राजनीतिक वंशवाद लोकतंत्र में तानाशाही के साथ ही अक्षमता को भी बढ़ावा देता है: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय युवा संसद में कहा - समय गुजरता गया, लेकिन स्वामी विवेकानन्द जी का प्रभाव अब भी उतना ही है

राजनीतिक वंशवाद लोकतंत्र में तानाशाही के साथ ही अक्षमता को भी बढ़ावा देता है: पीएम मोदी

पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय युवा संसद को संबोधित किया.

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को संसद भवन (Parliament) के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रीय युवा संसद- 2021 के समापन सत्र में प्रतिभागियों को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के तीनों युवा विजेताओं के विचार भी सुने. इस कार्यक्रम का आयोजन युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय तथा लोकसभा सचिवालय द्वारा किया गया. लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला; केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक' ; युवा कार्य और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार),  किरेन रिजीजू और लोकसभा के महासचिव भी इस अवसर पर उपस्थित थे.

स्वामी विवेकानन्द के जन्म दिवस पर उनका स्मरण करते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने उद्बोधन में स्वामी जी के विषय में कहा कि  ...समय गुजरता गया, देश आजाद हो गया, लेकिन हम आज भी देखते हैं, स्वामी जी का प्रभाव अब भी उतना ही है. स्वामी जी ने अध्यात्म को लेकर, राष्ट्रवाद-राष्ट्र निर्माण को लेकर, जनसेवा-जगसेवा को लेकर जो कहा, वह आज भी हमारे मन-मंदिर में उतनी ही तीव्रता से प्रवाहित होता हैं. उन्होंने आगे कहा कि लोग स्वामी जी के प्रभाव में आते हैं, संस्थानों का निर्माण करते हैं, फिर उन संस्थानों से ऐसे लोग निकलते हैं जो स्वामी जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए नए लोगों को जोड़ते चलते हैं. इंडिविजुअल से इंस्टीटूशन्स और इंस्टीटूशन्स से इंडिविजुअल का ये चक्र भारत की बहुत बड़ी ताकत है.

अपने उद्बोधन में  मोदी ने युवाओं को हाल ही में घोषित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि देश में एक इकोसिस्टम बनाने की कोशिश की जा रही है, जिसका अभाव अक्सर युवाओं को शिक्षा के लिए विदेशों की ओर देखने के लिए मजबूर करता है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात का उल्लेख किया कि देश में यह धारणा बन गई थी कि अगर कोई युवक राजनीति की तरफ रुख करता था तो घर वाले कहते थे कि बच्चा बिगड़ रहा है क्योंकि राजनीति का मतलब ही बन गया था- झगड़ा, फसाद, लूट-खसोट, भ्रष्टाचार! लोग कहते थे कि सब कुछ बदल सकता है, लेकिन सियासत नहीं बदल सकती. उन्होंने कहा कि आज राजनीति में ईमानदार लोगों को भी मौका मिल रहा है और इस धारणा में बदलाव हो रहा है कि राजनीति अनैतिक गतिविधियों की जगह है. उन्होंने कहा कि ऑनेस्टी और परफॉरमेंस आज की राजनीति की पहली अनिवार्य शर्त होती जा रही है. 

उन्होंने कहा कि देश में कुछ बदलाव बाकी हैं और ये बदलाव देश के युवाओं को ही करने हैं. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि राजनीतिक वंशवाद देश के सामने ऐसी ही चुनौती है जिसे जड़ से उखाड़ना है. क्योंकि राजनीतिक वंशवाद लोकतंत्र में तानाशाही के साथ ही अक्षमता को भी बढ़ावा देता है. उन्होंने यह भी कहा कि वंशवाद भारत में राजनीतिक और सामाजिक करप्शन का भी एक बहुत बड़ा कारण है.

इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि हमारा संकल्प होना चाहिए कि हम देश के पुनरूत्थान एवं संविधान और संसद को सशक्त करने के लिए युवा ऊर्जा और युवा शक्ति का अधिकतम उपयोग करें. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हमारे लोकतंत्र का भविष्य उज्ज्वल है क्योंकि हमारी युवा-शक्ति हमारे देश, हमारे लोकतंत्र और हमारी व्यवस्था में सक्रिय भागीदार है. देश में सकारात्मक बदलावों के नवाचारों के साथ युवा आगे आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह हमारे देश के लोकतांत्रिक भविष्य के लिए उत्साहजनक संकेत है.

