सुप्रीम कोर्ट जजों के विवाद पर पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी ने की यह टिप्पणी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार और राजनीतिक दलों को न्यायपालिका के मौजूदा संकट से दूर रहना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट जजों के विवाद पर पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी ने की यह टिप्पणी

पीएम मोदी ने कहा है कि सरकार और राजनीतिक दलों को न्यायपालिका के मौजूदा संकट से दूर रहना चाहिए.

खास बातें

  • न्यायपालिका द्वारा खुद समस्याओं का समाधान करने का भरोसा जताया
  • मोदी ने कहा- न्यायपालिका का उज्ज्वल अतीत, वे बहुत ही सक्षम लोग
  • 12 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय के चार जजों ने की थी प्रेस कॉन्फ्रेंस
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट विवाद और इसे लेकर न्यायपालिका पर संकट के मुद्दे पर पीएम नरेंद्र मोदी ने पहली बार टिप्पणी की. उन्होंने रविवार को एक इंटरव्यू में कहा कि सरकार और राजनीतिक दलों को निश्चित ही इससे दूर रहना चाहिए. मोदी ने भरोसा जताया है कि न्यायपालिका अपनी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए एक साथ बैठेगी.

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय न्यायपालिका का एक उज्ज्वल अतीत रहा है और यह बहुत सक्षम लोगों से परिपूर्ण है. उन्होंने समाचार चैनल टाइम्स नाऊ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हमारे देश की न्यायपालिका का एक बहुत ही उज्ज्वल अतीत रहा है, वे बहुत ही सक्षम लोग हैं. वे एक साथ बैठेंगे और अपनी समस्याओं का समाधान निकालेंगे. हमारी न्यायिक प्रणाली में मेरी आस्था है, वे निश्चित तौर पर एक समाधान निकालेंगे.’’

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प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) द्वारा संवेदनशील मामलों के आवंटन की उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा सार्वजनिक तौर पर आलोचना किए जाने के बाद शीर्ष न्यायालय में उत्पन्न संकट के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मुझे इस चर्चा से दूर रहना चाहिए. सरकार को भी इससे अवश्य दूर रहना चाहिए. राजनीतिक दलों को भी इससे अवश्य दूर रहना चाहिए.’’

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उनके गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्हें निशाना बनाए जाने की तरह ही भाजपा के हाई प्रोफाइल नेताओं को संकट में डालने की विपक्षी दलों की कथित कोशिशों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि उन लोगों ने उन्हें राजनीतिक रूप से खत्म करने की कई कोशिशें की थी. मोदी ने विपक्षी पार्टियों को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘‘वे जिस रास्ते पर हैं, उसने मुझे यहां पहुंचने में मदद की.’’

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गौरतलब है कि 12 जनवरी को शीर्ष न्यायालय के चार शीर्ष न्यायाधीशों (न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ) ने एक असाधारण घटनाक्रम के तहत संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया था. उन्होंने कहा था कि उच्चतम न्यायालय में ‘सब कुछ ठीक ठाक नहीं’ है. उन्होंने खुद के द्वारा जताई गई चिंताओं को नजरअंदाज करने को लेकर सीजेआई दीपक मिश्रा की तीखी आलोचना की थी.
(इनपुट भाषा से)


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