यह ख़बर 24 फ़रवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

भ्रष्टाचार में शामिल किसी को नहीं बख्शेंगे : पीएम

खास बातें

  • प्रधानमंत्री ने कहा कि 2-जी घोटाले और CWG आयोजन में अनियमितताओं में शामिल किसी को बख्शा नहीं जाएगा और कानून अपना काम करेगा।
New Delhi:

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कडा रुख अख्तियार करते हुए कहा कि 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले और राष्ट्रमंडल खेल आयोजन में अनियमितताओं में शामिल किसी को बख्शा नहीं जाएगा और कानून अपना काम करेगा। सिंह ने यह भी कहा कि सार्वजनिक जीवन को साफ-सुथरा करने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास करेगी। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा पर जवाब देते हुए सिंह ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार का जबर्दस्त बचाव करते हुए विपक्ष पर जवाबी हमला बोलते हुए कहा, लोग घोटालों की बात करते हैं, यदि कोई घोटाला है, तो उसकी जांच होनी चाहिए और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा, आलोचना उचित है, लेकिन यदि लोग इरादों पर शक करना शुरू कर दें, तो यह संसदीय प्रणाली के लिए अच्छा नहीं है। किसी भी गलत काम करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा। कानून से कोई बच नहीं पाएगा। जब-जब विश्वसनीय साक्ष्य मिले हैं, गलत काम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा, सरकार सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के सफाये के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। बाद में सदन ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कर दिया। राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में हुई अनियमितताओं के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि कुछ गलत होता है तो हम दोषी को दंडित करेंगे और किसी को बख्शा नहीं जाएगा। उच्चाधिकार प्राप्त समिति इन पहलुओं पर विचार कर रही है। अन्य मामले जांच एजेंसियां देख रही हैं। सिंह ने हालांकि 2-जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस आवंटित करने के लिए अपनाई गई नीति का बचाव करते हुए कहा कि नुकसान के आकलन का कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा, 2-जी लाइसेंस की नीति में कुछ गलत नहीं है। मैं मानता हूं कि समान प्रतिस्पर्धा वाला माहौल मुहैया कराने के लिए यही उचित होगा कि हम उसी रास्ते पर चलना जारी रखें, जिस पर 2007 से चल रहे हैं। प्रधानमंत्री ने हालांकि सदन से वायदा किया कि सरकार सभी एजेंसियों का सहयोग करेगी, ताकि सुनिश्चित हो सके कि दूरसंचार विवाद में सच्चाई सामने आ सके। एस-बैंड स्पेक्ट्रम सौदे को लेकर विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए उन्होंने दावा किया कि निजी कंपनियों को उपग्रह बैंड देने के बारे में फैसला गैर-कांग्रेस सरकार ने किया था। देवास मल्टीमीडिया और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की वाणिज्यिक इकाई एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड के बीच हुए विवादास्पद सौदे का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, उपग्रह सेवाएं गैर-सरकारी कंपनियों को देने का फैसला 1997 में गैर-कांग्रेस सरकार ने किया था और 2000 में राजग सरकार ने इसे मंजूरी दी। एंट्रिक्स या देवास को उपग्रह स्पेक्ट्रम का कोई आवंटन नहीं किया गया और कई लाख करोड़ रुपये के नुकसान की खबरों का कोई आधार नहीं है।


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