चिन्नम्मा 'शशिकला' के राजनीतिक सफर पर एक नज़र...

चिन्नम्मा 'शशिकला' के राजनीतिक सफर पर एक नज़र...

जयललिता की गैरहाजिरी में पोएस गार्डन से लेकर पूरे तमिलनाडु में शशिकला की ही चलती थी...

खास बातें

  • चेन्नई से 330 किलोमीटर दूर थिरुथुरईपूंडी में 1957 में हुआ जन्‍म
  • वीएस चंद्रलेखा से शशिकला की जयललिता से मुलाकात कराने में अहम भूमिका निभाई
  • शशिकला ने उन्होंने AIADMK में तेजी से अपना प्रभाव जमाया.
नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में मंगलवार को एआईएडीएमके महासचिव वीके शशिकला को चाल साल की सजा सुनाई. इसके साथ ही तमिलनाडु में 'अम्‍मा' जयललिता के बाद उनके राजनीतिक उत्‍तराधिकारी के रूप में मुख्‍यमंत्री बनने का उनका ख्‍वाब 10 साल के लंबे समय के लिए धूमिल हो गया है. आखिरकार, शशिकला कौन हैं और उनके राजनीतिक सफर पर एक नज़र...

दरअसल, चेन्नई से 330 किलोमीटर दूर थिरुथुरईपूंडी में 1957 में जन्मी शशिकला की शादी तमिलनाडु सरकार में जनसंपर्क अधिकारी रहे एम.नटराजन से हुई थी. 1980 के दशक में ही नटराजन ने दक्षिण अरकट जिले की कलेक्टर वीएस चंद्रलेखा से शशिकला की जयललिता से मुलाकात कराने की अपील की थी. तत्कालीन अन्नाद्रमुक प्रचार सचिव नटराजन ने तब यह प्रस्ताव रखा कि शशिकला ही जयललिता के कार्यक्रमों की वीडियोग्राफी करेंगी. जयललिता भी शशिकला के काम से संतुष्ट थीं. इसके बाद दोनों की दोस्‍ती पक्‍की हो गईं.

तमिलनाडु की पूर्व मुख्‍यमंत्री जयललिता से मुलाकात के बाद उन्होंने पार्टी में तेजी से अपना प्रभाव जमाया. जयललिता की गैरहाजिरी में पोएस गार्डन से लेकर पूरे तमिलनाडु में शशिकला की ही चलती थी. जयललिता ने कभी भी शशिकला को राजनीति के करीब जाने नहीं दिया. अपने निधन से ठीक पहले भी 'अम्मा' ने चिन्नम्मा को आगे नहीं बढ़ाया. ऐसे में तमिलनाडु की जनता में ये धारणा है कि अम्मा भी चिन्नम्मा को सीएम बनते नहीं देखना चाहती थीं.

शशिकला नटराजन जयलिलता के निधन के कुछ दिन बाद ही पार्टी की महासचिव बनी थीं. उन्हें सीएम बनाने के लिए ओ पनीरसेल्वम ने प्रस्ताव रखा और सीएम के पोस्ट से खुद इस्तीफ़ा दे दिया था. हालांकि बाद में राज्‍य में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदला और पन्‍नीरसेल्‍वम अपने समर्थक धड़े के साथ उनके विरोध में आ गए.

80 के दशक में शशिकला पार्टी की प्रचार सचिव हुआ करती थीं. वह एआईएडीएमके सुप्रीमो जयललिता की बेहद करीबी थीं. जयललिता भी उनपर बेहद विश्वास करती थीं. दोनों की दोस्‍ती बेहद गहरी थी. लोग तो उन्‍हें जयललिता की परछाई तक कहा करते थे. लेकिन साल 2011 में दोनों के रिश्‍तों में कड़वाहट आ गई. इसके बाद जयललिता ने शशिकला को अपनी पार्टी से निकाल दिया. उन्‍होंने शशिकला से पूरी तरह दूरी बना ली थी.

हालांकि बाद में दोनों के रिश्‍ते तब सामान्‍य हो गए, जब शशिकला ने उनसे माफी मांग ली. माफी मांगने पर जयललिता ने शशिकला को माफ कर दिया. बाद में शशिकला पार्टी महासचिव बनीं. दरअसल, पनीरसेल्वम और शशिकला, दोनों ही नेता एक ही थेवर समुदाय से आते हैं, लिहाज़ा सत्ता के दो केंद्र बनने से पार्टी के भीतर कलह मचने की आशंका जताई जा रही थी. हालांकि पनीरसेल्वम ने खुद ही शशिकला का नाम विधायक दल की नेता के तौर पर प्रस्तावित कर दिया था.

अगर देखा जाए तो एआईएडीएमके में जहां शशिकला के काफी समर्थक हैं, तो वहीं दूसरी तरफ उनके विरोधी भी कम नहीं है. जयललिता के निधन के बाद शशिकला को पार्टी की कमान सौंपने की लगाई जा रही अटकलों के बीच भी सोशल मीडिया पर इसे लेकर लोगों ने जबरदस्त विरोध दर्ज कराया था. जयललिता की भतीजी दीपा जयकुमार ने भी शशिकला को अविश्वसनीय इंसान बताया था.

पांच दिसंबर 2016 को बीमारी के बाद तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता का निधन हो गया. अम्मा के निधन के बाद अंतिम दर्शन से लेकर शव वाहन तक और फिर उनके अंतिम संस्कार तक शशिकला ही उनके सबसे नजदीक रही थीं. इसके बाद राज्‍य में अम्‍मा जयललिता की राजनीतिक उत्‍तराधिकार को लेकर पन्‍नीरसेल्‍वम और शशिकला के बीच सियासी घमासान शुरू हुआ, जोकि अब सबके सामने है.


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