पीएम नरेंद्र मोदी की नाखुशी के बाद राजकोट प्रशासन ने मूर्ति हटाई, मंदिर भी खोद डाला

नई दिल्ली:

पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने समर्थकों द्वारा गुजरात के राजकोट में उनका मंदिर बनाए जाने पर नाखुशी जताई है। प्रधानमंत्री ने इस खबर को 'स्तब्धकारी' और 'भारत की महान परम्पराओं' के खिलाफ बताया। वहीं, शाम को राजकोट प्रशासन ने पीएम मोदी की मूर्ति को ही नहीं हटा दिया बल्कि मंदिर का कुछ हिस्सा भी खोद डाला।

पीएम मोदी की मूर्ति हटाई गई

प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा, किसी इंसान का मंदिर बनाना हमारी सभ्यता नहीं है, मंदिर बनाने से मुझे दुख हुआ है। मैं लोगों से ऐसा नहीं करने का आग्रह करता हूं।

पीएम ने ट्वीट में यह भी लिखा कि अगर आपके पास समय और संसाधन हैं, तो इसे 'स्वच्छ भारत' के सपने को पूरा करने में लगाएं। पीएम की इस प्रतिक्रिया के बाद मंदिर बनाने वालों ने फिलहाल मोदी की मूर्ति को ढंकने का फैसला किया है। मंदिर से जुड़े लोगों ने बताया कि पीएम की मूर्ति की जगह 'भारत माता' की मूर्ति बनाने का ऑर्डर दे दिया गया है और जल्द ही इसे बदल दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी के समर्थकों ने राजकोट में उनके लिए एक मंदिर बनवाया है। मंदिर के गर्भगृह में मोदी की आवक्ष प्रतिमा लगाई गई।

ओम युवा समूह के नेता जयेश पटेल ने कहा कि गुजरात में यह अपनी तरह का पहला मंदिर है, जो किसी जीवित व्यक्ति का है। उन्होंने कहा कि समूह के 350 से ज्यादा सदस्यों ने मिलकर मंदिर के निर्माण के लिए छोटे-छोटे दान एकत्र किए और अब उनकी योजना वहां रोजाना पूजा करने की है।

पटेल ने कहा, हमारे संगठन के सदस्य मोदी की उस समय से भगवान के रूप में पूजा कर रहे हैं, जब वह राजकोट से पहली बार विधानसभा चुनाव लड़े थे और गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे।

उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने जो काम किए और अब प्रधानमंत्री के रूप में जो कार्य कर रहे हैं, उससे हम काफी प्रभावित हुए हैं। इसलिए हमने उनके लिए एक मंदिर बनवाने का फैसला किया। पटेल ने कहा, शुरू में हमने एक फ्रेमजड़ित तस्वीर वहां रखी थी। अब हमने एक प्रतिमा स्थापित कर दी है, जिस पर 1.7 लाख रुपये खर्च हुए हैं।

उन्होंने कहा कि निर्माण में करीब सात लाख रुपये खर्च हुए हैं। उन्होंने कहा, हमारे सदस्य हर महीने पांच हजार रुपये से 15 हजार रुपये कमाते हैं और उन्होंने योगदान किया है। पटेल ने कहा कि मंदिर 350 वर्ग गज जमीन पर बना है और यह कोठरिया ग्राम पंचायत द्वारा 10 साल पहले धार्मिक उद्देश्यों के लिए मुहैया कराई गई थी।

(इनपुट भाषा से भी)


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