख्त कार्रवाई की जा सकती है.

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लोकसभा चुनाव से पहले पुलवामा हमला एक बड़ा मुद्दा बन चुका था. पूरे देश में पाकिस्तान को सबक सिखाने की आवाज उठ रही थी. इसी बीच 26 फरवरी को खबर आई कि रात तीन बजे भारतीय वायुसेना ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान में 100 किलोमीटर घुसकर बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंपों पर 1000 किलो के बम गिराए. ऑपरेशन बालाकोट (Operation Balakot) में एयरफोर्स के 12 मिराज फाइटर प्लेनों का इस्तेमाल किया गया था. इस हमले में जैश के कैंपों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया. भारतीय वायुसेना की इस खबर के आने के बाद सरकार की ओर से पीएम मोदी को एक सशक्त नेता की तौर पर पेश किया जाने लगा. भारतीय वायुसेना की कार्रवाई से पूरे देश में 'राष्ट्रवाद' का उफान आ गया. इसका फायदा मोदी सरकार को मिला. लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को शानदार जीत मिली.    

पुलवामा हमले (Pulwama attack) और ऑपरेशन बालाकोट के बाद संसद ने जम्मू-कश्मीर से जुड़ा एक ऐसा फैसला लिया जिसे देश का बहुत महत्वपूर्ण बदलाव कहा जाएगा. छह अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने वाला बिल लोकसभा में पास हो गया. बिल के पक्ष में 370 और विरोध में 70 मत पड़े. इस बिल को सरकार के एक दिन पहले ही राज्यसभा से पारित करवा लिया था. इसके अलावा धारा 370 हटाने का संकल्प पत्र भी पारित हो गया. इस बिल के पास होने के बाद जम्मू कश्मीर दो हिस्सों में बंट गया. इसके अनुसार जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए.

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निचले सदन, यानी लोकसभा  में गृह मंत्री अमित शाह की ओर से पेश संकल्प में कहा गया -  'भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 (Article 370) के खंड 1 के साथ पठित अनुच्छेद 370 के खंड 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए राष्ट्रपति संसद की सिफारिश पर यह घोषणा करते हैं कि वह जिस दिन भारत के राष्ट्रपति द्वारा इस घोषणा पर हस्ताक्षर किए जाएंगे और इसे सरकारी गजट में प्रकाशित किया जाएगा, उस दिन से उक्त अनुच्छेद के सभी खंड लागू नहीं रहेंगे, सिवाय खंड 1 के. इसमें कहा गया है कि 19 दिसंबर 2018 को राष्ट्रपति की अधिघोषणा के बाद जम्मू कश्मीर राज्य विधायिका की शक्ति इस सदन को है.

उक्त बिल और संकल्प पत्र के पारित होने के बाद कश्मीर में हालात बिगड़ गए और वहां लंबे अर्से तक कर्फ्यू लगा रहा. राज्य के तमाम अलगाववादी नेताओं के अलावा मुख्य धारा के नेताओं को भी हिरासत में ले लिया गया. पिछले दो माह में जम्मू-कश्मीर में आम जनजीवन सामान्य हो चला है लेकिन नेताओं पर प्रतिबंध फिलहाल जारी हैं. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया है जहां निकट भविष्य में इसकी सुनवाई होनी है.

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पुलवामा हमला (Pulwama attack) आतंकियों की ओर से देश की अस्मिता पर चोट थी. इसका देश ने बदला लिया. पुलवामा हमला इसलिए याद किया जाता रहेगा क्योंकि इसने देश को गहरे जख्म दिए. लेकिन यही वह घटना है जिसने देश का रुख, देश की राजनीति का रुख मोड़ दिया. यही वह घटना है जिसके बाद पाकिस्तान की दुनिया के देशों में कड़ी आलोचना हुई और वह अलग-थलग पड़ गया.

VIDEO : पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर आतंकी हमला

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