मन की बात : कोरोना संकट की सबसे ज्यादा चोट हमारे गरीब, मजदूर और श्रमिकों पर पड़ी- PM मोदी

कोरोना के साथ जारी जंग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देशवासियों को संबोधित किया.

मन की बात : कोरोना संकट की सबसे ज्यादा चोट हमारे गरीब, मजदूर और श्रमिकों पर पड़ी- PM मोदी

कोरोना संकट के दौरान पीएम मोदी की तीसरा 'मन की बात' कार्यक्रम

नई दिल्ली:

कोरोना के साथ जारी जंग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देशवासियों को संबोधित किया. कोरोना काल के दौरान यह तीसरा मौका था जब पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम के जरिए देश के लोगों को संबोधित किया. उन्होंने कार्यक्रम की शुरुआत मौजूदा स्थिति को लेकर की. उन्होंने कहा कि पिछली मन की बात की समय पैसेंजर ट्रेन, बसें, हवाई सेवा बंद थी। इस बार काफी कुछ खुल चुका है. ''तमाम सावधानियों के साथ, हवाई जहाज उड़ने लगे हैं, धीरे-धीरे उद्योग भी चलना शुरू हुआ है, यानी, अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अब चल पड़ा है, खुल गया है. ऐसे में, हमें और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है. पीएम मोदी ने कहा कि ''देश में सबके सामूहिक प्रयासों से कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ी जा रही है. हमारी जनसंख्या ज़्यादातर देशों से कई गुना ज्यादा है, फिर भी हमारे देश में कोरोना उतनी तेजी से नहीं फ़ैल सका, जितना दुनिया के अन्य देशों में फैला. ''कोरोना से होने वाली मृत्यु दर भी हमारे देश में काफी कम है. जो नुकसान हुआ है, उसका दु:ख हम सबको है. लेकिन जो कुछ भी हम बचा पाएं हैं, वो निश्चित तौर पर देश की सामूहिक संकल्पशक्ति का ही परिणाम है. 

पीएम मोदी ने कहा कि 'देशवासियों की संकल्पशक्ति के साथ एक और शक्ति इस लड़ाई में हमारी सबसे बड़ी ताकत है और वो है- देशवासियों की सेवाशक्ति. ''हमारे डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, मीडिया के साथी ये सब जो सेवा कर रहे हैं, उसकी चर्चा मैंने कई बार की है. मन की बात में भी मैंने उसका जिक्र किया है। सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले लोगों की संख्या अनगिनत है. पीएम मोदी ने कहा कि देश के सभी इलाकों से महिला Self Help Group के परिश्रम की भी अनगिनत कहानियां इन दिनों हमारे सामने आ रही हैं. गांवों, कस्बों में, हमारी बहनें-बेटियां, हर दिन मास्क बना रही हैं। तमाम सामाजिक संस्थाएं भी इस काम में इनका सहयोग कर रही हैं.''

पीएम मोदी ने इस दौरान होने वाले इनोवेशन का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि "एक और बात जो मेरे मन को छू गई, वो है संकट की इस घड़ी में innovation, गांवों से लेकर शहरों तक, छोटे व्यापारियों से लेकर startup तक, हमारी labs  कोरोना से लड़ाई में, नए-नए तरीके इज़ाद कर रहे हैं, नए innovation कर रहे हैं.' ''मैं सोशल मीडिया में कई तस्वीरें देख रहा था। कई दुकानदारों ने दो गज की दूरी के लिए, दुकान में बड़े pipeline लगा लिए हैं, जिसमें, एक छोर से वो ऊपर से सामान डालते हैं, और दूसरी छोर से  ग्राहक अपना सामान ले लेते हैं.'' उन्होंने कहा कि 'किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए इच्छाशक्ति के साथ ही बहुत कुछ इनोवेशन पर भी निर्भर करता है. हजारों साल की मानव जाति की यात्रा लगातार इनोवेशन से ही इतने आधुनिक दौर में पहुंची है. 

पीएम मोदी ने कहा कि ''हमारे देश में भी कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो कठिनाई में न हो, परेशानी में न हो और इस संकट की सबसे बड़ी चोट अगर किसी पर पड़ी है तो वो हमारे गरीब, मजदूर, श्रमिक वर्ग पर पड़ी है.  उनकी तकलीफ, उनका दर्द, उनकी पीड़ा शब्दों में नहीं कही जा सकती है", कोरोना के खिलाफ लड़ाई का यह रास्ता लंबा है। एक ऐसी आपदा जिसका पूरी दुनिया के पास कोई इलाज नहीं है। जिसका कोई पहले का अनुभव ही नहीं है। ऐसे में नई नई चुनौतियों और उसके कारण परेशानियां हम अनुभव कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि 'हमारे रेलवे के साथ दिन-रात लगे हुए हैं। केंद्र हो, राज्य हो, स्थानीय स्वराज की संस्थाएं हो- हर कोई दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. जिस प्रकार रेलवे के कर्मचारी आज जुटे हुए हैं, वे भी एक प्रकार से अग्रिम पंक्ति में खड़े कोरोना वॉरियर्स ही हैं.'

