प्राइवेट व चैरिटेबल अस्पतालों में कोरोना के मरीजों की फ्री या कम कीमत में इलाज की याचिका

केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा कि उसके पास निजी या धर्मार्थ अस्पतालों को COVID-19 रोगियों को मुफ्त इलाज देने के लिए कोई वैधानिक शक्ति नहीं है.

प्राइवेट व चैरिटेबल अस्पतालों में कोरोना के मरीजों की फ्री या कम कीमत में इलाज की याचिका

सुप्रीम कोर्ट- फाइल फोटो

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा कि उसके पास निजी या धर्मार्थ अस्पतालों को COVID-19 रोगियों को मुफ्त इलाज देने के लिए कोई वैधानिक शक्ति नहीं है. केंद्र ने कहा है कि क्लीनिकल एस्टाब्लिशमेंट कानून, 2010 के तहत कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत यह अनिवार्य किया जाए कि सार्वजनिक भूमि पर चल रहे निजी अस्पताल COVID-19 रोगियों क मुफ्त में इलाज करेंगे.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दोहराया है कि इस तरह की नीतियों को केवल संबंधित राज्य सरकारों द्वारा ही लागू किया जा सकता है. केंद्र ने कहा कि वर्तमान में चैरिटेबल संस्थानों सहित निजी अस्पतालों को क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट 2010 के प्रावधानों द्वारा नियंत्रित किया जाता है. उक्त अधिनियम के अलावा, कोई अलग प्रावधान या कोई अन्य वैधानिक प्रावधान नहीं है, जो केंद्र सरकार को चैरिटेबल अस्पतालों को मुफ्त में इलाज करने के आदेश जारी करने की शक्ति दे. केंद्र सरकार इस तरह अस्पतालों में वर्गीकरण नहीं कर सकता.

इसके साथ ही केंद्र ने कहा है कि फ्री इलाज जैसी मांग से चेरिटेबल अस्पतालों के वित्तीय स्वास्थ्य  को सीधे प्रभावित करेगा. यह न केवल न्याय के हित में होगा, बल्कि वांछनीय होगा कि कोई भी आदेश जारी करने से पहले उक्त चैरिटेबल संस्थानों को सुनवाई का अवसर दिया जाए क्योंकि इस आदेश से वो सीधे प्रभावित होंगे.

केंद्र ने हलफनामे में ये भी कहा है कि चूंकि स्वास्थ्य एक राज्य विषय है और भूमि प्रबंधन भी राज्य का ही विषय है, इसलिए राज्य सरकारें ही ऐसा कोई कदम उठा सकती हैं. हालांकि, प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश ने निजी स्वास्थ्य सुविधाओं के सहयोग से उपचार की लागत सहित अपने स्वयं के तंत्र की शुरुआत की है.

दरअसल सुप्रीम क़ोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या रियायती ज़मीन पर सरकारी जमीन पाने वाले निजी चैरिटेबल हॉस्पिटल कोरोना के मरीजों का मुफ्त या कम कीमत पर इलाज करने को कहा जा सकता है? कोर्ट ने कहा कि ऐसे अस्पतालों की पहचान कर कोर्ट को बताया जाए. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, उन्हें या तो मुफ्त में या बहुत मामूली कीमत पर जमीन दी गई है. इन धर्मार्थ अस्पतालों में उन्हें मुफ्त में इलाज करना चाहिए.

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सुप्रीम कोर्ट में दाखिल  सचिन जैन की याचिका में कहा गया है कि निजी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों से कम कीमत ली जाए और सरकारी जमीन पर बने चैरिटेबल अस्पताल बिना लाभ कमाएं इलाज करें.