यह ख़बर 07 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

राजनीतिक दलों को RTI छूट : RTI में संशोधन के लिए अंतर मंत्रालयी वार्ता

खास बातें

  • सूचना के अधिकार कानून में संशोधन पर निर्णय करने के लिए कार्मिक एवं विधि मंत्रालय के अधिकारियों के बीच उच्चस्तरीय बातचीत चल रही है जिसमें केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश के बाद राजनीतिक दलों को छूट देने का विषय भी शामिल है।
नई दिल्ली:

सूचना के अधिकार कानून में संशोधन पर निर्णय करने के लिए कार्मिक एवं विधि मंत्रालय के अधिकारियों के बीच उच्चस्तरीय बातचीत चल रही है जिसमें केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश के बाद राजनीतिक दलों को छूट देने का विषय भी शामिल है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों मंत्रालय आरटीआई अधिनियम में संशोधन के विचार पर चर्चा कर रहे हैं और इस बारे में जल्द ही अंतिम निर्णय कर लिया जाएगा।

यह पहले ऐसे समय में की गई है जब राजनीतिक दल केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के उस आदेश पर आपत्ति व्यक्त कर रहे हैं जिसमें उन्हें सार्वजनिक प्राधिकार बताते हुए आरटीआई के तहत जवाबदेह बनाया गया है।

सूत्रों ने बताया कि सरकार इस विषय पर अध्यादेश का रास्ता अख्तियार किया जा सकता है क्योंकि सीआईसी की ओर से राजनीतिक दलों को सूचना अधिकारी नियुक्त करने के लिए दी गई छह सप्ताह की समय सीमा 15 जुलाई को समाप्त हो रही है।

सीआईसी ने 3 जून के आदेश में कहा था कि छह राष्ट्रीय दल कांग्रेस, भाजपा, राकांपा, माकपा, भाकपा और बसपा का केंद्र सरकार की ओर से परोक्ष रूप से पर्याप्त वित्त पोषण किया जाता है और उनका स्वरूप आरटीआई अधिनियम के तहत सार्वजनिक प्राधिकार की तरह होता है क्योंकि वे लोक कार्यो से जुड़े होते हैं।

सूत्रों ने बताया कि समझा जाता है कि विधि मंत्रालय ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को एक मसौदा नोट भेजा है जिसमें कानून में बदलाव का सुझाव दिया गया है ताकि राजनीतिक दलों को छूट प्रदान की जा सके।

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सरकार राजनीतिक दलों को संरक्षण प्रदान करने के लिए आरटीआई अधिनियम की धारा 2 के तहत सार्वजनिक प्राधिकार की परिभाषा में संशोधन का प्रस्ताव कर सकती है। सरकार एक अन्य मार्ग भी अपना सकती है कि राजनीतिक दलों को उस सूची (कानून की धारा 8) में डाल सकती है जिसमें रॉ, आईबी और सीबीआई जैसी एजेंसियां रखी गई है।