हमारी न्यायपालिका स्वतंत्र, बार से अपनी शक्ति प्राप्त करती है बेंच : जस्टिस एसए बोबडे

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा- महान फैसले महान दलीलों से निकलते हैं, बार बेंच की मां है, हम एक अविभाजित परिवार

हमारी न्यायपालिका स्वतंत्र, बार से अपनी शक्ति प्राप्त करती है बेंच : जस्टिस एसए बोबडे

जस्टिस एसए बोबडे (फाइल फोटो).

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के स्वागत समारोह में चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि हमारी न्यायपालिका स्वतंत्र है. बार के सदस्य के रूप में 22 वर्ष और जज के रूप में 19 साल हो गए. मैं एक वकील की चुनौतियों को जानता हूं. बेंच बार से अपनी शक्ति प्राप्त करती है. महान फैसले महान दलीलों से निकलते हैं. बार बेंच की मां हैं. हम एक अविभाजित परिवार हैं. एक के लिए कुछ भी हानिकारक दूसरे को कमजोर करता है. मुझे गर्व है कि मैं इस संयुक्त परिवार में हूं.

जस्टिस बोबडे ने कहा कि अनेक मौके आए जब न्यायपालिका को ऐसे मसले सुलझाने पड़े जब बाकी कोई इनमें हाथ नहीं डालना चाहता था. बार और बेंच का तालमेल और सौहार्द से काम करना ही इस संस्थान का गौरव और आभा है.

उन्होंने कहा कि मैंने CJI बनने से पहले मीडिया को इंटरव्यू दिए. उनमें सभी में पूछा गया वकील की फीस के बारे में. मैंने सभी को जवाब दिया कि जजों का इससे कुछ लेना- देना नहीं. ये संस्थान राष्ट्र से संबंधित है.

चीफ जस्टिस ने कहा कि पिछले कुछ सालों से हमने लंबित मामलों, नियुक्तियों और संसाधनों को लेकर अहम कदम उठाए हैं. हमें त्वरित और लागत प्रभावी तरीके से न्याय प्रदान करने के लिए आईटी और प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने की आवश्यकता है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जरूरत है. विश्वविद्यालयों को क्रॉस-परीक्षा की कला को पुनर्जीवित करना चाहिए. हर कोई भागदौड़ वाली  जीवन शैली जीता है. इससे स्वास्थ्य पर भारी असर पड़ता है. ये समय मानसिक वेलफेयर पर ध्यान केंद्रित करने का है.

जस्टिस बोबडे ने कहा कि CJI मनोनीत होने के बाद पूर्व सीजेआई जस्टिस वेंकटचलैया ने मुझसे कहा था कि आप भी न्यायपालिका में सुधार के लिए बेताब होंगे. लेकिन याद रहे कि सुधार और बदलाव की रफ्तार मध्यम और मंथर रहे, ताकि फालतू की चीज़ें बहाव के ज़रिए साफ हों वरना वो वहीं पड़ी रहेंगी. मेंशनिंग को ही लीजिए, तो एक नम्बर कोर्ट के सामने मेंशन होने वाले मामलों में अधिकतर बिना तैयारी या समुचित सूचना के होते हैं.

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उन्होंने कहा कि लॉ स्टूडेंट्स के कैरिकुलम का अहम हिस्सा होता है जिसमे वह चेम्बर में और कोर्ट रूम में सीखते हैं. आपके आदर्श सीनियर कैसे बोलते हैं, कैसे सोचते हैं. जज और वकीलों को मानसिक तौर पर मज़बूत और स्वस्थ होना ज़रूरी है. उन्होंने कहा कि जजों के कार्यकाल के बारे में अटॉर्नी जनरल के विचार पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा.