प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बनारस के बुनकर कहेंगे, 'पीर पराई जाणे रे...'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बनारस के बुनकर कहेंगे, 'पीर पराई जाणे रे...'

वाराणसी:

एक बनारसी कपड़े पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और उनके चरखे की तस्वीर... दूसरे कपड़े पर 'बापू' का प्रिय भजन "वैष्णव जन तो तेने कहिए जे, पीर पराई जाणे रे..." यह कपड़े पर मामूली छपाई नहीं है, बनारस के बुनकरों की वह नायाब हस्तकला है, जो उनके करघे यानी हैण्डलूम के ताने-बाने से तैयार हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 सितंबर को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आ रहे हैं, सो, सारनाथ के छाहीं गांव निवासी बुनकर बच्चेलाल ने उन्हें देने के लिए यह अंगवस्त्र हथकरघे पर कैलीग्राफी से तैयार किया है, जिसमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का चरखा चलाते चित्र बनाया गया है, और साथ ही बापू के प्रिय भजन भी लिखे गए हैं।

बुनकर बच्चेलाल इस अंगवस्त्र को बनाने के लिए अपने हथकरघे पर कई दिनों से तल्लीनता से काम कर रहे हैं। उनकी बुनकरी की खासियत है कि कपड़े पर अपने हाथ के जादू से वह कुछ भी बना देते हैं। इससे पहले उन्होंने कबीर के भजन के दुपट्टे बनाए थे, लेकिन चूंकि इस बार प्रधानमंत्री को अंगवस्त्र भेंट करना है, लिहाजा उन्होंने गांधी जी, उनका चरखा और उनका प्रिय भजन उकेरा है। ऐसा क्यों, इस सवाल पर बच्चेलाल कहते हैं कि हम बुनकरों की दशा किसी से छिपी नहीं... हमें लगता है कि अगर कोई फिर से गांधी जी की सोच के साथ आ जाएगा तो शायद हम जैसे लोगों की पीड़ा को बेहतर समझकर हमारी तरफ ध्यान दे सकता है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब से वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री बने, तभी से बुनकरों को उम्मीद जग गई कि अब उनके अच्छे दिन आ जाएंगे। प्रधानमंत्री ने भी बुनकरों को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर ट्रेड फेसिलिटेशन सेंटर, इंडिया हैंडलूम ब्रांड और 'उस्ताद' जैसी योजनाओं का तोहफा देने की घोषणा की, जिससे एक उम्मीद तो जगी है, पर विश्वास अभी नहीं बन पाया, क्योंकि कोई योजना अभी ज़मीन पर नहीं आई है, लेकिन बनारस और बुनकरों की उम्मीदें अब भी ज़िन्दा हैं।
 

ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन डॉ रजनीकांत कहते हैं कि प्रधानमंत्री ने बुनकरों को तोहफा दिया है। अब बनारस की समृद्ध परंपरा के अनुसार, हम यह प्रयास कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री को तोहफा दिया जाए।

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अपने सांसद के लिए काशी के बुनकरों का यह स्नेह भी कोई नई बात नहीं... इससे पहले भी बच्चेलाल ने हथकरघा दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री को कबीर के दोहे का अंगवस्त्र तोहफे के रूप में भेजा था, लेकिन प्रधानमंत्री ने जो वादे इनके लिए किए थे, वे अब तक इनके पास नहीं पहुंचे हैं, सो, इस मर रही कला के लिए इस बार प्रधानमंत्री इन्हें कैसे भरोसा दिलाते हैं, जिससे इनकी कला के साथ इनके दिन बहुरेंगे, यह देखने वाली बात होगी।