यह ख़बर 27 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

सिब्बल के बाद दिग्विजय ने योजना आयोग के गरीबी मापदंड पर उठाए सवाल

खास बातें

  • कांग्रेस महासचिव ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर कहा, मुझे योजना आयोग का गरीबी रेखा निर्धारित करने का मापदंड कभी समझ नहीं आया। यह हकीकत से परे है और सभी इलाकों में समान नहीं हो सकता।
नई दिल्ली:

योजना आयोग के गरीबी कम होने संबंधी आकलन की चौतरफा आलोचना के बीच कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने भी केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के सुर में सुर मिलाते हुए गरीबी रेखा निर्धारित करने के मापदंड पर आज सवाल उठाए।

सिंह ने कहा कि परिवार के सदस्यों में कुपोषण को मापदंड बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आयोग की गरीबी के मापदंड की मौजूदा पद्धति हकीकत से परे है और यह सभी इलाकों के लिए समान नहीं हो सकती।

कांग्रेस महासचिव ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर कहा, मुझे योजना आयोग का गरीबी रेखा निर्धारित करने का मापदंड कभी समझ नहीं आया। यह हकीकत से परे है और सभी इलाकों में समान नहीं हो सकता। सिंह ने एक अन्य ट्वीट के जरिये गरीबी को कुपोषण और खून की कमी से जोड़ने की वकालत की।

उन्होंने कहा, गरीबी का पहला सूचक परिवार के सदस्यों में कुपोषण और खून की कमी है, जिसका आसानी से पता लगाया जा सकता है। क्या हम इसे मापदंड नहीं बना सकते? सिंह का बयान ऐसे समय आया है जब सिब्बल ने एक दिन पहले योजना आयोग के गरीबी का आकलन करने के तरीके को चुनौती देते हुए कहा था कि पांच सदस्यों का एक परिवार प्रति माह 5000 रुपये में गुजारा नहीं कर सकता।

सिब्बल ने कोलकाता में कहा था, यदि योजना आयोग कहता है कि प्रति माह 5000 रुपये से अधिक कमाने वाले गरीबी रेखा के नीचे नहीं आते तो निश्चित ही देश में गरीबी की परिभाषा में कुछ गड़बड़ है। कोई 5000 रुपये में कैसे गुजारा कर सकता है? योजना आयोग ने इस सप्ताह की शुरुआत में गरीबी संबंधी अपने आंकड़े जारी करते हुए कहा था कि गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की प्रतिशतता वित्त वर्ष 2004-05 में 37.2 की तुलना में 2011-12 में तेजी से कम होकर 21.9 हो गई है।

आयोग ने कहा था कि पांच सदस्यों का एक परिवार यदि ग्रामीण इलाकों में प्रति माह 4080 रुपये और शहरी इलाकों में 5,000 रुपये खर्च करता है तो वह गरीबी रेखा के दायरे में नहीं आएगा।

इससे पहले कांग्रेस ने भी अपने नेताओं राज बब्बर और रशीद मसूद के उन बयानों से खुद को अलग कर लिया था जिसमें उन्होंने पांच और 12 रुपये में भोजन मिलने की बात कही थी। इस बयान की कई दलों ने आलोचना की थी। भाजपा ने इन बयानों को ‘बेतुके’, ‘मूखर्तापूर्ण’ करार दिया था।

इससे पहले राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा था कि योजना आयोग के आंकड़े प्रति व्यक्ति दैनिक व्यय के ‘पूर्णयत: गलत: मापदंड पर आधारित हैं।

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हालांकि कांग्रेस के महासचिव अजय माकन ने कल दावा किया था कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के कार्यकाल में गरीबी में कमी आई है।