पीएम मोदी ने की चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात, लेकिन NSG में भारत की सदस्यता पर नहीं बनी बात

पीएम मोदी ने की चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात, लेकिन NSG में भारत की सदस्यता पर नहीं बनी बात

ताशकंद में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुई

खास बातें

  • एनएसजी की सदस्यता के भारत के प्रयासों पर चीन का रुख बहुत महत्वपूर्ण है
  • तुर्की, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे कुछ देशों को भी भारत की सदस्यता
  • लेकिन चीन मान जाए, तो इन देशों का विरोध निष्प्रभावी हो जाएगा
ताशकंद:

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के भारत के पुरजोर प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात की और इस बाबत चीन का समर्थन मांगा। हालांकि इस प्रतिष्ठित समूह में भारत की सदस्यता को लेकर चीन का विरोधी रुख बरकरार दिखा। 

पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने ताशकंद में मुलाकात की, जबकि वहां से लगभग 5,000 किलोमीटर दूर दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में एनएसजी सदस्यों की डिनर के बाद की विशेष बैठक में भारत का मामला उठा, हालांकि यह औपचारिक एजेंडा में नहीं था।

(पढ़ें - सियोल में हुई NSG की विशेष बैठक से भारत की एंट्री को लेकर बुरी खबर)

एनएसजी के सदस्य देश इसमें भारत के प्रवेश को लेकर विभाजित हैं, क्योंकि भारत ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। समझा जाता है कि भारत की सदस्यता के मुखर विरोधी चीन के अलावा तुर्की, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड और आयरलैंड ने भी यह रुख अख्तियार किया कि भारत के मामले में कोई अपवाद नहीं बनाया जा सकता।

पीएम मोदी का अनुरोध भी आया काम
जाहिर है कि मोदी का अनुरोध चीन के रुख में बदलाव नहीं ला पाया, लेकिन एनएसजी की दो दिवसीय पूर्ण बैठक के आखिरी दिन शुक्रवार को क्या होता है उसे देखना फिलहाल बाकी है।

हालांकि, एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले भारत जैसे देशों को सदस्य बनाने का मुद्दा एजेंडा में नहीं था, लेकिन समझा जाता है कि जापान और कुछ अन्य देशों ने उदघाटन सत्र में इस विषय को उठाया, जिसके चलते डिनर के बाद की विशेष बैठक में इस पर विचार किया गया।

विदेश सचिव एस जयशंकर भी है सियोल में
भारत के मामले पर जोर देने के लिए विदेश सचिव एस जयशंकर के नेतृत्व में भारतीय राजनयिक सियोल में हैं। भारत की सदस्यता के अभाव में वे पूर्ण बैठक में प्रतिभागी नहीं हैं, लेकिन उन्होंने इस सिलसिले में कई प्रतिनिधिमंडलों के नेताओं से मुलाकात की। पूर्ण बैठक में 48 सदस्य देशों के करीब 300 प्रतिभागी शरीक हो रहे हैं, जिसके पहले आधिकारिक स्तर का सत्र 20 जून को शुरू हुआ था।

इससे पहले भारत की सदस्यता के लिए चीन का समर्थन मांगते हुए पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति से भारत के आवेदन पर एक निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन करने का अनुरोध किया था। ये दोनों नेता शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के लिए ताशकंद में हैं। पीएम मोदी ने आग्रह किया कि नई दिल्ली के मामले का उसके खुद के गुण दोष पर फैसला किया जाना चाहिए और सियोल में एक आमराय बनाने में चीन को योगदान देना चाहिए।

हालांकि, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने संकेत दिया कि शी ने तत्काल कोई वादा नहीं किया है। साथ ही, उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा, 'आप जानते हैं कि, यह एक जटिल और नाजुक प्रक्रिया है। हम इंतजार कर रहे हैं कि सियोल से किस तरह की खबर आती है। मैं इस पर कोई और टिप्पणी नहीं करूंगा।'

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता कितना महत्व रखता है यह इस बात से पता चलता है कि मोदी और शी की बैठक में यही विषय छाया रहा। इस समूह की सदस्यता भारत को परमाणु प्रौद्योगिकी के व्यापार में सक्षम बनाएगा।


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com