नए CBI प्रमुख के लिए पीएम मोदी के नेतृत्व में 24 जनवरी को होगी सेलेक्शन कमेटी की बैठक

CBI के नए डायरेक्टर (CBI Director) की नियुक्ति पर फैसला लेने के लिए 24 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में सेलेक्शन कमिटी (Selection Panel) की बैठक होगी.

नए CBI प्रमुख के लिए पीएम मोदी के नेतृत्व में 24 जनवरी को होगी सेलेक्शन कमेटी की बैठक

नए CBI प्रमुख की नियुक्ति पर 24 जनवरी को होगा फैसला.

खास बातें

  • नए CBI प्रमुख की नियुक्ति पर 24 को होगा फैसला
  • पीएम मोदी के नेतृत्व में होगी सेलेक्शन कमेटी की बैठक
  • बैठक में सीजेआई और मल्लिकार्जुन खड़गे भी होंगे मौजूद
नई दिल्ली:

CBI के नए डायरेक्टर (CBI Director) की नियुक्ति पर फैसला लेने के लिए 24 जनवरी को सेलेक्शन कमिटी (Selection Panel) की बैठक होगी. बैठक पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में होगी. बता दें कि आलोक वर्मा (Alok Verma) को सीबीआई चीफ (Cbi Chief) पद से हटाए जाने के बाद से ही यह पद खाली है. बैठक में चीफ जस्टिस और लोकसभा ने नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद रहेंगे. बता दें कि आलोक वर्मा के हटाए जाने के बाद एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक बनाया गया है. बता दें कि एक दिन पहले ही मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की थी कि वह आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक के पद से हटाने से जुड़े सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों को सार्वजनिक करें और नए निदेशक की नियुक्ति के लिए चयन समिति की तत्काल बैठक बुलाएं.

आलोक वर्मा को हटाने वाले पैनल का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे जस्टिस एके सीकरी : सूत्र

मल्लिकार्जुन खड़गे ने साथ ही केंद्रीय सतर्कता आयोग यानी सीवीसी की रिपोर्ट और 10 जनवरी को उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति की बैठक के ब्यौरे को भी जनता के बीच लाने की मांग की थी, ताकि जनता खुद फैसला करे और किसी निष्कर्ष पर पहुंच सके. खड़गे ने बिना किसी देरी के, नए निदेशक की नियुक्ति के लिए चयन समिति की तत्काल बैठक बुलाने के लिए भी कहा था. उन्होंने यह भी दावा किया था कि इस मामले में सरकार के कदमों से यही संकेत मिलता है कि वह नहीं चाहती कि सीबीआई एक स्वतंत्र निदेशक के तहत काम करे. दरअसल, गत 10 जनवरी को हुई चयन समिति की बैठक में खड़गे ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाए जाने का विरोध किया था.

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बता दें कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की जांच रिपोर्ट में भ्रष्टाचार और कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के आरोपों के कारण आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटना पड़ा. सीवीसी की जांच रिपोर्ट में खुफिया एजेंसी 'रॉ' द्वारा की गई 'टेलीफोन निगरानी' का हवाला दिया गया. अधिकारियों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत उच्चशक्ति प्राप्त समिति ने सीवीसी रिपोर्ट पर विचार किया. इस रिपोर्ट में वर्मा पर आठ आरोप लगाए गए. वर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बहाल किया था. अधिकारियों ने कहा कि आलोक वर्मा को हटाने का समिति का फैसला 2:1 के बहुमत से किया गया. कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसका विरोध किया, जबकि न्यायमूर्ति ए के सीकरी सरकार के साथ खड़े हुए.

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सीवीसी रिपोर्ट में विवादित मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के मामले का जिक्र किया गया और दावा किया गया कि इस मामले पर गौर कर रही सीबीआई टीम हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना को इस मामले में आरोपी बनाना चाहती थी, लेकिन वर्मा ने मंजूरी नहीं दी. इस मामले में जांच विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के नेतृत्व में की गई. अस्थाना और वर्मा को 23 अक्टूबर को छुट्टी पर भेजा गया था. अधिकारियों ने कहा कि सीवीसी रिपोर्ट में बाहरी खुफिया एजेंसी 'रॉ' द्वारा फोन पर पकड़ी गई बातचीत का भी जिक्र है.

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खास बात यह है कि सना, अस्थाना के खिलाफ दर्ज मामले में शिकायतकर्ता है. उसने इस मामले में अपने बिचौलियों को दी गई रिश्वत के बारे में जानकारी दी थी. उसने 'रॉ' के दूसरे शीर्ष अधिकारी सामंत गोयल के नाम पर भी जिक्र किया जो बिचौलिये मनोज प्रसाद को बचाने में कथित रूप से शामिल थे. एक अन्य मामला सीबीआई द्वारा गुड़गांव में भूमि अधिग्रहण के बारे में दर्ज शुरुआती जांच से संबंधित है.

सीवीसी ने आरोप लगाया कि इस मामले में आलोक वर्मा का नाम सामने आया था. सीवीसी ने इस मामले में विस्तृत जांच की सिफारिश की थी. सीवीसी ने यह भी आरोप लगाया था कि वर्मा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री लालू प्रसाद से जुड़े आईआरसीटीसी मामले के एक अधिकारी को बचाने का प्रयास भी किया था. आयेाग ने यह भी आरोप लगाया कि वर्मा सीबीआई में दागी अधिकारियों को लाने की कोशिश कर रहे हैं. 

VIDEO: सीबीआई चीफ पद से हटाए गए आलोक वर्मा

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