पीएम ने नई नीति पर देशभर से आई प्रतिक्रियाओं पर कहा कि नई नीति आने केबाद किसी भी वर्ग से किसी भी क्षेत्र से यह नही ंकहा गया कि झुकाव है, भेदभाव है. यह संकेत है कि लोग जो बरसों से बदलाव चाहते थे, वो देखने को मिले हैं. उन्होंने कार्यान्वयन को लेकर उठे सवालों पर कहा कि 'यह सवाल आना स्वाभाविक है कि इतना बड़ा सुधार कागज पर तो कर दिया गया लेकिन इसे हकीकत में कैसे उतारा जाएगा. इसके लिए हमें जहां-जहां सुधार की जरूरत है, वहां मिलकर सुधार करना है और करना ही है. आप सब सीधे इससे जुड़े हैं, इसलिए आपकी भूमिका अहम है.'
बच्चों की साइंटिफिक तरीके से पढ़ाई पर जोर
पीएम ने कहा कि 'जहां तक इसपर पॉलिटिकल बिल की बात है, तो मैं पूरी तरह आपके साथ हूं. हर देश अपनी शिक्षा नीति में अपने लक्ष्य, अपने विचार और संस्कार के मिश्रण के साथ बनाता है. हमारी एनईपी इसी आधार पर बनाई गई है. इसका मकसद नए एजुकेशन सिस्टम के जरिए देश की वर्तमान और आगे की पीढ़ियों को सशक्त बनाना है.' उन्होंने कहा कि 'यही हमारी सोच है. यह नीति नए भारत की नींव तैयार करेगी. हमारे युवाओं को जैसी शिक्षा की जरूरत है, उसमें इसपर फोकस किया गया है. भारत के नागरिकों को सशक्त करने, ज्यादा से ज्यादा अवसरों के लिए उन्हें उपयुक्त बनाने पर पॉलिसी में जोर दिया गया है. जब भारत का छात्र, चाहे वो नर्सरी में हो या कॉलेज में, साइंटिफिक तरीके से पढ़ेगा, बदलती जरूरतों के हिसाब से पढ़ेगा तो देश के विकास में भूमिका निभाएगा.'
पीएम ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव की जरूरत पर कहा कि 'देश की शिक्षा नीति में बहुत वक्त से कोई बदलाव नहीं हुआ था, जिसका परिणाम यह हुआ कि युवाओं में जिज्ञासा और कल्पनाशीलता खत्म हो गई और डॉक्टर, इंजीनियर बनने की भेड़चाल होने लगी. ऐसे में देश को इंट्रस्ट, एबिलिटी और डिमांड की मैपिंग के बिना हो़ड़ लगाने की प्रवृत्ति से बाहर निकालना था. इस पर विचार करना था कि हमारे समाज में क्रिटिकल और इनोविटव थिंकिंग कैसे विकसित हो. फिलॉसफी ऑफ एजुकेशन और परपज़ ऑफ एजुकेशन कैसे विकसित किया जाए.'
किन सवालों पर किया गया विचार?
पीएम ने कहा कि 'एनईपी को तैयार करने में टुकड़ों में सोचने के बजाय ्एक होलिस्टिक अप्रोच यानी संपूर्ण दृष्टिकोण की जरूरत थी, इसमें एनईपी सफल रही है. अब जब एनईपी मूर्त रूप ले चुकी है तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारे सामने क्या सवाल खड़े थे. पहला सवाल यह था कि क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था, हमारे युवाओं को क्यूरियॉसिटी और कमिटमेंट ड्रिवेन लाइफ के लिए प्रेरित करती है? दूसरा सवाल यह था कि क्या हमारी शिक्षा व्यवस्था हमारे युवाओं को सशक्त करती है? आप इसके जवाब से परिचित है. लेकिन मुझे संतोष है कि नई नीति में इन विचारों पर गंभीरता से विचार किया गया है.'
मातृभाषा में पढ़ाई की नीति का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि 'शुरुआती पढ़ाई और बोलने की भाषा एक ही होने से बच्चों की नींव मजबूत होगी, वहीं आगे की पढ़ाई के लिए आधार भी मजबूत होगा. अभी तक की शिक्षा व्यवस्था में 'What to Think' अब 'How to Think' पर फोकस है. आज इस दौर में इन्फॉर्मेशन और कंटेंट की बाढ़ है, हर प्रकार की जानकारी मोबाइल फोन पर अवेलेबल है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि क्या पढ़ना है, क्या जानकारी हासिल करना है. नई नीति में इसका ध्यान रखा गया है.'
कार्यान्वयन के लिए मैपिंग जरूरी
पीएम ने कहा कि अब इस नीति के कार्यान्वयन पर जोर देने जी जरूरत है. उन्होंने कहा, 'एनईपी पर लगातार डिस्कशन करिए, वेबिनार करिए, रणनीति बनाइए, मैपिंग करिए, रिसोर्स तय करिए. यह एक सर्कुलर नहीं है. यह नीति सर्कुलर जारी करके, नॉटिफाई करके लागू नहीं होगी, सबको काम करना होगा, दृढ़शक्ति दिखानी होगी. यह नीति 21वीं सदी में बड़ा बदलाव लाने का एक बड़ा अवसर है और जो लोग भी इस कॉन्क्लेव को देख रहे हैं, सुन रहे हैं, उन्हें इससे जुड़ने के लिए निमंत्रण देता हूं. प्रत्येक का योगदान आवश्यक है. मेरा विश्वास है कि साथ मिलकर काम करने से नीति को प्रभावी रूप से लागू करने के अवसर बनेंगे.'