पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध के निर्देश देने के लिए SC में याचिका, 6 अक्‍टूबर को होगी सुनवाई

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने के मुद्दे पर पंजाब, हरियाणा, यूपी और दिल्ली के चीफ सेकेट्री को तलब किया था और कहा था कि पराली जलाने की किसी भी घटना के लिए प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा.

पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध के निर्देश देने के लिए SC में याचिका, 6 अक्‍टूबर को होगी सुनवाई

पराली जलाने से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है (फाइल फोटो)

खास बातें

  • पिछले साल SC ने तीन राज्‍यों के मुख्‍य सचिव को किया था तलब
  • कहा था, इसके लिए प्रशासन-पुलिस के अधिकारी होंगे जवाबदेह
  • सरकार से किसानों को मुआवजा और अन्‍य सुविधाएं देने को कहा था
नई दिल्ली:

किसानों के पराली जलाने (Stubble Burning) का मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की गई है. पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारों पर पराली जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है. SC इस मामले में 6 अक्‍टूबर को सुनवाई करेगा. सोमवार को वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने CJI एस ए बोबडे से इस मसले पर सुनवाई का आग्रह किया. साल्वे दिल्ली NCR में प्रदूषण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में एमिक्स क्यूरी हैं. गौरतलब है कि पिछले साल सुप्रीम कोर्ट  ने पराली जलाने के मुद्दे पर पंजाब, हरियाणा, यूपी और दिल्ली के चीफ सेकेट्री को तलब किया था और कहा था कि पराली जलाने की किसी भी घटना के लिए प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा, लेकिन इस साल यह फिर शुरू हो गया है.सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए सरकार को उन्हें मुआवजा, पराली हटाने की मशीनें व अन्य सुविधा उपलब्ध कराने को कहा था.

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लॉ स्टूडेंट अमन बांका और एक बारहवीं कक्षा के छात्र, आदित्य दुबे की ओर से पराली के मामले में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि पराली जलाने से दिल्ली में वायु प्रदूषण लगभग 40-45% तक बढ जाता है, इसलिए यह सुनिश्चित किया जाए कि कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र  दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर इस साल के दौरान विशेष रूप से पराली जलाने के सीजन में खतरनाक स्तर पर ना पहुंचे. राज्यों को सितंबर, 2020 से जनवरी, 2021 के बीच की अवधि के दौरान पराली हटाने वाली मशीनों के किराये पर एक सीमा तय करने का निर्देश देने की मांग की गई है. राज्यों को सभी छोटे और सीमांत किसानों को उनके द्वारा ऐसी मशीनों को किराए पर लेने के के लिए खर्च की गई राशि का भुगतान करने के आदेश भी मांगे गए हैं. निजी खेतों से पराली हटाने 'के काम को मनरेगा के तहत अनुमत कार्य की सूची में शामिल करने का निर्देश देना ताकि मनरेगा श्रमिकों का उपयोग पराली हटाने को सुनिश्चित करने के लिए किया जा सके जहां मशीनें नहीं हैं. याचिका में कहा गया है कि राज्य प्रत्यक्ष रूप से उन किसानों पर भारी जुर्माना/ सज़ा का प्रावधान करें जो अपने खेतों में पराली जलाते हैं राज्यों द्वारा उन्हें पराली को हटाने के लिए उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं के लिए प्रेरित किया जाए.

याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली सरकार को भी आदेश जारी करने को कहा है दिल्ली-एनसीआर में सभी प्रदूषणकारी उद्योगों और निर्माण गतिविधियों को केवल उन दिनों में परिचालन में रहने दिया जा सकता है जब सितंबर, 2020 से जनवरी, 2021 के बीच AQI स्तर 150 से कम है. इस AQI स्तर से ऊपर की वृद्धि के दौरान औद्योगिक और निर्माण गतिविधियों पर एक स्वचालित प्रतिबंध चालू हो सकता है जो तब तक जारी रह सकता है जब तक AQI स्तर 150 से नीचे नहीं आता. यदि AQI का स्तर लगभग 200 बढ़ जाता है तो वाहन यातायात के संबंध में दिल्ली सरकार की ऑड-ईवन नीति स्वतः ही चालू हो, और तब तक जारी रह सकती है जब तक AQI स्तर 150 से नीचे नहीं लौट जाता. इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों को नियंत्रित और निगरानी के लिए सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस मदन लोकुर की अध्यक्षता वाले आयोग को नामित किया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दिल्ली में AQI स्तर इस साल खतरनाक स्तर तक नहीं बढ़े.

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