यह ख़बर 04 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

पीएम मोदी ने नौकरशाहों से कहा, शासन में बाधक पुराने नियमों को खत्म करें, मैं आपके साथ हूं

नई दिल्ली:

कामकाज में तेजी लाने की प्रणाली पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नौकरशाहों से कहा कि उन पुराने नियमों और प्रक्रियाओं को खत्म करें, जो भ्रम पैदा कर शासन में बाधा पैदा करते हैं। प्रधानमंत्री ने उन्हें निर्णय लेने के लिए उत्साहित किया और वादा किया कि वह उनका साथ देंगे।

प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रालयों और विभागों के 77 सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सामूहिक बैठक कर उनसे कहा कि वे सुझाव देने या किसी मुद्दे को सुलझाने में उनके हस्तक्षेप के लिए सीधे उनसे फोन या ई-मेल से संपर्क करें।

पिछले आठ सालों में पहली बार हुई ऐसी बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि ढाई घंटे चली लंबी बैठक में मोदी ने शीर्ष नौकरशाहों को धैर्यपूर्वक सुना और उनकी भावनाओं से सहानुभूति जताई। 'परिस्थितियों' के कारण उनकी सही क्षमताओं का आकलन नहीं होने को लेकर उनके क्षोभ पर भी प्रधानमंत्री ने गौर किया।

मोदी ने देश का भविष्य बेहतर बनाने में नौकरशाहों की प्रतिबद्धता और क्षमता पर पूरा भरोसा जताते हुए उनसे कहा कि प्रशासनिक नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल एवं दुरूस्त बनाएं, ताकि ये जनहितैषी हो सकें। उन्होंने कहा, ऐसे नियम और प्रक्रिया हो सकते हैं, जो पुराने हो गए हैं और प्रशासन की प्रक्रिया में सुविधा की बजाय वे भ्रम पैदा कर रहे हों। उन्होंने ऐसे पुराने नियमों एवं प्रक्रियाओं की पहचान करने एवं उन्हें खत्म करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

सभी अधिकारियों की उन तक पहुंच का वादा करते हुए, प्रधानमंत्री ने उन्हें उत्साहित किया कि अपनी सूचनाओं एवं विचारों के साथ वे संपर्क करें। बयान में कहा गया है कि उन्होंने अधिकारियों को निर्णय करने के लिए प्रोत्साहित किया और आश्वासन दिया कि वह उनके साथ खड़े होंगे।

प्रशासन में ज्यादा दक्षता एवं प्रभाव लाने के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर देते हुए मोदी ने कहा, लोकतंत्र में नागरिकों की शिकायतों का समाधान काफी महत्वपूर्ण है और सूचना प्रौद्योगिकी से इस सिलसिले में काफी मदद मिल सकती है। उन्होंने 'टीम भावना' पर जोर दिया और सचिवों से आग्रह किया कि वे अपनी टीम का नेता बनें।

उन्होंने कहा, सामूहिक कार्य से ही त्वरित परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। अपने कामों का हमेशा लेखा-जोखा देने की पेशकश करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि शासन की प्रक्रिया में विचारों को संस्थागत रूप में परिवर्तित किया जाना चाहिए, क्योंकि संस्थान व्यक्ति से ज्यादा समय तक रहते हैं। वरिष्ठ नौकरशाहों ने भावनाओं का समर्थन किया और इसी तरह की जवाबदेही का स्वागत किया।


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