व्हाट्स ऐप, फेसबुक के डाटा में सेंध लगाने पर रोक के लिए कानून बनाने की तैयारी

व्हाट्स ऐप, फेसबुक के डाटा में सेंध लगाने पर रोक के लिए कानून बनाने की तैयारी

केंद्र सरकार व्हाट्स ऐप, फेसबुक और अन्य ऐप्स में लोगों के डाटा को प्रोटेक्ट करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रही है.

खास बातें

  • व्हाट्स ऐप का डाटा फेसबुक को शेयर करने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई
  • संविधान पीठ से केंद्र ने कहा कि फिलहाल मामले की सुनवाई को टाला जाए
  • सर्विस प्रोवाइडर या ऐप के डाटा शेयर करने पर बैन लगाने के लिए कानून
नई दिल्ली:

व्हाट्स ऐप का डाटा फेसबुक को शेयर करने के खिलाफ दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ से केंद्र ने कहा कि फिलहाल इस मामले की सुनवाई को टाला जाए क्योंकि केंद्र सरकार व्हाट्स ऐप, फेसबुक और अन्य ऐप्स में लोगों के डाटा को प्रोटेक्ट करने के लिए कानून बनाने पर गंभीरता से विचार कर रही है. केंद्र सरकार यह भी देख रही है कि क्या ऐसा कानून बनाया जा सकता है जिसके तहत सर्विस प्रोवाइडर या ऐप के डाटा शेयर करने पर बैन लगाया जा सके. दिवाली तक इस पर काम पूरा हो जाएगा.

केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि ऐप्स को इस्तेमाल करने वाले का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रोफाइल तैयार हो जाता है जिसे बाद में बाजार में व्यावसायिक तौर पर बेच दिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है. सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए संविधान पीठ का गठन किया गया है.  

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका कर्ता से मुद्दे कोर्ट में देने को कहा. मामले में अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे से कहा कि 24 अगस्त को बहस किए जाने वाले बिन्दुओं को अंतिम रूप दिया जाए. सीजेआई जेएस खेहर ने पहले ही कहा था कि यह मामला क्या राइट टू प्राइवेसी के हनन का है? इसकी सुनवाई छुट्टियों मे संविधान पीठ करेगी.  वकीलों की मांग है कि यह सुनवाई सात जजों की बेंच करे.

गत जनवरी में व्हाट्स ऐप के डाटा को फेसबुक से जोड़ने के मामले में निजी डाटा और प्राइवेसी के लिए दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, ट्राई, व्हाट्स ऐप और फेसबुक को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा था.

याचिका में कहा गया है कि हर व्यक्ति की प्राइवेसी का मामला है और केंद्र सरकार को इसके लिए कोई नियम बनाना चाहिए. व्हाट्स ऐप के फेसबुक से डाटा शेयर करने का मामला सीधे-सीधे प्राइवेसी के अधिकार का उल्लंघन है. इसलिए ट्राई द्वारा कोई नियम बनाया जाना चाहिए. यह मामला 155 मिलियन लोगों के डाटा से जुड़ा है.

हालांकि चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि यह फ्री सर्विस है. अगर आपको डाटा शेयर होने का डर है तो आप इसे इस्तेमाल क्यों करते हैं? या तो आप इसे लीजिए या इस सर्विस को छोड़ दीजिए.

दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल 23 सितंबर को व्हाट्स ऐप को 25 सितम्बर तक का यूजर डेटा भी डिलीट करने को कहा था. हाईकोर्ट का कहना था कि 25 सितम्बर से पहले अगर कोई यूजर अपना एकाउंट डिलीट करता है और उसे फेसबुक के साथ साझा नहीं करता है तो कम्पनी को सूचना सर्वर से डिलीट करनी होगी. लेकिन 25 सितंबर के बाद के डेटा को व्हाट्स ऐप, फेसबुक के साथ साझा कर सकता है.

यह फैसला हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका के तहत दिया था जिसमें व्हाट्स ऐप की शेयरिंग पॉलिसी पर सवाल उठाया गया था. बता दें कि इससे पहले व्हाट्स ऐप ने अपनी नीति में बदलाव कर अपने यूज़र्स का डेटा फेसबुक के साथ शेयर करने की बात कही थी. इसका मकसद यूज़र्स तक सटीक विज्ञापन पहुंचाना था.


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