यह ख़बर 25 फ़रवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'रेल बजट में सिर्फ बंगाल, बाकी सब कंगाल'

खास बातें

  • विपक्षी दलों ने रेल बजट को निराशाजनक एवं भेदभाव पूर्ण करार देते हुए कहा कि यह पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
New Delhi:

भाजपा, वाम दल सहित विपक्षी दलों तथा सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे सपा ने रेल बजट को निराशाजनक एवं भेदभाव पूर्ण करार देते हुए कहा कि यह पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया है, जबकि सत्ता पक्ष ने इसे आम लोगों के हितों को पूरा करने वाला बजट बताया। ममता बनर्जी द्वारा लोकसभा में रेल बजट 2011-12 पेश किए जाने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में मनमोहन सिंह ने कहा, यह आम आदमी का बजट है, जिसमें यात्री और माल माड़े में कोई वृद्धि नहीं की गई है। लोकसभा में भाजपा के उपनेता गोपीनाथ मुंडे ने संसद भवन परिसर में कहा, ममता बनर्जी के रेल बजट से रेलवे की दुर्दशा स्पष्ट हो गई है। बजट प्रावधान में 15 हजार करोड़ रुपये बाजार से उठाना और बांड जारी करने जैसे उपायों से स्पष्ट है कि ममता कर्ज लेकर रेल चलाना चाहती हैं। यह कर्ज लेकर घी पीने जैसा है। पिछली बार घोषित रेल परियोजनाओं के प्रस्ताव को पूरा नहीं किए जाने का आरोप लगाते हुए, उन्होंने कहा कि रेलमंत्री गंभीर नहीं है और यह घोषणओं का बजट है, जिसमें सिर्फ बंगाल और बाकी सब कंगाल की कहानी है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने बजट को आम लोगों के लिए हितकर करार देते हुए कहा, ममता बनर्जी के रेल बजट में सबसे अच्छी बात यह है कि उन्होंने रेल किराये में कोई वृद्धि नहीं की। यह आम लोगों के प्रति संवेदनशीन रवैया अपनाने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। आर्थिक दिक्कतों के बावजूद ममता बनर्जी के रेल बजट को अच्छा बताते हुए वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि रेलमंत्री ने कठिन परिस्थिति के बावजूद एक बेहतर रेल बजट दिया है।प्रणब मुखर्जी ने कहा कि छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, कच्चे तेल मूल्यों में तेजी के कारण रेलवे पर अत्यधिक वित्तीय बोझ था, लेकिन इसके बावजूद रेलवे ने न केवल 6 प्रतिशत का लाभांश दिया है, बल्कि रेलमंत्री ने कई परियोजनाओं की भी घोषणा की है। सपा प्रवक्ता मोहन सिंह ने कहा, देश के इतिहास में इतना खराब बजट, इतने खराब तरीके से कभी पेश नहीं किया गया। इसमें बंगाल के लिए भी कुछ खास नहीं है, बल्कि सिर्फ कोलकाता ही कोलकाता दिखाई देता है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के इस रेल बजट से रेलवे 10 साल पीछे चला जाएगा। भाकपा के डी राजा ने कहा, इस रेल बजट में कुछ भी अनोखा नहीं है। इसमें कुछ महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखे गए हैं, जिस पर अगर ईमानदारी से अमल करने का प्रयास किए जाएं, तो सालों लग जाएंगे। लेकिन पिछले रेल बजट की घोषित परियोजनाओं की स्थिति को देखें, तो हकीकत खुद सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि रेल सुरक्षा और संरक्षा के क्षेत्र में कोई ध्यान नहीं दिया गया है और अतिरिक्त लाइन के बारे में कुछ खास नहीं है। भाजपा के अनंत कुमार ने कहा, ममता का रेल बजट बंगाल का चुनावी बजट है। इसमें पूरा बंगाल, बाकी सब कंगाल की कहानी है। रेलवे बजट में देश के विभिन्न क्षेत्रों की आकांक्षाओं को नजरंदाज किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें सिर्फ घोषणाएं ही घोषणाएं हैं और दशकों से घोषित योजनाओं के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है। रेल बजट में उड़ीसा की घोर उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाते हुए भाजपा के रूद्र नारायण पाणि ने कहा कि रेल बजट में ममता केंद्र सरकार की भेदभावपूर्ण रवैये का शिकार बन गई हैं और बजट में उड़ीसा के लिए कुछ खास नहीं किया गया है। बजट का रुझान पश्चिम बंगाल की ओर है।


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