यह ख़बर 07 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

प्रधानमंत्री ने संसद ठप रखने पर भाजपा को कोसा

खास बातें

  • प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद को लगातार ठप रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर प्रहार करते हुए शुक्रवार को कहा कि मानसून सत्र में जो कुछ हुआ वह पूर्ण रूप से लोकतंत्र का नकारात्मक पहलू था।
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद को लगातार ठप रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर प्रहार करते हुए शुक्रवार को कहा कि मानसून सत्र में जो कुछ हुआ वह पूर्ण रूप से लोकतंत्र का नकारात्मक पहलू था। उन्होंने सही सोच रखने वाले सभी लोगों से अपील की कि वे उठ खड़े हों और भाजपा से कहें कि वह लोकतांत्रिक संस्थाओं में कामकाज चलने दे।

संसद की कार्यवाही अनिश्चितकाल के स्थगित होने के बाद संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा, "हमें गर्व करना चाहिए कि हमारे पास एक कार्यशील लोकतंत्र है। लेकिन इस सत्र में हमने जो कुछ देखा, वह पूरी तरह इसका नकारात्मक पहलू है।" उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "इस देश में सभी सही सोच रखने वालों को उठ खड़ा होना चाहिए और संयुक्त रूप से यह आवाज बुलंद करनी चाहिए कि उन संसदीय संस्थाओं में नियमों के अनुरूप कामकाज चलने दिया जाए, जिन्हें हम देश के आजाद होने के समय से ही जानते हैं।"

संसद का मानसून सत्र एक महीने बाद शुक्रवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। 20 दिनों के इस सत्र में कार्यवाही 13 दिन बाधित रही।

कोयला ब्लॉक आवंटन में धांधली के मुद्दे को लेकर भाजपा ने सत्र के अंतिम दिन की कार्यवाही भी नहीं चलने दी।

भाजपा प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रही है, क्योंकि जिस समय कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए उस समय कोयला मंत्रालय कर प्रभार उन्हीं के पास था।

भाजपा ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की जिस रिपोर्ट को अपनी मांग का आधार बनाया है, उस पर टिप्पणी करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि वह भारत के आधिकारिक अंकेक्षक को अत्यंत सम्मान करते हैं लेकिन उनकी रिपोर्ट पर संसद में चर्चा करनी होगी। उन्होंने कहा, "हम सीएजी का एक संस्था के तौर पर अत्यंत सम्मान करते हैं। हमें उनके तथ्यों पर लोक लेखा समिति में तथा संसद में बहस करनी चाहिए। हम हमेशा से यह इच्छा व्यक्त करते आए हैं।"

प्रधानमंत्री सीएजी की उस रिपोर्ट का जिक्र कर रहे थे जिसमें कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए नीलामी की प्रक्रिया न अपनाने पर सरकार की आलोचना की गई है और कहा गया है कि इस कारण केंद्रीय राजकोष को 1.86 लाख करोड़ रुपये (37 अरब डॉलर) का नुकसान हुआ।

आवंटन में अनियमितता को लेकर भाजपा प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करती रही और उसने पिछले दो हफ्तों तक संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी।

भाजपा पर प्रहार जारी रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "विपक्ष ने यह तरीका चुना कि सीएजी रिपोर्ट के बहाने तयशुदा संस्थागत कार्यो का लाभ किसी को न मिले और इसलिए वह संसद को बाधित करने पर अड़ी रही।"

मनमोहन सिंह ने जोर देते हुए कहा, "यह लोकतंत्र का नकारात्मक पक्ष है। यदि इस धारणा को बढ़ावा दिया गया तो यह संसदीय लोकतंत्र के नियमों का उल्लंघन होगा।" उन्होंने कहा, "भारत के सामने कई समस्याएं हैं। कहीं बढ़ते साम्प्रदायिक तनाव की समस्या है तो कहीं क्षेत्रीय और जातीय तनाव की समस्या है। कहीं आतंकवाद की तो कहीं नक्सलवाद की समस्या है।" उन्होंने कहा कि संसद में इन मुद्दों पर बहस होनी चाहिए लेकिन देश के समक्ष इन अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं करने दी गई।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि मंदी के कारण समूचा विश्व गम्भीर आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहा है और हम प्रयासरत हैं कि बाहरी दुनिया में जो कुछ हो रहा है, उसका प्रभाव भारत पर न पड़ने दें। उन्होंने कहा, "संसद में इन मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए थी कि वैश्विक तनावों से निपटने और विकास के लिए हमारी आर्थिक रणनीति क्या होनी चाहिए।"

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मनमोहन सिंह ने कहा, "संसद में इनमें से कुछ भी नहीं होने दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि संसद जो एक मंच है, जिस पर हम लोगों की जरूरतों और उनकी अप्रसन्नता पर बेबाक राय रखते हैं, उसे पूरी तरह पंगु बना दिया गया।"