कलिखो पुल की खुदकुशी की FIR दर्ज करने की याचिका खारिज, याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगा

अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सीएम कलिखो पुल का शव 9 अगस्त 2016 को इटानगर स्थित मुख्यमंत्री आवास में लटकता हुआ मिला था

कलिखो पुल की खुदकुशी की FIR दर्ज करने की याचिका खारिज, याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगा

अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सीएम कलिखो पुल (फाइल फोटो).

खास बातें

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- याचिकाकर्ता ने सुसाइड नोट की सत्यता नही जांची
  • याचिकाकर्ता संस्था व उसके 10 सदस्यों पर 25-25 हजार रुपये जुर्माना लगाया
  • नेशनल लॉयर्स कैम्पेन फॉर ज्यूडिशरी ट्रांसपेरेसी एंड रिफार्म की याचिका
नई दिल्ली:

अरुणाचल प्रदेश के पूर्व  मुख्यमंत्री कलिखो पुल की खुदकशी मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता नेशनल लॉयर्स कैम्पेन फॉर ज्यूडिशरी ट्रांसपेरेसी एंड रिफार्म संस्था पर दो लाख 75 हजार रुपये का जुर्माना भी लगा दिया है.

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने सुसाइड नोट की सत्यता की जांच नहीं की. उन्होंने न कभी नोट की मूल कॉपी देखी न उसे पाने का प्रयास किया. केवल व्हाट्सऐप आदि के आधार पर याचिका दायर की गई. उनके पास नोट की सत्यता साबित करने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है.

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता एक व्यस्त संगठन है जिसने केवल तीखे आरोप लगाए हैं और मात्र अफवाहों पर याचिका दायर की है. ऐसे में याचिकाकर्ता संस्था व उसके 10 सदस्यों पर 25-25 हजार रुपये जुर्माना लगाया जाता है. साथ ही संगठन पर भी 25 हजार का जुर्माना लगाया जाता है.

वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह जांच करना पुलिस व सीबीआई का काम है कि सुसाइड नोट असली है, आरोप सही हैं या नहीं.
गौरतलब है कि कलिखो पुल का शव 9 अगस्त 2016 को इटानगर स्थित मुख्यमंत्री आवास में लटकता हुआ मिला था. कलिखो के सुसाइड नोट में राजनीति और न्यायपालिका से जुड़े कई लोगों पर आरोप लगाए गए हैं. सुसाइड नोट में शीर्ष जजों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाया गया है.

23 फरवरी को कलिखो पुल की पत्नी डंगविमसई पुल ने इस मामले की सीबीआई व एनआईए से जांच कराने संबंधी अपनी याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली थी. कलिखो की पत्नी ने सुसाइड नोट का हवाला देते हुए मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग की थी. इसके अलावा डंगविमसई पुल ने प्रेस वार्ता में कहा था कि सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों के आधार पर एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए और मामले की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए.


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