यह ख़बर 13 अप्रैल, 2014 को प्रकाशित हुई थी

अटल के साथ संदेशों के आदान-प्रदान को सार्वजनिक करने पर मोदी की मंजूरी मांगेगा पीएमओ

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री कार्यालय साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुए संदेशों के आदान-प्रदान को सार्वजनिक करने के लिए नरेंद्र मोदी और राज्य सरकार की स्वीकृति मांगेगा।

पीएमओ के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) एसई रिजवी ने पहले बिना कारण बताए आरटीआई कानून की धारा 8 (1) (एच) का उल्लेख करते हुए सूचना देने से इनकार कर दिया था। यह धारा उस सूचना को देने से छूट प्रदान करती है, जो जांच प्रक्रिया या अपराधियों की गिरफ्तारी या अभियोजन की प्रक्रिया को बाधित कर सकती है।

उनके वरिष्ठ अधिकारी और पीएमओ के निदेशक कृष्ण कुमार के समक्ष की गई अपील के दौरान इस फैसले को पलट दिया गया। आवेदक ने उनके समक्ष सीपीआईओ के जवाब पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि वह सूचना नहीं देने की पुख्ता वजह नहीं बता सके।

आवेदक ने इस बात पर भी जोर दिया था कि यह बातचीत 11 साल पुरानी है और इसका आरोपियों से पूछताछ, गिरफ्तारी या अभियोजन पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है।

आवेदक द्वारा बताए गए कारणों की पुष्टि करते हुए अपीलीय प्राधिकरण ने सीपीआईओ को निर्देश दिया कि मामले से संबंधित अतिरिक्त ब्योरा दिया जाए।

निदेशक कृष्ण कुमार ने फैसला किया था, 'क्योंकि धारा 8 (1) (एच) के तहत छूट का आधार मान्य नहीं है, इसलिए पीएमओ के सीपीआईओ को निर्देश दिया जाता है कि इस संबंध में ताजा जानकारी प्राप्त करें और उसे 15 कार्य-दिवसों के भीतर आवेदक को दिया जाए।'

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गौरतलब है कि आरटीआई आवेदक ने 27 फरवरी, 2002 और 30 अप्रैल, 2002 के बीच राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर पीएमओ और गुजरात सरकार के बीच हुए समस्त संवाद की प्रति मांगी थी। आवेदक ने राज्य में तनावपूर्ण माहौल के दौरान वाजपेयी और मोदी के बीच संदेशों के आदान प्रदान की भी जानकारी मांगी थी।