राष्ट्रपति ने पंडित मदनमोहन मालवीय को भारत रत्न और कई अन्य को पद्म पुरस्कारों से नवाजा

नई दिल्ली : प्रख्यात शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी महामना मदन मोहन मालवीय को मरणोपरांत देश के शीर्ष नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में मालवीय के परिजनों को भारत रत्न प्रदान करने के साथ ही बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित कई लोगों को पद्म पुरस्कारों से भी सम्मानित किया।

राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में पद्म और भारत रत्न पुरस्कार प्रदान किए जाने के लिए आयोजित पारंपरिक समारोह में राष्ट्रपति ने मालवीय के परिजनों को भारत रत्न प्रदान किए जाने के अलावा दूसरे उच्चस्थ नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और पंजाब के मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल को नवाजा। इसके अलावा विख्यात वकील हरीश साल्वे तथा पत्रकार स्वप्न दासगुप्त एवं रजत शर्मा को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

पिछले सप्ताह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रपति ने उनके निवास पर जाकर उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया था। 90 वर्षीय वाजपेयी की उम्र संबंधी अस्वस्थता के चलते मुखर्जी ने प्रोटोकोल से हट कर पूर्व प्रधानमंत्री के कृष्ण मेनन मार्ग स्थित निवास पर जाकर उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया। वाजपेयी और मालवीय को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा पिछले साल 24 दिसंबर को की गई थी।

इस समारोह में उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली और मंत्रिमंडल के अन्य कई सदस्य उपस्थित थे।

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पद्मश्री से सम्मानित किए जाने वालों में फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली, लेखक एवं गीतकार प्रसून जोशी, भौतिकविद डॉ. रणदीप गुलेरिया, ‘चाचा चौधरी’ जैसे मशहूर कार्टून चरित्र के रचियता कार्टूनिस्ट प्राण (मरणोपरांत), बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधू, हॉकी स्टार सरदारा सिंह और एवरेस्ट को फतह करने वाली अरुणिमा सिंह शामिल हैं।

भारतवासियों में शिक्षा के प्रसार को लेकर दूरदृष्टि रखने वाले मालवीय ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। 25 दिसंबर, 1861 को जन्मे मालवीय 1886 में कोलकाता के कांग्रेस अधिवेशन में दिए गए अपने पहले ही प्रभावशाली भाषण से देश के राजनीतिक क्षितिज में कद्दावर नेता के रूप में उभरे। वह 1909 और 1918 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने। मालवीय को स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी उत्कृष्ट भूमिका और हिन्दू राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने के लिए जाना जाता है। वह दक्षिणपंथी हिन्दू महासभा के प्रारंभिक नेताओं में थे।