नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि लोकपाल विधेयक पर अंतिम फैसला संसद करेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) लोकपाल से स्वतंत्र होनी चाहिए। संसद में पिछले सप्ताह पेश लोकपाल विधेयक पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि यह विधेयक संसद की भावना के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि सभी नौकरशाहों और राजनीतिज्ञों को 'भ्रष्ट' अथवा 'बेईमान' बताना गलत है। एक प्रभावी लोकपाल विधेयक के लिए मुम्बई में अनशन पर बैठे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का हवाला देते हुए मनमोहन सिंह ने कहा, "लोकपाल विधेयक को पारित करना एक गम्भीर मसला है और यह जिम्मेदारी हम सभी द्वारा निभाई जानी है क्योंकि संवैधानिक रूप से यह काम हमें सौंपा गया है।" उन्होंने कहा, "अन्य लोग हमें केवल अपनी राय दे सकते हैं और उनकी बातें सुनी गईं लेकिन विधेयक पर अंतिम फैसला हम लोगों को लेना है।" ज्ञात हो कि लोकपाल विधेयक पर संसद जहां 27 से 29 दिसम्बर तक चर्चा करेगी वहीं अन्ना हजारे इस दौरान मुम्बई में अनशन पर बैठे हैं। सीबीआई पर अपनी बात रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "मेरा मानना है कि सीबीआई का कामकाज लोकपाल से स्वतंत्र होना चाहिए। मेरा यह भी मानना है कि जांच एजेंसी को सरकार के नियंत्रण से मुक्त होकर स्वतंत्र रूप से काम करना चाहिए लेकिन स्वतंत्रता का यह मतलब नहीं कि वह किसी के प्रति जवाबदेह न हो।" उन्होंने कहा, "इसलिए, सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति के लिए हमने एक रूपरेखा तैयार की है। इसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश अथवा उनके द्वारा नामित सदस्य, लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता शामिल हैं और इस प्रक्रिया की निष्ठा पर किसी को सवाल नहीं उठाना चाहिए।" प्रधानमंत्री ने कहा कि जहां तक सीबीआई के कामकाज को लोकपाल के दायरे में लाने की बात है, सरकार का मानना है कि इससे संसद के बाहर एक और कार्यकारी ढांचा उत्पन्न हो जाएगा जो किसी के प्रति जवाबदेह नहीं होगा। मनमोहन सिंह ने कहा, "विधेयक पर चर्चा के दौरान नौकरशाही निशाने पर रही है। मुझे नहीं लगता कि सभी सरकारी कर्मचारियों को एक ही डंडे से हांका जाना चाहिए और न ही सभी राजनीतिज्ञों को बेईमान अथवा भ्रष्ट समझना चाहिए।"