यह ख़बर 08 फ़रवरी, 2013 को प्रकाशित हुई थी

एएफएसपीए विरोधी आंदोलन में साथ दें लोग : इरोम

खास बातें

  • एएफएसपीए के खिलाफ लंबे समय से आंदोलनरत इरोम शर्मिला ने इस कानून के खिलाफ लोगों से समर्थन की मांग की है। इसे 'अमानवीय' करार देते हुए उन्होंने कहा कि वह तब तक कोई पुरस्कार ग्रहण नहीं करेंगी जब तक कि इस कानून को वापस नहीं लिया जाता।
इम्फाल:

सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (एएफएसपीए) के खिलाफ लंबे समय से आंदोलनरत इरोम शर्मिला ने इस कानून के खिलाफ लोगों से समर्थन की मांग की है। इसे 'अमानवीय' करार देते हुए उन्होंने कहा कि वह तब तक कोई पुरस्कार ग्रहण नहीं करेंगी जब तक कि इस कानून को वापस नहीं लिया जाता।

'आयरन लेडी' के नाम से मशहूर इरोम ने गुरुवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट एलेक मुइवा की अदालत में पेश किए जाने के बाद संवादताओं से कहा, "मैं पुरस्कार नहीं चाहती। मैं चाहती हूं कि अधिक से अधिक लोग इस अधिनियम के खिलाफ आंदोलन का समर्थन करें।"

प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम दो नवंबर, 2000 से मणिपुर में अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं। वह उस वक्त से एएफएसपीए को हटाने की मांग कर रही हैं, जब उनके घर के नजदीक एक बस स्टॉप पर सेना ने 10 लोगों को मार दिया था।

इरोम ने कहा, "मैं भी आम इंसान की तरह जीना चाहती हूं। इसलिए जो लोग मुझे कोई पुरस्कार या सम्मान देना चाहते हैं, वे इम्फाल आएं और जेल से मेरी रिहाई के बाद तथा पुन: गिरफ्तारी से पहले मेरे साथ खड़े हों।"

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उन्हें अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किए जाने के बाद गिरफ्तार किया गया और खुदकुशी करने की कोशिश का आरोप लगाया गया। इरोम को इम्फाल के जेल अस्पताल भेजा गया है, जहां उन्हें नाक में ड्रिप लगाकर जबरन भोजन दिया जा रहा है। वह फिलहाल जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा विज्ञान संस्थान में नजरबंद हैं।