प्रशांत भूषण मामले में कोर्ट ने 2018 की जजों की PC को किया याद, कहा- उम्मीद है आखिरी बार...

कोर्ट ने अपने फैसले में जनवरी, 2018 की जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के हवाला दिया. अदालत ने कहा कि जजों को  प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करनी चाहिए थी. जजों ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि यह पहला और आखिरी अवसर था जब जज प्रेस कांफ्रेंस के लिए गए

प्रशांत भूषण मामले में कोर्ट ने 2018 की जजों की PC को किया याद, कहा- उम्मीद है आखिरी बार...

प्रशांत भूषण को कोर्ट ने अवमानना मामले में 1 रुपए जुर्माना लगाया गया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

खास बातें

  • प्रशांत भूषण को 1 रुपए जुर्माने की सजा
  • 2018 की जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी याद किया गया
  • कोर्ट ने कहा- उम्मीद है वो आखिरी बार था
नई दिल्ली:

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ (Prashant Bhushan) चले कोर्ट की अवमानना (Contempt of Court) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सजा सुना दी है. कोर्ट ने भूषण पर एक रुपए के जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर भूषण जुर्माना नहीं भरते हैं तो उन्हें तीन महीने की साधारण जेल और अदालती प्रैक्टिस पर तीन साल के लिए रोक लग सकती है. कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा कि वो अपनी लिखित शिकायत कोर्ट में जमा करने से पहले प्रेस में दिया. कोर्ट ने कहा कि 'प्रेस में प्रकाशन और अग्रिम में एक प्रति साझा करना न्यायिक कार्यों में हस्तक्षेप करता है.' कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा, 'बोलने की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता. अवमानना के आरोपी का आचरण देखा जाना चाहिए. गंभीर सजा के बजाय 1 रुपए का जुर्माना लगाकर उदारता दिखा रहे हैं.'

कोर्ट ने अपने फैसले में जनवरी, 2018 की जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हवाला दिया. अदालत ने कहा कि जजों को  प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करनी चाहिए थी. जजों ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि यह पहला और आखिरी अवसर था जब जज प्रेस कांफ्रेंस के लिए गए और भगवान आंतरिक मैकेनिज्म द्वारा अपनी गरिमा की रक्षा करने के लिए विवेक देता है, खासकर, जब आरोप लगाए जाते हैं, यदि कोई हो, तो सार्वजनिक रूप से पीड़ित न्यायाधीशों से नहीं मिल सकता है.'

कोर्ट ने कहा, 'जज कानून, धारणा और समझ के आधार पर मामले तय करते हैं और फैसला देते समय ये नहीं सोचते कि  निर्णय की आलोचना होगी या नहीं. हमें निष्पक्ष आलोचना के लिए हमेशा तैयार रहना होगा और न्यायिक निर्णय मीडिया में राय से प्रभावित नहीं हो सकते. मीडिया में न्यायाधीशों के खिलाफ आरोप लगाना आसान है और न्यायाधीशों को ऐसे आरोपों पर  चुप रहना पड़ता है क्योंकि वे सार्वजनिक मंच या मीडिया में नहीं जा सकते.'

जजों ने कहा कि जब न्यायाधीश बाहर नहीं बोल सकते हैं, तो उनकी प्रतिष्ठा का नुकसान नहीं होना चाहिए. यह सम्मान के साथ जीने का अधिकार का अनिवार्य हिस्सा है. अगर जजों पर हमला किया जाता है तो उनके लिए निडर होकर काम करना मुश्किल होगा. जजमेंट की आलोचना की जा सकती है. लेकिन यहां जजों के इरादों को जिम्मेदार ठहराते हुए, न्याय प्रशासन का तिरस्कार किया गया है.'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'अगर कोर्ट ने भूषण के आचरण का संज्ञान नहीं लिया तो यह देश भर के वकीलों और मुकदमों को गलत संदेश देगा. हमने भूषण को माफी पेश करने के लिए मजबूर नहीं किया है, हमने कहा था, कि अगर वह चाहें तो माफीनामा पेश कर सकते हैं.'

Video: सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण पर लगाया 1 रुपये का जुर्माना

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