यह ख़बर 30 नवंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

लोकपाल के दायरे पीएम को लाने पर संसदीय पैनल में मतभेद

खास बातें

  • लोकपाल विधेयक पर संसदीय समिति बुरी तरह विभाजित दिखी और जहां भाजपा एवं वाम सदस्य इसके दायरे में प्रधानमंत्री के पद को लाने की मांग कर रहे थे, कांग्रेस सदस्य पद छोड़ने पर प्रधानमंत्री को इसके दायरे में लाने की वकालत कर रहे थे।
नई दिल्ली:

लोकपाल विधेयक पर संसदीय समिति बुधवार को बुरी तरह विभाजित दिखी और जहां भाजपा एवं वाम सदस्य इसके दायरे में प्रधानमंत्री के पद को लाने की मांग कर रहे थे, कांग्रेस सदस्य पद छोड़ने पर प्रधानमंत्री को इसके दायरे में लाने की वकालत कर रहे थे। बसपा, सपा, और अन्नाद्रमुक जैसी छोटी पार्टियों समेत कुछ सदस्यों ने लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री के पद को लाने का सिरे से विरोध किया। कार्मिक एवं कानून और न्याय पर स्थायी समिति के अध्यक्ष अभिषेक सिंघवी ने बैठक के बाद बताया कि समिति ने रिपोर्ट स्वीकार कर ली, लेकिन विपक्षी सदस्यों ने यह कहते हुए इसका खंडन किया कि जब तक उनकी टिप्पणी दाखिल नहीं होती, यह स्वीकार नहीं मानी जा सकती। आज की बैठक के साथ समिति ने लोकपाल विधेयक पर अपनी चर्चा मुकम्मल कर ली।


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