दो बड़े प्रोजेक्‍ट की शुरुआत से हिंदुस्‍तान में 'आनंद' तो असम में 'सर्वानंद' : पीएम मोदी

दो बड़े प्रोजेक्‍ट की शुरुआत से हिंदुस्‍तान में 'आनंद' तो असम में 'सर्वानंद' : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

डिब्रूगढ़ (असम):

सरकारी कार्यक्रमों में यूं तो प्रधानमंत्री और राज्‍यों के मुख्यमंत्री सियासी बातें करने से परहेज करते हैं, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी  सरकारी कार्यक्रम में इशारे-इशारे में अपने राजनीतिक लाभ की बातें और विरोधियों पर व्‍यंग्‍य करने से परहेज नहीं करते।

डिब्रूगढ़ में दो बड़ी परियोजनाओं का किया शुभारंभ
शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी असम के दौरे पर पहुंचे जहां सबसे पहले उन्होंने डिब्रूगढ़ में दो बड़ी परियोजनाओं का उद्धघाटन किया। भाषण की शुरुआत में राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्‍मीदवार केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल के नाम का उन्‍होंने दो बार जिक्र किया, ताकि लोगों के बीच उनके नाम की चर्चा हो।

इशारों-इशारों में किया अपने सीएम उम्‍मीदवार के नाम का जिक्र
प्रधानमंत्री ने कहा, इन दोनों परियोजना के शुरुआत से पूरे हिंदुस्तान में 'आनंद' हैं और असम में 'सर्वानंद' हैं।" फिर उन्‍होंने कहा कि इन दोनों परियोजना को अगर 25 वर्ष पहले पूरा कर लिया जाता तो पूरे असम में सर्वानंद का माहौल होता। जानकार मानते हैं कि पीएम ने इन शब्‍दों का चयन निश्चित रूप से आगामी विधानसभा के चुनाव के मद्देनजर किया गया था। इस मौके पर मंच पर सर्वानंद सोनोवाल भी मौजूद थे।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

उद्घाटन का मौका मुझे मिलना ही नहीं था
पीएम मोदी ने डिब्रूगढ़ की इस सभा में परोक्ष रूप से कांग्रेस सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ऐसी परियोजना को 25 साल पहले पूरा कर दिया जाना चाहिए था और इसके उद्घाटन का मौका उन्‍हें मिलना ही नहीं चाहिए था। पीएम मोदी ने कहा कि शायद इन परियोजना का शुभारंभ का सौभाग्‍य उनके  हाथों में ही लिखा था। हालांकि उन्‍होंने दावा किया कि उनकी सरकार बिना किसी राग-द्वेष की पुरानी और वर्षों से चल रही परियोजना के लिए पर्याप्त राशि का प्रबंध कर रही है। इससे पहले भी बिहार चुनावों के पहले एक सरकारी कार्यक्रम में उन्होंने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविन्द का परिचय एक जुझारू दलित नेता के रूप में कराया था। माना जाता है कि पीएम और बीजेपी को उम्‍मीद थी कि दलित राज्यपाल का फायदा उन्हें निश्चित रूप से चुनावों में जीत के रूप में मिलेगा।