यह ख़बर 28 अप्रैल, 2011 को प्रकाशित हुई थी

पीएसी के 11 सदस्यों ने मसौदा रिपोर्ट को किया रद्द

खास बातें

  • मतदान उस समय हुआ जब सोज की ओर से मसौदा रिपोर्ट को मंजूरी देने के लिए मतदान करने का प्रस्ताव आगे बढ़ाने के बाद जोशी वहां से चले गए।
New Delhi:

टू जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले की जांच कर रही लोक लेखा समिति (पीएसी) की मसौदा रिपोर्ट को सपा और बसपा के एक-एक सदस्य समेत ग्यारह सांसदों ने रद्द कर दिया। समिति की बैठक में उस समय अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न हो गई जब सत्तारूढ़ कांग्रेस और द्रमुक सांसदों ने सपा और बसपा सदस्यों के सहयोग से कांग्रेस सांसद सैफुद्दीन सोज को समिति का अध्यक्ष नियुक्त करते हुए इस रिपोर्ट को रद्द कर दिया। मतदान उस समय हुआ जब सोज की ओर से मसौदा रिपोर्ट को मंजूरी देने के लिए मतदान करने का प्रस्ताव आगे बढ़ाने के बाद जोशी वहां से चले गए। सोज ने दावा किया कि भाजपा, जदयू, बीजद और अन्नाद्रमुक के नौ सदस्यों के बैठक से चले जाने बाद हुए मतदान में 22 सदस्यों ने रिपोर्ट को खारिज कर दिया। सोज़ ने कहा, अब मैं पूरी कार्रवाई को लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष उनके निर्णय के लिए पेश करूंगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जब स्थितियां उत्पन्न होती हैं तो ऐसी घटनाएं होती हैं। कांग्रेस सांसद वी अरूण कुमार ने कहा कि अध्यक्ष के रूप में सोज का चुनाव केवल इस बैठक के लिए था। इस नाटकीय घटना के क्रम में बाद में सोज जोशी के कार्यालय गए और इस रिपोर्ट को रद्द किये जाने संबंधी प्रस्ताव को उनके कर्मचारियों को सौंपा। उन्होंने कहा कि वह बैठक से जुड़े इन घटनाक्रमों के बारे में लोकसभा अध्यक्ष को बतायेंगे। जोशी ने बैठक समाप्त करने के बाद बताया कि सत्तापक्ष के सदस्यों का आरोप है कि मसौदा रिपोर्ट कहीं और से तैयार कराई गई है। उन्होंने कहा, मैं कुछ कहना चाहता था लेकिन उन्होंने (सदस्यों) मुझे इसकी अनुमति नहीं दी। इसलिए मैंने बैठक समाप्त कर दी। कांग्रेस सदस्यों ने हालांकि, दावा किया कि जोशी कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे और उठकर चले गए। एक अन्य विपक्षी सांसद ने कहा कि कांग्रेस सांसद जोशी के इस्तीफे की मांग कर रहे थे और उन्होंने उन्हें बैठक का संचालन नहीं करने दिया। इससे पहले, तीन घंटे तक चली चर्चा के बाद जोशी के समक्ष कई बार कठिन परिस्थिति उत्पन्न हो गई और उन्हें इसकी बैठक चार बजे तक स्थगित करनी पड़ी। सूत्रों ने बताया कि 21 सदस्यीय समिति ने इस मसौदा रिपोर्ट पर आज सुबह चर्चा की जिसमें कांग्रेस के सात और द्रमुक के दो सदस्यों समेत संप्रग के नौ सदस्यों के साथ सपा तथा बसपा के एक-एक सदस्यों ने इस रिपोर्ट को मंजूरी दिए जाने का विरोध किया और कहा कि रिपोर्ट दुर्भावना से प्रेरित होकर तैयार किया गया। भाजपा सांसद यशवंत सिन्हा ने जोशी का बचाव किया। बहरहाल, सोज के प्रस्ताव में कहा गया है, मैं टू जी स्पेक्ट्रम और थ्री जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर अध्यक्ष की ओर से वितरित मसौदा रिपोर्ट को रद्द करने का प्रस्ताव करता हूं। उन्होंने यह प्रस्ताव दोपहर के भोजन के बाद का सत्र शुरू होते ही किया। समिति की बैठक में अगर कोई सहमति नहीं बनी तो लोकसभा में कामकाज की प्रक्रिया और नियमों में बताया गया है कि समिति की बैठकों में सभी विषयों पर फैसला मतदान के माध्यम से उपस्थिति सदस्यों के बहुमत से होगा। मसौदा रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री को घेरे में लेते हुए कहा गया है कि पीएमओ ने परोक्ष रूप से राजा को उसके कार्यो को आगे बढ़ाने की हरी झंडी दे दी। मसौदा रिपोर्ट में वित्त मंत्री पी चिदंबरम को इस बात के लिए आड़े हाथों लिया गया कि उन्होंने प्रधानमंत्री को अपनी सिफारिशों में राजस्व नुकसान के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की बजाए इस विषय को समाप्त माने जाने की सिफारिश की। इस वृहद रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए कुछ अप्रिय शब्दों का इस्तेमाल किया गया और कहा गया कि उन्होंने इस मामले में अपने कार्यालय को इतनी दूर रखा जिससे राजा को अपने गलत कृत्यों को आगे बढ़ाने में मदद मिली। पीएसी की आज की बैठक के दौरान संप्रग सदस्यों ने मसौदा रिपोर्ट के लीक होने पर चिंता जताई । कांग्रेस और द्रमुक सदस्यों ने मांग की कि इस रिपोर्ट को लोकसभा को पेश किया जाए या नहीं, इसका फैसला मतदान से हो। 21 सदस्यीय लोक लेखा समिति में कांग्रेस के सात प्रतिनिधि, भाजपा के चार, अन्नाद्रमुक और द्रमुक के दो-दो तथा शिवसेना, बीजद, जदयू, सपा, बसपा और माकपा के एक-एक सदस्य हैं।


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