हैलो, उधर कोई है...? बार-बार क्यों ड्रॉप होती है आपकी फोन कॉल...? जानें, 10 ज़रूरी बातें

हैलो, उधर कोई है...? बार-बार क्यों ड्रॉप होती है आपकी फोन कॉल...? जानें, 10 ज़रूरी बातें

फाइल तस्वीर

अगर आप सेलफोन, यानी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं तो इस तकलीफ से कभी न कभी आप भी ज़रूर गुज़रे होंगे। किसी से बातचीत करने के दौरान कई बार आपकी कॉल बीच में ही कट जाती होगी, और ऐसा इसलिए नहीं कि सामने वाला व्यक्ति आपसे बात नहीं करना चाहता। ट्राई, यानी टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अनुसार पिछले एक साल में कॉल ड्रॉप का प्रतिशत दोगुना हुआ है और यह मंज़ूर की गई सीमा से चार गुणा ज़्यादा है।

जानिए, इस विवाद से जुड़ी 10 अहम बातें...

  1. कॉल ड्रॉप की समस्या अब टेलीफोन ऑपरेटरों और सरकार के बीच विवाद का नया मुद्दा बन गया है।
  2. टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त स्पेक्ट्रम या एयरवेव नहीं दिया गया है और उन्हें ज़्यादा सेलफोन टॉवर लगाने की ज़रूरत है।
  3. शहरों में हर दिन सेलफोन का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिससे काफी कंजेशन, यानी भीड़भाड़ या जमाव हो जाता है।
  4. सेलफोन ऑपरेटरों की एसोसिएशन के मुताबिक उन्होंने पिछले सात महीनों में 70,000 सेलटॉवर देश भर में लगाए हैं और उन्हें कॉल ड्रॉप की समस्या से निपटने के लिए अगले दो साल में एक लाख टॉवर और लगाने होंगे।
  5. सेलफोन ऑपरेटरों के अनुसार जल्द से जल्द एक नेशनल टॉवर पॉलिसी की ज़रूरत है, और इनकी मांग है कि उन्हें सरकारी इमारतों और डिफेंस की ज़मीनों पर बिना किराये के टॉवर लगाने की इजाज़त मिले।
  6. लेकिन सरकार टेलीफोन ऑपरेटरों की इस दलील को खारिज करते हुए कहती है कि यह कंपनियां मोबाइल सेवा को बेहतर करने लिए निवेश से बचना चाहती हैं।
  7. टेलीकॉम मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बार-बार कहा कि इन मोबाइल ऑपरेटरों को पर्याप्त स्पेक्ट्रम दिया गया है और नेटवर्क को बेहतर करने की ज़िम्मेदारी टेलीकॉम कंपनियों की है।
  8. टेलीकॉम मंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने लोगों को कई बार समझाया है कि इन टॉवरों से स्वास्थ्य को कोई नुकसान नहीं है, और उन्हें रिहायशी इलाके से हटाने की ज़रूरत नहीं।
  9. मार्च, 2015 तक ट्राई ने 2-जी नेटवर्क पर दोगुना ज्य़ादा और 3-जी नेटवर्क पर 65 प्रतिशत कॉल ड्रॉप की समस्या उभरी है।
  10. हाल में कैबिनेट द्वारा पारित किए गए एक प्रस्ताव के अनुसार, जिन मोबाइल ऑपरेटरों के पास बिना इस्तेमाल किया गया एयर वेव हैं, वे इसे बड़ी कंपनियों को लोन या रेंट पर दे सकते हैं।

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