उन्होंने प्रतिभागियों का आह्वान किया कि वे संसदीय प्रक्रियाओं और मूल्यों को देश में अधिकतम लोगों तक पहुंचाने के सक्रिय प्रयास करें. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि युवा यहां से जो शक्ति और ऊर्जा का स्रोत लेकर जाएंगे, वह देश के अलग-अलग क्षेत्रों में लोकतंत्र को मजबूत करेगा और उसके साथ ही देश की समस्याओं और कठिनाइयों के समाधान का मार्ग भी इसी लोकतंत्र के माध्यम से निकलेगा.

ओम बिरला ने आगे कहा कि स्वामी विवेकानंद जी ने युवाओं में आत्मशक्ति और आत्मविश्वास को मजबूत करने का संदेश दिया था. उन्होंने कहा कि वह सब में वही युवा-शक्ति और आत्मविश्वास देख रहे हैं जो असंभव-सी लगने वाली बातों को संभव बना सकता है. उन्होंने कहा कि युवाओं में स्वामी जी के सपनों को साकार करने की क्षमता है.

संविधान के महत्त्व के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हुए केन्द्रीय शिक्षा मंत्री  रमेश पोखरियाल ‘निशंक' ने कहा कि हमारे संविधान का सबसे महत्वपूर्ण भाग है - प्रस्तावना और इस प्रस्तावना का पहला वाक्य है - हम भारत के लोग. यह वाक्य भारतीय समाज के प्रत्येक व्यक्ति को एक राष्ट्रीय भावना से बांध कर रखता है. उन्होंने आगे कहा कि देश के नागरिक, संसदीय एवं संवैधानिक प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण है तथा नागरिकों में सबसे महत्वपूर्ण वर्ग है युवा वर्ग.  

पोखरियाल ने यह भी कहा कि युवाओं का सशक्तिकरण राष्ट्र का सशक्तिकरण है. उन्होंने राष्ट्रीय युवा महोत्सव के बारे में कहा कि इस कार्यक्रम द्वारा व्यक्ति से समाज और समाज से राष्ट्र के सशक्तिकरण का अभियान तेज़ी से आगे बढ़ रहा है.

शिक्षा मंत्री ने स्वामी विवेकानंद को स्मरण करते हुए कहा कि स्वामी जी युवा वर्ग को राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत मानते थे. उन्होंने आगे कहा कि जीवन में सबसे बड़ा महत्व चरित्र का है; और शारीरिक शुद्धि, सामाजिक शुद्धि, बौद्धिक शुद्धि और आध्यात्मिक शुद्धि के चार स्तंभों पर समाज निर्माण और राष्ट्र निर्माण की इमारत खड़ी है.

अपने संबोधन में युवा कार्य और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार),  किरेन रिजीजू ने कहा कि इस वर्ष पहली बार राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन टेक्नोलॉजी के उपयोग से ऑनलाइन-ऑफलाइन हाई-ब्रिड मोड में किया गया है तथा इसमें रिकॉर्ड भागीदारी हुई है. उन्होंने बताया कि इस महोत्सव में 7 लाख युवाओं ने 24 विभिन्न प्रतियोगिताओं  में भाग लिया. रिजीजू ने राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव के सभी विजेताओं को बधाई दी और कहा कि जब प्रधान मंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को COVID 19 से लड़ने का स्पष्ट आह्वान किया, तो भारतीय युवाओं ने इस वैश्विक महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई में सबसे अग्रणी भूमिका निभाई. उन्होंने भारत के सभी युवाओं को राष्ट्रीय युवा दिवस की बधाई दी. रिजीजू ने कहा कि भारत के पास एक बड़ी युवा शक्ति है और वे आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे तथा यही युवा ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत' की भावना के संरक्षक हैं.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

कार्यक्रम के अंत में लोक सभा अध्यक्ष, ओम बिरला ने राष्ट्रीय युवा संसद 2021 प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया.