यह ख़बर 03 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

राष्ट्रपति चुनाव : 'दादा' को दौड़ से दूर करने की पहली कोशिश बेकार

खास बातें

  • लाभ के पद पर होने को आधार बनाकर राष्ट्रपति पद की दौड़ से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को बाहर करने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थित उम्मीदवार पीए संगमा की पहली कोशिश मंगलवार को बेकार साबित हुई।
नई दिल्ली:

लाभ के पद पर होने को आधार बनाकर राष्ट्रपति पद की दौड़ से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को बाहर करने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थित उम्मीदवार पीए संगमा की पहली कोशिश मंगलवार को बेकार साबित हुई।

मुखर्जी पर लाभ के पद पर होने का आरोप खारिज कर दिया गया। बहरहाल, भाजपा ने नए सिरे से आरोप लगाया है कि भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई) के अध्यक्ष पद से दिए गए इस्तीफे पर प्रणब का हस्ताक्षर फर्जी है और वह इस मामले को यहीं रफा दफा होने नहीं देगी।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी राज्यसभा के महासचिव वीके अग्निहोत्री ने मुखर्जी की उम्मीदवारी स्वीकार करते हुए संगमा के दावे को खारिज कर दिया। पीठासीन अधिकारी ने संगमा की उम्मीदवारी भी स्वीकार कर ली।

संगमा ने रविवार को यह सनसनीखेज आरोप लगाया था कि मुखर्जी कोलकाता स्थित आईएसआई के अध्यक्ष पद पर हैं और यह लाभ का पद है। इस नाते वह चुनाव लड़ने के पात्र नहीं हैं। संस्थान ने हालांकि तत्काल स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि मुखर्जी ने 20 जून को ही इस्तीफा दे दिया था।

यूपीए ने मंगलवार को इस सम्बंध में पीठासीन अधिकारी के समक्ष अपना पक्ष रखा। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अग्निहोत्री ने संवाददाताओं से कहा, "राष्ट्रपति तथा उप राष्ट्रपति के चुनाव अधिनियम के तहत नामांकन पत्रों की सरसरी जांच और दोनों पक्षों को सुनने के बाद पीठासीन अधिकारी के तौर पर मैं आपत्तियों को खारिज करता हूं, क्योंकि ये अपुष्ट हैं।"

मुखर्जी के चुनाव एजेंट और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने संवाददाताओं से कहा, "मुखर्जी का नामांकन स्वीकार कर लिया गया है। आईएसआई से उनका इस्तीफा वैध था।" उन्होंने कहा, "संगमा की आपत्तियों पर पीठासीन अधिकारी ने गौर किया। हमने मुखर्जी के इस्तीफे और संस्थान द्वारा इसे स्वीकार करने के दस्तावेज के साथ अपना जवाब दाखिल किया। इस पर विचार किया गया और आपत्तियों को खारिज कर दिया गया।"

संगमा का समर्थन भाजपा, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) और बीजू जनता दल (बीजद) जैसे कुछ विपक्षी दल कर रहे हैं।

इसके बाद भाजपा ने दावा किया कि आईएसआई के अध्यक्ष पद से दिए गए इस्तीफे पर प्रणब मुखर्जी का इस्तीफा 'बनावटी' है। भाजपा ने कहा कि आरोपों के सिलसिले में मुखर्जी ने पीठासीन अधिकारी को जवाब दिया है उसमें और अध्यक्ष पद से इस्तीफे पर किए गए उनके हस्ताक्षर में एकरूपता नहीं है।

मुखर्जी की उम्मीदवारी स्वीकार किए जाने के बाद भाजपा महासचिव अनंत कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, "मुखर्जी द्वारा अध्यक्ष पद से दिए गए इस्तीफे पर उनका फर्जी हस्ताक्षर है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि शीर्ष पद के लिए चुनाव लड़ने जा रहा व्यक्ति इसमें शामिल है।"

कुमार ने कहा, "आईएसआई के अध्यक्ष एमजीके मेनन को देश के सामने यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या इस्तीफे पर प्रणब के ही हस्ताक्षर हैं। यदि ऐसा नहीं है तो इसके पीछे के रहस्य को उजागर किया जाना चाहिए।"

इन सब आरोपों से बेपरवाह मुखर्जी अपना समर्थन जुटाने के अभियान में लगे रहे। इस सिलसिले में मंगलवार को वह लखनऊ पहुंचे। उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती और दोनों दलों के विधायकों से मुलाकात कर समर्थन मांगा।

इस अवसर पर मुलायम ने कहा, "प्रणब मुखर्जी विद्वान व्यक्ति हैं। संसद में मुखर्जी ने अपने व्यक्तित्व से विपक्षियों को भी प्रभावित किया है। राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर उनके पहुंचने से मुझ्झे बहुत खुशी होगी। प्रणब दा उत्तर प्रदेश से भारी मतों से जीतेंगे।"

शाम करीब चार बजे प्रणब ने कांग्रेसी और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) विधायकों से होटल ताज में मुलाकात की। प्रणब देर शाम बसपा प्रमुख मायावती से उनके माल एवेन्यू स्थित आधिकारिक आवास पर मिलने गए। उन्होंने मायावती के साथ बसपा विधायकों और सांसदों से भी समर्थन मांगा। मायावती की तरफ से प्रणब के सम्मान में रात्रि भोज का आयोजन किया गया था।

अपने लखनऊ दौरे में प्रणब ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका है। कुल 11 लाख वोटों में से तकरीबन दो लाख वोट उत्तर प्रदेश से आते हैं। ऐसे में राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए उत्तर प्रदेश के वोट निर्णायक साबित होंगे। उन्होंने कहा, "मुझे यहां से ज्यादा से ज्यादा वोट मिलने का भरोसा है।"

प्रणब के सम्मान में अखिलेश यादव के आधिकारिक अवास पर दिए गए भोज में सजायाफ्ता विधायक मुख्तार अंसारी और विजय मिश्रा की मौजूदगी से हालांकि विवाद भी पैदा हुआ।

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हत्या और हत्या का साजिश जैसे मामलों में फिलहाल अलग-अलग जेलों में बंद कौमी एकता दल से विधायक मुख्तार अंसारी और सपा विधायक विजय मिश्रा को विधानसभा सत्र में ही हिस्सा लेने की इजाजत मिली थी। दोनों बाहुबली विधायकों की भोज में मौजूदगी ने मीडियाकर्मियों का ध्यान खींचा।