यह ख़बर 20 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

युद्धपोत पर सवार होकर राष्ट्रपति ने रचा इतिहास

खास बातें

  • सुखोई विमान और युद्धक टैंक के बाद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने देश के भारी-भरकम नौसैनिक बेड़े की समीक्षा के लिए पहली बार एक युद्धपोत की सवारी की।
Mumbai:

सुखोई विमान और युद्धक टैंक के बाद राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने देश के भारी-भरकम नौसैनिक बेड़े की समीक्षा के लिए पहली बार एक युद्धपोत की सवारी की। प्रतिष्ठित समुद्री कमांडो से लैस नौसैनिक युद्धपोत आईएनएस सुभद्रा पर सवार 77 साल की राष्ट्रपति ने 10वें राष्ट्रपति नौसैनिक बेड़े की समीक्षा के तहत 81 जहाजों और 44 विमानों के बेड़े की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि जल्द ही शामिल होने वाले विक्रमादित्य जैसे विमानवाहक पोत, रडार की जद में नहीं आने वाले कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक विमानों और तलवार श्रेणी की पनडुब्बियां, स्वदेश निर्मित एएसडब्ल्यू वाहकों के साथ ही शक्तिशाली पनडुब्बियों और युद्धपोतों वाली नौसेना का नई उपलब्धियां हासिल करना तय है। राष्ट्रपति ने युद्धपोत पर सवार नौसैनिक अधिकारियों और जवानों को संबोधित करते हुए कहा, आज, भारतीय नौसेना क्षेत्र की सबसे सक्षम सेनाओं में है और इसकी आधुनिकीकरण योजनाओं के बाद इसका और बढना तय है। सुखोई युद्धक विमान और सेना के युद्धक टैंक के बाद युद्धपोत पर सवार होने वाली वह पहली महिला राष्ट्रपति हैं। नौसैनिक टोपी पहनकर पाटिल युद्धपोत पर विशेष तौर पर तैयार किए गए मंच पर नौसेना के प्रतीक को प्रदर्शित कर रही छतरी के नीचे बैठीं। राष्ट्रपति के साथ रक्षा मंत्री एके एंटनी, तीनों सेना के प्रमुखों सहित चार कबीना मंत्री भी थे। 150 जवानों के सलामी गारद का निरीक्षण करने और 21 तोपों की सलामी के साथ सशस्त्र सेना की सर्वोच्च कमांडर पाटिल ने सुबह 9 बजे इस अत्याधुनिक सुरक्षा बल की समीक्षा की शुरुआत की। सलामी के जवाब में पाटिल ने खड़े होकर सभी जहाजों को सलामी दी।


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