यह ख़बर 24 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

पीएम को लोकपाल को दायरे में रखने पर एका नहीं

खास बातें

  • पीएम मनमोहन सिंह ने कहा कि हजारे की टीम उनका अनशन खत्म होने से पहले सरकार से लिखित प्रतिबद्धता चाहती है।
New Delhi:

अन्ना हजारे के अनशन को देखते हुए आयोजित सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज मजबूत और प्रभावी लोकपाल के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी और गांधीवादी नेता से इस बारे में सरकार के साथ सहयोग की भावना से काम करने की अपील की। बैठक में अपने उद्घाटन संबोधन में सिंह ने कहा कि हजारे का अनशन और उनका गिरता स्वास्थ्य चिंता का विषय है और इसलिए कल उन्होंने व्यक्तिगत रूप से पहल कर उनसे भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की। हजारे के आंदोलन के बीच राजनीतिक पार्टियों से आगे के लिए मार्गदर्शन करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि हजारे की टीम ने मांग की है कि उनके जन लोकपाल विधेयक को संसद में चार दिनों के अंदर पेश किया जाए और इसी सत्र के दौरान पास कर दिया जाए और इसे स्थायी समिति को नहीं भेजा जाए। उन्होंने कहा कि हजारे की टीम उनका अनशन खत्म होने से पहले सरकार से लिखित प्रतिबद्धता चाहती है। सिंह ने कहा, कल मुझे महसूस हुआ कि श्री अन्ना हजारे जी से अनशन खत्म करने के लिये मुझे व्यक्तिगत पहल करनी चाहिए ताकि मजबूत लोकपाल लाने के लिये हम सहयोग की भावना से एकसाथ काम कर सकें। मनमोहन ने कहा कि उन्होंने कई अवसरों पर इस बारे में सरकार के रूख की जानकारी दी है। उन्होंने कहा, हम मजबूत और प्रभावी लोकपाल विधेयक चाहते हैं। इसी अनुरूप हम चाहते हैं कि लोकपाल की मजबूत संस्था बनाने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर सर्वसम्मति बनाने की खातिर स्थायी समिति सभी बिंदुओं पर विचार करे। प्रधानमंत्री ने कहा, हमारा साझा उद्देश्य मजबूत और स्वतंत्र संस्था बनाना है जो भ्रष्टाचार से प्रभावी तरीके से निपट सके। यह बड़ी चुनौती है जिससे हमारे लोकतंत्र और देश को दो-चार होना पड़ रहा है। हजारे के आंदोलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, हाल के घटनाक्रमों ने हमारे संसदीय लोकतंत्र की कार्यप्रणाली से संबंधित मुद्दों को उठाया है जो हम सबके लिये चिंता का विषय है। इसलिए मैंने सोचा कि इस बैठक को बुलाना उपयुक्त है ताकि आप सबको इन घटनाक्रमों से अवगत करा सकूं और आगे के लिये आपका दिशानिर्देश हासिल कर सकूं। सिंह ने कहा कि कल उन्होंने हजारे को पत्र लिखा था और उनसे अनशन खत्म करने की अपील की थी। साथ ही सिविल सोसायटी और व्यापक संभावित सर्वसम्मति के आधार पर सर्वोत्तम संभव लोकपाल विधेयक पास करने की सरकार की मंशा दोहरायी थी। पत्र लिखने के बाद हजारे सरकार के साथ वार्ता के लिये राजी हुए। उन्होंने कहा कि इसके बाद वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने वर्तमान गतिरोध को दूर करने के लिये सिविल सोसायटी के तीन प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इन वार्ताओं की विस्तृत जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि हजारे की टीम का रूख यह है कि सरकार संसद में पेश विधेयक को वापस ले ले और चार दिनों के अंदर कुछ बदलावों के साथ जनलोकपाल विधेयक को संसद में पेश किया जाए। हजारे की टीम यह भी चाहती है कि अगर जरूरत पड़े तो संसद के सत्र की अवधि बढ़ाकर विधेयक में मामूली सुधार कर इस पर संसद में चर्चा की जाए और इसे पास किया जाए और विधेयक को स्थायी समिति के पास नहीं भेजा जाए। उन्होंने कहा, प्रतिनिधियों का कहना है कि अगर समयसीमा के साथ लिखित प्रतिबद्धता दी जाए तो वे अन्नाजी को अनशन खत्म करने के लिये मना सकते हैं। अपने पत्र का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि उन्होंने कहा था कि मामला संसद की स्थायी समिति के पास है जो न केवल सरकार द्वारा पेश विधेयक पर विचार करने को अधिकृत है बल्कि जनलोकपाल विधेयक और अन्य सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा राय द्वारा तैयार लोकपाल पर भी चर्चा को अधिकृत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने हजारे से कहा था कि सरकार लोकसभा अध्यक्ष से आग्रह करने को तैयार है कि जनलोकपाल विधेयक पर संपूर्ण विचार के साथ ही अन्य बातों पर चर्चा के लिये इसे स्थायी समिति के पास भेजा जाए। सरकार स्थायी समिति से औपचारिक आग्रह कर सकती है कि वह इस पर उपयुक्त समय सीमा के अंदर विचार-विमर्श करे। मनमोहन ने कहा कि उन्होंने तीन जुलाई को भी सर्वदलीय बैठक बुलाई थी जहां इस बात पर सहमति बनी थी कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिये मजबूत लोकपाल विधेयक लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसी के अनुरूप सरकार द्वारा तैयार किया गया एक विधेयक विधि एवं न्याय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति के पास है। उन्होंने कहा, बहरहाल श्री अन्ना हजारे जी और उनके सहयोगी जनलोकपाल विधेयक के समर्थन में अपने रूख पर कायम हैं। सिंह ने कहा कि समाजसेवी अपनी मांगों को मनवाने के लिए 16 अगस्त से अनशन पर बैठे हुए हैं।


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