यह ख़बर 29 जून, 2011 को प्रकाशित हुई थी

मैं कोई कठपुतली पीएम नहीं : मनमोहन

खास बातें

  • मनमोहन ने कहा कि प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाने पर उन्हें ऐतराज नहीं है, लेकिन मंत्रिमंडल के साथियों में इस मुद्दे पर आम राय नहीं है।
New Delhi:

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वरिष्ठ संपादकों के साथ मीटिंग में कहा कि वह कोई कठपुतली प्रधानमंत्री नहीं हैं और नेतृत्व में बदलाव की खबरों में कोई सच्चाई नहीं है। मनमोहन सिंह ने उन्हें कमजोर प्रधानमंत्री बताए जाने की बात को विपक्ष का चालाकी भरा दुष्प्रचार बताया। उन्होंने कहा कि मुझे सोनिया गांधी से भरपूर सहयोग मिला, वह कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में बेहतरीन ढंग से काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मंत्रिमंडल में फेरबदल का कार्य प्रगति पर है, लेकिन उन्होंने इस बात का खुलासा करने से इनकार कर दिया कि यह कब तक होगा। उन्होंने कहा, सच्चाई की जीत होगी और मेरा काम बोलेगा। सोनिया गांधी के बारे में सिंह ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष को कभी दिक्कत महसूस नहीं किया। उन्होंने कहा कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष से अधिकतम संभावित सहयोग मिलता रहा है और वह उनसे हर सप्ताह सीधे बातचीत करते हैं। प्रधानमंत्री अपने आवास पर पांच संपादकों के साथ लगभग 100 मिनट तक बातचीत में काफी निश्चिंत दिखाई दिए। उन्होंने उनकी जगह राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाए जाने, लोकपाल विधेयक, भ्रष्टाचार और पड़ोसी देशों से संबंधों सहित विभिन्न मुद्दों पर किए गए तमाम सवालों का पूरे आत्मविश्वास के साथ जवाब दिया। प्रधानमंत्री ने मीडिया की आलोचना करते हुए कहा कि यह आरोप लगाने वाला, अभियोजक और न्यायाधीश बन गया है। प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग में शामिल रहे वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता ने मीडिया को बताया कि मनमोहन ने कहा है कि प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाने पर उन्हें कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन उनके मंत्रिमंडल के साथियों में इस मुद्दे पर आम राय नहीं है। साथ ही गठबंधन के दलों में भी एक राय नहीं बन पाई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष से उनकी सरकार को पूरा सहयोग नहीं मिल रहा है, अलबत्ता उन्होंने दावा किया कि सत्तारूढ़ गठबंधन को कोई खतरा नहीं है और कोई भी दल चुनाव नहीं चाहता है। मनमोहन ने डीजल और रसोई गैस की कीमतें घटाने से भी इनकार किया। प्रधानमंत्री ने वित्तमंत्रालय में जासूसी के मामले में आईबी की रिपोर्ट पर भी संतुष्टि जाहिर की है।सरकार की स्थिरता को लेकर उठ रहे संदेह, खासकर डीएमके के साथ समस्या के बारे में सवाल किए जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे बीच कुछ हद तक तनाव है, लेकिन चुनाव कोई नहीं चाहता। हजारे पक्ष से बातचीत के बारे में उन्होंने कहा कि समाज के सदस्य जो कुछ कह रहे हैं, सरकार उसे धैर्यपूर्वक सुनती प्रतीत होनी चाहिए और उन्होंने स्वयं गांधीवादी नेता से बातचीत को बढ़ावा दिया है। रामदेव प्रकरण पर उन्होंने कहा कि प्रयास यह था कि बेवजह गलतफहमी पैदा नहीं हो। उन्होंने बताया कि उन्होने स्वयं इससे पहले कालेधन और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर योग गुरु की कुछ चिंताओं से सहमति जताते हुए उन्हें पत्र लिखा था। दिल्ली हवाई अड्डे पर रामदेव की अगवानी के लिए चार मंत्री भेजे जाने से उठे विवाद के बारे में प्रधानमंत्री ने सफाई दी कि वे उनकी अगवानी करने नहीं गए थे, बल्कि कोशिश यह थी कि रामदेव के दिल्ली प्रवेश से पहले ही उनसे बातचीत हो जाए। रामलीला मैदान में मध्यरात्रि के समय रामदेव और उनके समर्थकों पर पुलिस कार्रवाई को सिंह ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया, लेकिन साथ ही कहा कि उनके पास और कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा कि अगर अगले दिन कार्रवाई की जाती तो भीड़ और अधिक बढ़ चुकी होती। यह पूछे जाने पर कि हजारे नौसिखिया है या राजनीतिक से प्रेरित हैं, उन्होंने कहा कि सरकार जिन लोगों से बातचीत कर रही है, उनके इरादों के बारे में सवाल करना अच्छा नहीं है।(इनपुट भाषा से भी)


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