पीएम मोदी ने कहा कि जो दृश्य आज हम देख रहे हैं, इससे देश को अतीत में जो कुछ हुआ, उसके अवलोकन और भविष्य के लिए सीखने का अवसर भी मिला है. आज  हमारे श्रमिकों की पीड़ा में, देश के पूर्वीं हिस्से की पीड़ा को देख सकते हैं.उस पूर्वी हिस्से का विकास बहुत आवश्यक है. कहीं श्रमिकों की skill mapping का काम हो रहा है, कहीं  startups इस काम में जुटे हैं, कहीं migration commission बनाने की बात हो रही है. साथ ही केंद्र सरकार ने अभी जो फैसले लिए हैं उससे गांवों में रोजगार, स्वरोजगार और लघु उद्योग से जुड़ी विशाल संभावनाएं खुली हैं. बहुत से लोगों ने ये बताया है कि उन्होंने, जो जो समान उनके इलाके में मिलते हैं, उनकी पूरी लिस्ट बना ली है। ये लोग अब लोकल प्रोडक्ट्स को ही खरीद रहे हैं और वोकल फॉर लोकल को प्रमोट कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि कोरोना संकट के इस दौर में, मेरी, विश्व के अनेक नेताओं से बातचीत हुई है, इन दिनों, उनकी बहुत ज्यादा दिलचस्पी योग और आयुर्वेद के संबंध में होती है.हर जगह लोगों ने योग और उसके साथ-साथ आयुर्वेद के बारे में और ज्यादा जानना चाहा है, उसे अपनाना चाहा है. कितने ही लोग, जिन्होंने कभी योग नहीं किया, वो भी या तो ऑनलाइन योग क्लास से जुड़ रहे हैं या फिर ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से भी योग सीख रहे हैं. कोरोना संकट के इस समय में योग आज इसलिए भी ज्यादा अहम है, क्योंकि ये वायरस, हमारे respiratory system को सबसे अधिक प्रभावित करता है. योग में तो respiratory system को मजबूत करने वाले कई तरह के प्राणायाम हैं, जिनका असर हम लंबे समय से देखते आ रहे हैं. 

प्रधानमंत्री ने बताया कि जीवन में योग को बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने भी इस बार एक अनोखा प्रयोग किया है. आयुष मंत्रालय ने 'My Life, My Yoga' नाम से अंतर्राष्ट्रीय वीडियो ब्लॉग उसकी प्रतियोगिता शुरू की है.भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लोग इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं. इसमें हिस्सा लेने के लिए आपको अपना तीन मिनट का एक वीडियो बना करके upload करना होगा. इस video में आप, जो योग, या आसन करते हों, वो करते हुए दिखाना है और योग से आपके जीवन में जो बदलाव आया है, उसके वारे में भी बताना है. 

पीएम मोदी के अनुसार 'हमारे देश में करोड़ों-करोड़ गरीब, दशकों से एक बहुत बड़ी चिंता में रहते आए हैं. अगर बीमार पड़ गए तो क्या होगा? इस चिंता को दूर करने के लिए ही करीब डेढ़ साल पहले 'आयुष्मान भारत' योजना शुरू की गई थी. कुछ ही दिन पहले 'आयुष्मान भारत' के लाभार्थियों की संख्या एक करोड़ पार हो गई है.'''आयुष्मान भारत योजना ने गरीबों के पैसे खर्च होने से बचाए हैं. मैं आयुष्मान भारत के सभी लाभार्थियों के साथ-साथ मरीजों का उपचार करने वाले सभी डॉक्टरों-नर्सों और मेडिकल स्टाफ को बधाई देता हूं. आयुष्मान भारत योजना के साथ एक बड़ी विशेषता portability की सुविधा भी है। Portability ने, देश को, एकता के रंग में रंगने में भी मदद की है,यानी बिहार का कोई गरीब अगर चाहे तो, उसे कर्नाटक में भी वही सुविधा मिलेगी, जो उसे अपने राज्य में मिलती. 

आयुष्मान भारत योजना के 1 करोड़ लाभार्थियों में से करीब 80 प्रतिशत लाभार्थी ग्रामीण इलाके के हैं. इसमें से भी करीब 50 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं-बेटियां हैं. इन लाभार्थियों में ज्यादातर ऐसी बीमारी से पीड़ित थे जिनका इलाज सामान्य दवाओं से संभव नहीं था. एक तरफ हम महामारी से लड़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ हमें हाल में पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ा है. हालात का जायजा लेने के लिए मैं ओडिशा और पश्चिम बंगाल गया था. संकट की इस घड़ी में देश भी, हर तरह से वहां के लोगों के साथ खड़ा है. 

पीएम मोदी ने कहा कि लॉकडाउन में लोगों को ढील जरूर दे दी गई है लेकिन अभी भी सतर्कता की जरूरत है, कोरोनावायरस का खतरा कम नहीं हुआ है, दो गज की दूरी और मास्क जैसे नियमों का पालन करना हम सबकी जिम्मेदारी है. 

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