यह ख़बर 03 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

पहली बार रेडियो के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से की 'मन की बात'

नई दिल्ली:

देश के दूरदराज के क्षेत्रों में लोगों से सम्पर्क साधने के प्रयास के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज पहली बार रेडियो के माध्यम से लोगों को संबोधित किया और उनसे निराशा त्यागने तथा अपने सामर्थ्य, क्षमता और कौशल का उपयोग देश की समृद्धि के लिए करने की अपील की।

महात्मा गांधी की प्रिय खादी के उत्पादों के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने लोगों से कम से कम खादी के एक वस्त्र का उपयोग करने का आग्रह किया। इसके साथ ही उन्होंने विशेष रूप से अशक्त बच्चों के बारे में समाज की जिम्मेदारी का बोध कराने का प्रयास किया।

रेडियो के जरिये समय-समय पर लोगों से सम्पर्क करने का वादा करते हुए मोदी ने नागरिकों से सुझाव मांगे। साथ ही उन्होंने बताया कि उन्हें काफी संख्या में सुझाव मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह रेडियो पर ‘मन की बात’ में इसका जिक्र करेंगे।

करीब 15 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वह सवा सौ करोड़ लोगों की बात करते हैं तब उनका आशय खुद की शक्ति को पहचानने और मिलकर काम करने से होता है। हम विश्व के अजोड़ लोग हैं। हम मंगल पर कितने कम खर्च में पहुंचे। हम अपनी शक्ति को भूल रहे हैं। इसे पहचानने की जरूरत है।  लोगों से निराशा त्यागने की अपील करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा,  मेरा कहना है कि सवा सौ करोड़ देशवासियों में अपार सामर्थ्य है। इसे पहचानने की जरूरत है। इसकी सही पहचान कर अगर हम चलेंगे, तब हम विजयी होंगे। सवा सौ करोड़ देशवासियों के सामर्थ्य और शक्ति से हम आगे बढ़ेंगे।

प्रधानमंत्री ने इस सिलसिले में स्वामी विवेकानंद की एक कथा का जिक्र किया, जिसमें भेड़ों के बीच पले बढ़े, शेर के एक बच्चे के एक अन्य शेर के सम्पर्क में आने पर अपनी ताकत फिर से पहचानने के बारे में बताया गया है। मोदी ने कहा, अगर हम आत्म-सम्मान और सही पहचान के साथ आगे बढ़ेंगे, तब हम विजयी होंगे। महात्मा गांधी को प्रिय ‘खादी’ का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, आपके परिधान में अनेक प्रकार के वस्त्र होते हैं, कई तरह के फैब्रिक्स होते हैं। इसमें से एक वस्त्र खादी का क्यों नहीं हो सकता? मैं आपसे खादीधारी बनने को नहीं कह रहा हूं, लेकिन आपसे आग्रहपूर्वक कह रहा हूं कि आपके वस्त्र में कम से कम एक तो खादी का हो। भले ही अंगवस्त्र हो, रूमाल हो, बैडशीट हो, तकिये का कवर या फिर और कुछ..’’ उन्होंने कहा, अगर आप खादी का कोई वस्त्र खरीदते हैं तो गरीब का भला होता है। इन दिनों 2 अक्तूबर से खादी वस्त्रों पर छूट होती है। इसे आग्रहपूर्वक करें और आप पाएंगे कि गरीबों से आपका कैसा जुड़ा होता है।

आकाशवाणी पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा, देश के सवा सौ करोड़ लोगों में असीम कौशल है। जरूरत इस बात की है कि हम इसे पहचानें। प्रधानमंत्री ने इस सिलसिले में उन्हें ई-मेल से मिले एक सुझाव का जिक्र किया जिसमें उनसे कौशल विकास पर ध्यान देने का आग्रह किया गया था। मोदी ने कहा, यह देश सभी लोगों का है, केवल सरकार का नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने लघु उद्योगों की पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने का सुझाव दिया है। इनका सुझाव है कि बच्चों के लिए स्कूलों में पांचवीं कक्षा से कौशल विकास का कार्यक्रम होना चाहिए ताकि जब वे पढ़ाई खत्म करके निकलें तब अपने हुनर की बदौलत रोजगार प्राप्त कर सकें।

मोदी ने कहा कि उन्हें प्रत्येक एक किलोमीटर पर कूड़ेदान लगाने, पॉलीथीन के इस्तेमाल पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने जैसे सुझाव भी मिले।

प्रधानमंत्री ने कहा, अगर आपके पास कोई विचार है, सकारात्मक सुझाव है, तब आप इसे मेरे साथ साझा करें। यह मुझे और देशवासियों को प्रेरित करेगा ताकि हम सब मिलकर देश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकें। मोदी ने विशेष रूप से अशक्त बच्चों के बारे में गौतम पाल नामक व्यक्ति के सुझाव का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने नगरपालिका के स्तर पर योजना बनाने की बात कही थी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि 2011 में जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे जब उन्हें अशक्त बच्चों के लिए एथेंस में आयोजित ओलिंपिक में विजयी होकर लौटे बच्चों से मिलने का मौका मिला था। उन्होंने कहा, यह मेरे जीवन की भावुक कर देने वाली घटना थी। ऐसे बच्चे केवल मां-बाप की जिम्मेदारी नहीं होते बल्कि पूरे समाज का दायित्व होते हैं। पूरे समाज का दायित्व है कि वह विशेष रूप से अशक्त बच्चों से खुद को जोड़ें। उन्होंने कहा, हमने इसके बाद ही विशेष रूप से अशक्त एथलीटों के लिए खेल महाकुंभ का आयोजन शुरू किया और मैं खुद इसे देखने जाता था।

प्रधानमंत्री ने गुरुवार को शुरू किए गए ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने इसमें हिस्सा लेने के लिए नौ लोगों को आमंत्रित किया है और उन सभी से नौ और लोगों को जोड़ने तथा इस तरह से इस शृंखला को आगे बढ़ाने का आग्रह किया है। मोदी ने कहा, हम सब मिलकर गंदगी को समाप्त करने का संकल्प करें। कल हमने स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया है और मैं चाहता हूं कि आप सभी इससे जुड़ें।

आकाशवाणी पर अपने संबोधन ‘मन की बात’ में प्रधानमंत्री ने एक और कथा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक बार एक राहगीर एक स्थान पर बैठ कर आते जाते लोगों से रास्ता पूछ रहा था। उसने कई लोगों से रास्ता पूछा। इस पूरी घटना को दूर बैठे एक सज्जन देख रहे थे। कुछ देर बार राहगीर ने खड़े होकर एक व्यक्ति से रास्ता पूछा। इसके बाद वह सज्जन उसके पास आए और उसे रास्ता बताया।

प्रधानमंत्री ने कहा, राहगीर ने उस सज्जन से कहा कि आप इतने समय से मुझे रास्ता पूछता देख रहे थे, लेकिन क्यों नहीं बताया। तब उस सज्जन ने कहा कि इससे पहले तुम बैठकर रास्ता पूछ रहे थे और मुझे लगा कि तुम यूं ही रास्ता पूछ रहे हो। लेकिन जब तुम उठ खड़े हुए तब मुझे लगा कि वास्तव में अपनी राह जाना चाहते हो।

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प्रधानमंत्री ने कहा, मेरा कहना है कि सवा सौ करोड़ देशवासियों में अपार सामर्थ्य है। इसे पहचानने की जरूरत है। इसकी सही पहचान कर अगर हम चलेंगे, तब हम विजयी होंगे। सवा सौ करोड़ देशवासियों के सामर्थ्य और शक्ति से हम आगे बढ़ेंगे।